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महात्मा गांधी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन में चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद हिंडन नदी पर तोडा था, नमक कानून

 


किसान मसीहा स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह की 34 वी पुण्यतिथि पर कोटि.कोटि नमन

 






9 अगस्त 1942 को अगस्त क्रांति में चरण सिंह भूमिगत होकर आसपास के जिलों और गांव में गुप्त क्रांतिकारी संगठन तैयार किया। मेरठ प्रशासन ने चरण सिंह को देखते ही गोली मारने का आदेश दे रखा था।

 

 चौधरी शौकत अली चेची


-------------------------------भारत के पांचवे  प्रधानमंत्री किसान मसीहा स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह का 29 मई 1987 में स्वर्गवास हो गया है। इस बार 34 वीं पुण्यतिथि पर जीवन परिचय इस प्रकार है। चौधरी चरण सिंह का जाट परिवार में जन्म 23 सितंबर 1902 में हुआ और अर्धांगिनी गायत्री देवी 15 दिसंबर 1905 जन्म और 10 मई 2002 निधन हो गया। चौधरी चरण सिंह का जन्म स्थान बाबूगढ़ छावनी के पास नूरपुर गांव अब जिला हापुड़ में लगता है छप्पर वाली मड़ैया कहा जाता है। चौधरी चरण सिंह की माता नेत्रकौर और पिता चौधरी मीर सिंह ने अपने नैतिक मूल्यों को विरासत में सौंपा। चौधरी चरण सिंह के जन्म के 6 वर्ष बाद चौधरी मीर सिंह परिवार सहित नूरपुर से जानी खुर्द के पास भूपगढ़ी जाकर बस गए। यहीं से चौधरी चरण सिंह ने गरीब व किसान के शोषण के खिलाफ संघर्ष का बीड़ा उठाया। आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा प्राप्त कर 1928 में गाजियाबाद में वकालत प्रारंभ की। कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पूर्ण स्वराज उद्घोष से प्रभावित होकर युवा चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया। 1930 में महात्मा गांधी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत नमक का कानून तोड़ने का आह्वान किया। गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिंडन नदी पर नमक बनाकर लोगों को वचनबद्ध किया। इससे चरण सिंह को छह माह की सजा हुई, जेल वापसी के बाद महात्मा गांधी के नेतृत्व में पूरी तरह से स्वतंत्रता संग्राम में समर्पित कर दिया। चौधरी चरण सिंह 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह से गिरफ्तार हुए और अक्टूबर 1941 में मुक्त हुए। सारे देश में अंग्रेजों के खिलाफ आक्रोश था अंग्रेजों भारत छोड़ो की आवाज पूरे देश में गूंजने लगी। 9 अगस्त 1942 को अगस्त क्रांति में चरण सिंह भूमिगत होकर आसपास के जिलों और गांव में गुप्त क्रांतिकारी संगठन तैयार किया। मेरठ प्रशासन ने चरण सिंह को देखते ही गोली मारने का आदेश दे रखा था। पुलिस चरण सिंह की तलाश में भागती रही। युवा चरण सिंह सभाएं करके निकल जाते थे, एक दिन गिरफ्तार कर लिए गए, राज बंदी के रूप में डेढ़ साल की सजा हुई। जेल में ही लिखी पुस्तक शिष्टाचार, भारतीय संस्कृति, समाज के शिष्टाचार के नियमों का एक बहुमूल्य दस्तावेज बनाया। 1 जुलाई 1952 को यूपी में उनके सहयोग से जमीदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ। गरीबों को अधिकार मिला और लेखपाल के पद का सृजन हुआ। 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून पारित किया गया। आखिर वह दिन आ ही गया जब चरण सिंह 3 अप्रैल 1967 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 17 अप्रैल 1968 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मध्यावधि चुनाव में अच्छी सफलता मिली, दोबारा 17 फरवरी 1970 को मुख्यमंत्री बने। उसके बाद केंद्र में गृह मंत्री बने और मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की। सन 1979 में वित्त मंत्री और उप प्रधानमंत्री के रूप राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की। 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों व कांग्रेस यू के सहयोग से प्रधानमंत्री बने। सन 1974 में चौधरी चरण सिंह ने भारतीय लोक दल नाम से पार्टी बनाई और उसका चुनाव चिन्ह हलधर किसान था। चौधरी चरण सिंह के स्वर्गवास के बाद इतना बिखराव हुआ कि वीपी सिंह और चंद्रशेखर जैसे नेताओं ने अलग अलग राजनीतिक संगठनों की नींव रखी। आखिर जनता दल के बिखराव के बाद लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, चौधरी अजीत सिंह, नीतिश कुमार, देवीलाल, शरद यादव, रामविलास पासवान, बीजू पटनायक आदि ने भी अलग पार्टियां बना ली। चौधरी चरण सिंह इस राजनीतिक विरासत को उनके बेटे चौधरी अजीत सिंह ने संभाला। 7 बार के सांसद व केंद्रीय मंत्री रहें चौधरी अजीत सिंह जिनका जन्म 12 फरवरी 1939 को हुआ था और लंबी बीमारी के बाद हाल में ही 6 मई 2021  को गुरुग्राम में निधन भी हो गया ने राष्ट्रीय लोक दल के नाम से अलग पार्टी बनाई जिसका चुनाव चिन्ह नल है। चौधरी अजीत सिंह के स्वर्गवास बाद अब उनके बेटे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी को सर्व सहमति से स्वर्गीय चौधरी अजीत सिंह के उत्तरा अधिकारी चुने गए हैं। 25 मई 2021 से आरएलडी पार्टी की कमान अब चौधरी चरण सिंह पोत्र जयंत चौधरी के हाथ में आ गई है। किसान मसीहा स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह की 34 वी पुण्यतिथि पर कोटि.कोटि नमन।

लेखकः. चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन  (बलराज) के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष  हैं।