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प्रधानमंत्री जी बराए मेहरबानी यह अच्छे दिन हमे नही चाहिए हमें तो पहले वाले दिनों में ही वापस ला दो

 






हाय रे, मंहगाई डायन खात है। मूवी पीपली लाइव के इस सांग को शायद उस समय चुनावी तमंगे के रूप में खूब भुनाया था

 



जय जवान, जय किसान, हम सबका भारत देश महान, मजबूत संविधान, तिरंगा देश की शान, सभी भारतवासी कर लो ध्यान

 




चौधरी शौकत अली चेची


-------------------------------हाय रे, मंहगाई डायन खात है। मूवी पीपली लाइव के इस सांग को शायद उस समय चुनावी तमंगे के रूप में खूब भुनाया था। यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 के चुनावी कैंपेन में अच्छे दिन आएंगे की बात कहते हुए सबका साथ और सबका विकास का वायदा किया था। किंतु अब यह भी समझ लीजिए कि  2014 से पहले का भाव पेट्रोल 68 लीटर, डीजल 58 लीटर, रसोई गैस 370 सिलेंडर, खाने में इस्तेमाल होने वाला तेल 60 से 70 किलो, सभी दालें 65 से 75 किलो, चीनी 22 किलो, चावल 20 से 70 किलो, मोटरसाइकिल 62000, सोना 28000 तोला, सीमेंट 210, सरिया  3600, रेत की ट्रॉली 1600, ईट 2800 की मिलती थीं। वर्ष 2014 के बाद बढ़े भाव पेट्रोल 95, डीजल 85, रसोई गैस 870, खाने का तेल 150, सब दालें 150, चीनी 38, चावल 30 से 80, मोटरसाइकिल 95000, सोना 50000 तोला, सीमेंट 350 से 370, सरिया 5500, रेत की ट्रॉली 4500 और ईंट 6000 हैं। यदि टैक्स की बात करें तो 2014 से पहले टैक्स था 12 प्रतिशत और 2014 के बाद 18 प्रतिशत, जीएसटी में टैक्स की कैटेगरी 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत,  28 प्रतिशत तक हैं। तेल उत्पादक देशों से 27 लीटर पेट्रोल खरीद कर 100 लीटर बेचा जा रहा है। डीजल, पेट्रोल के अलावा लाल किला, रेल, एयरपोर्ट, बंदरगाह, बीएसएनल आदि निजीकरण के हवाले करने लगे हैं। ये ही तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अच्छे दिन हैं। प्रधानमंत्री जी बराए मेहरबानी यह अच्छे दिन हमे नही चाहिए हमें तो पहले वाले दिनों में ही वापस ला दो। उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव पर ब्रेक, आरक्षण प्रक्रिया पर लगाई रोक, यूपी के मंत्री बोले 20 मार्च के बाद चुनावों का ऐलान। 1995 के बाद पीआईएल चुनाव आधार को गलत बताया गया। आरक्षण को पांच कैटेगरी में विभाजित किया। जिस नागरिक की वार्षिक आय 10000 तक है 20 प्रतिशत आरक्षित कोटा, 10000 से 30,000 तक वार्षिक आय वाले सरकारी नौकरी में 15 प्रतिशत आरक्षण, जिनकी वार्षिक आय 3000 से 50000 तक उन्हें सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण, जिनकी वार्षिक आय 50000 से 100000 उन्हें 5 प्रतिशत आरक्षण, उपरोक्त कैटिगरी के अलावा 50 प्रतिशत नौकरियां बची, उन्हें भरने के लिए ओपन कंपटीशन होगा, जिसमें कोई भी ैंडिडेट भाग लेगा। सवाल यह है संविधान के तहत एससी, एसटी, ओबीसी वर्गों को सामाजिक आधार पर सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने का प्रावधान है, लेकिन मोदी सरकार ने आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था को पलट दिया। आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था लागू करना है, जिनकी


आबादी देश में 15 प्रतिशत से भी कम है वह अपनी 1 लाख की सीमा के अंतर्गत लाने का प्रयास करेंगे। इसी वजह से 20 प्रतिशत आरक्षण उनके पक्ष में चला जाएगा। दूसरे लोग 10000 से 30000 के बीच अपनी वार्षिक तौर पर आय दिखाएंगे और 15 प्रतिशत आरक्षण उपरोक्त के अनुसार ले जाएंगे। आर्थिक आधार पर जो आरक्षण नीति बनाई जा रही है उसमें 50 प्रतिशत आरक्षण कोटे में लगभग 40 प्रतिशत सरकारी नौकरियों का आरक्षण केवल स्वर्णो और शेष 50 प्रतिशत के पक्ष में चला जाएगा। जब कि शेष 50 प्रतिशत रिक्तियों पर ओपन कंपटीशन होगा उसमें भी स्वर्ण लोग 40 प्रतिशत पदों पर अपने संबंध प्रभावों से भागीदारी बन जाएंगे। 15 प्रतिशत स्वर्ण आबादी, 85 प्रतिशत सरकारी नौकरियों पर हावी होगी। देश को गरीबी और गुलामी की तरफ धकेला जा रहा है यानी देश के 95 प्रतिशत लोगों को गरीबी रेखा से नीचे लाने की या गुलाम बनाने की साजिश नजर आती है। संविधान, चुनाव आयोग और हायर ज्यूडिशरी कहां है किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा। मोदी मीडिया देश को भ्रमित कर रहा है, अगर इस पर जागरूकता नहीं दिखाई तो शायद देश 100 साल पीछे खड़ा दिखाई देगा। समस्याएं बढ़ी हैं छोटी समस्याओं को नजरअंदाज किया जा सकता है। ईवीएम और चौथा खंभा पर सवाल लगातार उठाए जा रहे हैं। शांतिपूर्ण ढंग से संवैधानिक तरीके से लगातार आंदोलन होते आ रहे हैं, लेकिन भ्रम फैलाकर, जाति धर्म से जोड़कर हर आंदोलन को समाप्त किया गया या समाप्त करने की कोशिश की गई। दिलचस्प बात यह है पिछली छोटी या बड़ी बातों को भूल कर इंसान नई सुर्ख़यिं को गले लगा कर जाति धर्म की चासनी में लिपट कर खुद को बर्बाद कर दूसरों को बर्बाद कर रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य स्वार्थी लालच बड़ा या छोटा होता है, जो बर्बादी के सिवा कुछ नहीं। शिक्षित बनना सबसे बड़ी उपलब्धि होती है, जागरूकता के शिखर को लेकर चलना सबसे बड़ा पुण्य है, जो सहनशीलता, इंसानियत, मान मर्यादा, भारतीय संस्कृति, संविधान, एकता भाईचारा, हम सभी को इन्हें मोती की माला जैसी बनाकर अपने गले में धारण करना पड़ेगा, अपने पूर्वजों की कहानियां धरोहरों तथा उनकी उपलब्धियों का अनुसरण करना होगा। जय जवान, जय किसान, हम सबका भारत देश महान, मजबूत संविधान, तिरंगा देश की शान, सभी भारतवासी कर लो ध्यान।

लेखकः- चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन ( बलराज  ) के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष  हैं।