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मंडी सिस्टम खत्म हो जाने पर बड़ी कंपनियां ही फसलों की कीमत तय करेंगी : संजय खान एडवोकेट

 


कृषि कानूनों पर गौतमबुद्धनगर समाजवादी पार्टी अधिवक्ता सभा के पूर्व जिला महासचिव संजय खान एडवोकेट ने मोदी सरकार को घेरा

 




समाजवादी पार्टी अधिवक्ता सभा के पूर्व जिला महासचिव संजय खान एडवोकेट की ’’विजन लाइव’’ डिजिटल मीडिया से खास बातचीत

 



मौहम्मद इल्यास/गौतमबुद्धनगर

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अध्यादेशों की सरकार बन कर रह गई है। देश का अन्नदाता किसान कॉन्टै्रक्ट खेती बिल्कुल नही चाहता है मगर भाजपा सरकार इस कानून के सहारे किसानों को गुलाम बनाने के रास्ते पर चल रही है। यह बात समाजवादी पार्टी अधिवक्ता सभा के पूर्व जिला महासचिव संजय खान एडवोकेट ने ’’विजन लाइव’’ डिजिटल मीडिया से खास बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार आई है, एक से बढ कर एक तुगलकी फैसले लिए जा रहे हैं। जनता और सर्वदलीय व्यवस्था से भाजपा का कोई सरोकार नही है। कभी तीन तलाक पर तो कभी सीएए पर देश के लोगों को बांटने का काम किया जा रहा है। किंतु अब कृषि कानूनों के सहारे अन्नदाता को गुलाम बनाने का काम भी शुरू कर दिया गया है। सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसे समय जब कि पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी की वजह से बडे संकट में फंसी हुई थी, भाजपा सरकार जून-2020 में बगैर किसानों को विश्वास में लिए हुए कृषि अध्यादेश ले आई। आखिर इतनी हडबडी और जल्दबाजी क्यों थी भाजपा सरकार को कृषि के इस मुद्दे पर अध्यादेश लाने की। यदि यह कानून लाना ही था तो सर्वदलीय व्यवस्था को विश्वास में लिया गया होता और फिर किसानों और किसान संगठनों से राय मश्विरा किया गया होता। उन्होंने कहा कि सरकार के इन फैसलों का विरोध तब से ही किया जा रहा है, जब से अध्यादेश पास किए गए हैं। कृषि सुधार लागू होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा नही है, बल्कि किसान और उसकी उपज पर प्राइवेट कंपनियों का ही एक तरह से कब्जा हो जाएगा और सारा फायदा बड़ी कंपनियों को मिलेगा। वहीं जब मंडी सिस्टम खत्म हो जाएगा तो किसान पूरी तरफ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर निर्भर हो जाएगा। इसका नतीजा ये होगा कि बड़ी कंपनियां ही फसलों की कीमत तय करेंगी।