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ठोकर लग कर नहीं समझ रहे यह अजीब फसाना है, पढ़े.लिखे बन रहे अनजान, यह कैसा नया जमाना है?

 





अंधभक्त हैं कि मोदी मोदी के ढोल बजाते हैं और अपनी बर्बादी पर खुश होकर पकोड़ा तल थाली ताली बजाते हैं

 


 


 


हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी भारतवासी भाई भाई, जय जवान, जय किसान, तिरंगा देश की शान, हम सबका भारत देश महान

 


चौधरी शौकत अली चेची


---------------------------------- देशवासी नीचे कुछ बिंदुओं पर विचार करने की कोशिश करें। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद महंगाई और बेरोजगारी किस तरह से काबू से बाहर हो रही है? वर्ष 2014 में कच्चा तेल 120 प्रति बैरल, पेट्रोल 60,  डीजल 50,  एलपीजी गैस 414, प्लेटफॉर्म टिकट 5, रेल टिकट 1416 रुपये, दाल विभिन्न 70 से 80, देसी घी 350,  सरसों का तेल 50,  दूध 32, आयल 90, पैसेंजर किराया 1  किलोमीटर, भाड़ा 8 टन,  डॉक्टर फीस 100, कक्षा 5 के बच्चों की फीस 500 और  टैक्स 12 प्रतिशत रहे थे। किंतु अब वर्ष 2021 में कच्चा तेल प्रति बैरल 68, पेट्रोल 101, डीजल 91, एलपीजी गैस 850, प्लेटफॉर्म टिकट 50, रेल टिकट  2360, दाल विभिन्न 120 से 160, देसी घी 600, सरसों का तेल 50, दूध 56, आयल 130, पैसेंजर किराया 2  किलोमीटर, भाड़ा 16 टन,  डॉक्टर फीस 500, कक्षा 5 के बच्चे की  फीस 1000 और  टैक्स 18 प्रतिशत हो गए हैं। वर्ष 2014 से पहले जिन वस्तुओं पर  चार्ज नहीं था 5 प्रतिशत  12 प्रतिशत 18 प्रतिशत और  28 प्रतिशत जीएसटी लगाकर महंगाई का बोझ डाल दिया। अब हम सबकों पता चल रहा है कि ये अच्छे दिन कितने महंगे साबित हो रहे हैं। इससे तो वर्ष 2014 से पहले वाले बुरे दिन ही सही अच्छे थे। कम से कम उस दौर में मंहगाई का इतना तडका तो नही था। अब अच्छे दिन के चक्क्र में मोदी जी लगातार महंगाई का तडका लगाए चले जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार लाख दावा करें मगर यह कडवी सच्चाई है कि मोदी सरकार विदेश नीति के मामले में पूरी तरह से असफल साबित हो चुकी है। सीएए और एनआरसी कानूनों की हठ में मोदी सरकार पडोसी देशो से कूटनीति के नाम पर दूर होती चली आ रही है। तभी तो चाहे पाकिस्तान हो या फिर बांग्लादेश या फिर अफगानिस्तान, ईरान, इराक और यहां तक संयुक्त अरब अमीरात आदि मुस्लिम देश आंखे तरेरते हुए भी देखे गए हैं। विदेश नीति और आर्थिक मोर्चे पर विफल साबित हो चुकी मोदी सरकार ने सबका साथ, सबका विकास के चक्कर में जनता को बर्बादी के कगार पर लाकर खडा करने में कोई कसर बाकी नही छोडी नही है। मीडिया रिपोर्टो की मानें तो धूमिल विदेशी नीति के कारण 138 करोड़ की जनता में यहां हर महिला, पुरुष और बच्चे पर 58000 का कर्ज हो चुका है, जो लगभग 600 मिलियन डॉलर


बनता है। नरेंद्र मोदी सरकार ने पहले देश की नाक माने जाने वाले लाल किले को ही गिरवीं रख डाला। उसके बाद रेलवे, एयरपोर्ट, बंदरगाह, बीएसएनल, एमटीएनएल, एलआईसी, हॉस्पिटल, कॉलेज, बैंक आदि लगभग 40 प्रतिशत सरकारी संस्थाओं को निजी हाथों में सौंप दिया। साथ ही करीब 20 प्रतिशत सरकारी संस्थाओं के नाम बदलकर लाखों करोड़ रुपए सरकारी खजाने के बर्बाद कर डाले। यही नहीं विज्ञापनों के नाम पर और विदेश यात्राओं के नाम पर पैसा पानी की तरह से बहाया गया। अखिर इन सबका का हिसाब कौन देगा? देश रसातल में जा रहा है और नीरो की वीणा बज ही रही है। मंहगाई कई गुना और इनकम आधी रह गई। सरकारी व प्राइवेट जॉब करने वालों की सैलरी लगभग 50 प्रतिशत तक कम कर दी गई। चौथा खंभा मोदी सरकार का भोंपू बन गया जिसे देशवासी गोदी मीडिया तक कह रहे हैं। इससे सच्चाई लोगों तक नहीं पहुंच रही, देश की गिरती हुई आर्थिक व्यवस्था अपने पूरे शबाब पर है। आम आदमी के साथ साथ मोदी सरकार में सबसे ज्यादा बर्बाद किसान व मजदूर हुआ है। किसानों की आय दोगुनी होने वाली नहीं है और लगभग 40 प्रतिशत महंगाई की मार पड़ रही है। किसानों को लाभ मिला मात्र 11 प्रतिशत लाखों किसानों ने आत्महत्या की हैं और लाखों बेरोजगार युवाओं ने आत्महत्या की हैं। यदि आंकडों पर गौर कर तो पता चलता है कि जिला गौतमबुद्धनगर में ही लॉकडाउन के समय 1 साल में लगभग 600 आत्म हत्याएं हो चुकी है। पूरे देश में कितनी आत्महत्या हुई होंगी? इसका आंकडा यदि निकाला जाए तो हजारों और लाखों तक संख्या जा पहुंचेगी। अंधभक्त हैं कि मोदी मोदी के ढोल बजाते हैं और अपनी बर्बादी पर खुश होकर पकोड़ा तल थाली ताली बजाते हैं।  ठोकर लग कर नहीं समझ रहे यह अजीब फसाना है, पढ़े.लिखे बन रहे अनजान, यह कैसा नया जमाना है? हमें ज्ञान बढ़ाना होगा, हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी भारतवासी भाई भाई, जय जवान, जय किसान, तिरंगा देश की शान, हम सबका भारत देश महान।

लेखकः. चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन ( बलराज) के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष  हैं।