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मौज मनाएं नेता, कानून का पालन कर सजा भुगते जनता

 


जनता वैसे ही मूर्ख बनी चली जा रही है और खून के आंसू रो रहा है, भारत का किसान

 


किसान संगठनों ने ऐलान किया है 5-11-2020 समय 12.00 बजे से 4.00 बजे तक भारत बंद


 


चौधरी शौकत अली चेची


सभी देशवासियों को समझने के लिए चंद बिंदुओं पर अति आवश्यक ध्यान देना चाहिए। सरकारों की किसान विरोधी नीतियों का क्यों नहीं होना चाहिए विरोध। किसानों की आय दोगुनी हुई नहीं, 2014 से पहले जमीन का अधिग्रहण 80 प्रतिशत किसानों की सहमति से किया जाता था। भूमि बेचना या खरीदना स्टांप ड्यूटी लगभग 40 प्रतिशत बढ़ोतरी कर दी गई। जमीन का मुआवजा सरकार की तरफ से हर साल लगभग 11 प्रतिशत की वृद्धि का प्रावधान था। देश आजाद होने के बाद अब तक किसान के माल में लगभग 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई, लेकिन सरकारी मुलाजिम जनता के चुने हुए प्रतिनिधि सैकड़ों वस्तुओं के दामों में लगभग 500 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। किसानों की कर्ज माफी लगभग 9 प्रतिशत तक की गई है, लेकिन बड़ी संस्थाएं, उद्योगपति आदि की कर्ज माफी लगभग 45 प्रतिशत  तक की गई हैं। देश में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या कर रहा है, जबकि किसान से बड़ा देश में परोपकारी, मेहनती, ईमानदार और आशावादी दूसरा कोई नहीं। भारत की लगभग 70 प्रतिशत अर्थव्यवस्था को किसान अपने कंधों पर संभाले हुए हैं साथ ही विदेशों में भारत का नाम रोशन किसान ही कर रहा है। आयात और निर्यात का श्रेय सबसे ज्यादा किसानों को जाता है, भारतीय संस्कृति, संविधान, सबका सम्मान, किसान से ज्यादा कोई नहीं कर रहा है। महंगाई, बेरोजगारी और मौसम की मार पशु पक्षी आदि के नुकसान से सबसे ज्यादा किसान दुखी है। देश का दुर्भाग्य है कि किसान अपने माल की कीमत नहीं तय कर सकता। जब से केंद्र में भाजपा सरकार आई है किसानों पर लगभग 40 प्रतिशत का भार बढा है। लाभ लगभग 11 प्रतिशत मिला है लगभग 80 प्रतिशत देश की जनता भाजपा राज से दुखी है। झूठे और खोखले, नफरत और गुमराह किए जाने वाले वायदों और भाषणों से किसानों के अच्छे अब तो बुरे दिनों में बदल दिए। किसान


का माल अगर 10 रूपये में खरीदा जाता है तो उसी माल को किसान या आम इंसान लगभग 25 रूपये में खरीद रहा है। मुनाफाखोरों की जमकर बल्ले बल्ले हो रही है वे किसानों के माल को औन पौने दामों पर खरीद कर गरीब जनता के जेब पर खुला डाका डाल रहे हैं। वहीं अन्नदाता के हकों की आवाज बुलंद करने वाले दलाल किस्म के किसान नेता अपनी जेब गर्म कर रहे हैं। सब्जी, दाल आदि की कीमत में लगभग 45 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है, जबकि लॉकडाउन के समय किसानों ने अपने माल को सड़कों पर फैंका था। खेतों में पैदावारी नष्ट हो गई, पशुओं को खिलाया। इस समय किसानों की वही फल, सब्जी, दाल महंगी होकर आसमान छू रही है। मक्का, बाजरा, धान आदि किसानों की पैदावारी व्यापारी आधे रेट में खरीद रहे हैं। सरकार कोरे कागजों में वाहवाही लूट रही है। दलाल मीडिया, अंधभक्त, झूठ की पोटली लेकर सरकार का गुणगान करने में लगे हुए हैं और जनता वैसे ही मूर्ख बनी चली जा रही है। भारत का किसान खून के आंसू रो रहा है। संसद में किसानों की बर्बादी के तीन काले कानून किसानों को भिकारी बनाने के लिए लागू कर दिए गए। इन काले कानूनों को भाजपा ऐतिहासिक बता विपक्षियों तथा किसानों को मूर्ख बता रही है। बिजली बिल में लगभग 15 प्रतिशत का इजाफा कर कभी भी केंद्र सरकार लागू कर सकती है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा किसान को ही भुगतना पड़ेगा। गोदामों पर डाई यूरिया बीज लेने के लिए आधार कार्ड और जोत बही आदि शर्तें लागू कर दी हैं जबकि लगभग 40 प्रतिशत किसान लगान पर खेती करता है और सरकारी तोल के लिए भाजपा सरकार ने जोत बही, इंतखाप, आधार कार्ड आदि पहले ही लागू कर रखी हैं। भाजपा सरकार हर हफ्ते एक प्रोपेगेंडा एक कानून बनाकर तैयार कर देती है। आढ़ती और किसानों का गहरा नाता है एक दूसरे के दोनों सहयोगी हैं। तीन कृषि काले कानूनों को लागू कर केंद्र ने इन दोनों को दूर कर दिया है। किसान आढ़तियों के साथ मिलकर मजदूरी करने वालों को बर्बाद कर भिखारी बना कर छोड़ दिया गया है। किसानों के लिए कहावत बन कर रह गई कि दिल के अरमां आंसुओं में बह गए हम वफा करके भी तनहा रह गए। अच्छे दिन बुरे दिनों में बदल गए लालच की चासनी के चक्कर में गहरी खाई और दलदल में फंस गए। हमारे पूर्वजों ने नारा दिया था जय जवान जय किसान, हम सबका भारत देश है महान। देश जागरूकता की तरफ बढ़ रहा है सभी देश के किसान संगठनों ने ऐलान किया है 5-11-2020 समय 12.00 बजे से 4.00 बजे तक भारत बंद। जब तक हम भारतवासी गलत नीति का विरोध नहीं करेंगे हक की आवाज नहीं उठाएंगे इंसाफ मिलना संभव नहीं क्योंकि जनता सरकार चुनती है जनता के दिए टैक्स जीएसटी के पैसों से सरकार चलती है। मौज मनाएं नेता, कानून का पालन कर सजा भुगते जनता। संविधान का पालन सबको ही करना चाहिए। गलत बात, गलत नीतियों का विरोध होना चाहिए। अच्छे दिन,  सबका साथ, सबका विकास, नारी का सम्मान, गरीब, बेसहारा, कमजोर का अधिकार, रोजगार, संविधान का सम्मान, भारतीय संस्कृति, सहनशीलता, इंसानियत, मान मर्यादा एक दूसरे का सहयोग सब खत्म। समझ में नहीं आता अभी तक यह कोरोना क्यों नहीं हुआ खत्म। एकता, सच्चाई, जिंदाबाद, सबका सम्मान, भारत देश जिंदाबाद।

 लेखकः-भाकियू ’’बलराज’’ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष चौधरी शौकत अली चेची हैं।