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कृषि संबंधित अध्यादेशों से किसान पूरे देश में अपनी आवाज बुलंद कर रहा है मगर केंद्र सरकार गूंगी बहरी बनी

 



चाय बेची, भिक्षा मांगी खूब, करे सैर सपाटे, केवल जुमले बांटे, जिसने की सच्चाई उजागर उस पर चला कानून का हंटर






चौधरी शौकत अली चेची

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देश में बुद्धिजीवियों द्वारा चर्चाओं का विषय बना हुआ है इन बातों में कितनी सच्चाई है हम सभी को विचार करना आवश्यक है भारत के प्रधानमंत्री का खर्च 5 लाख से ऊपर 24 घंटे में हो जाता है। 1 साल में सत्ता पर काबिज सभी नेताओं का खर्च कितना हो सकता है जरा विचार करिए। जनता के दिए गए जीएसटी टैक्स से सभी सरकार चलती हैं। वोट दे जनता, विश्वास करे जनता, कानून का पालन करें जनता। ऐसो आराम की जिंदगी और मौज मनाएं जनता का चुनाव हुआ नुमाइंदा। वर्ष 2014 जैसे ही आया कि नरेंद्र मोदी जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे अचानक विकास पुरूष साबित करना शुरू कर दिया। मीडिया ने भी सुर ताल खूब मिलाया और सुर ताल मिलाते मिलाते अब मीडिया लोगों की जुबान पर गोदी मीडिया बन चुकी है। अच्छे दिन का वायदा कर सत्ता में आए नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने मगर अच्छे दिन तो आए नही उल्टा अत्याचार, भ्रष्टाचार, बलात्कार, महंगाई की मार, बेरोजगारी की मार से जनता ़त्राहि त्राहि कर रही है। यही नहीं काला धन 15 लाख इन सभी को लेकर देश की जनता को कोरे सपने दिखाकर अंध भक्ति में लीन कर दिया। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं। कैंसी आत्मनिर्भरता और काहे की आत्मनिर्भरता किसी के भी बिल्कुल समझ नही आ रहा है? देश की जीडीपी 0 प्रतिशत से नीचे चली गई है। सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास वाली बात से बस हंसी आ रही है और लोग तो खून के आंसू रो रहे हैं। नौकरी चली गई है और बेरोजगार आत्महत्या कर रहे हैं। वहीं सरकार के लोग रोजगार के नाम पर पकौड़ा तले जाने की बात कह कर जनादेश की खिल्लियां उडाते हैं। नोटबंदी और जीएसटी से भला जनता का कौन सा भला हुआ है? बैंकों का निजीकरण 27 में से  5 बैंक  करने की तैयारी है। अब धारा 370 और 35 ए और तीन तलाक, बूचड़खाना की बात कह कर जनता को तसल्ली दी रही है। मगर ऐसी तसल्ली से क्या दोन जून को रोटी मिल जाएगी, बेरोजगार नौजवानों को रोजगार मिल जाएगा, जीडीपी उपर आ जाएगी। इन सवालों का जवाब कौन देगा? डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस, बिजली बिल, रेल किराया भाड़ा आदि में बढ़ोतरी कर आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है। घरेलू गैस सब्सिडी खत्म कर दी गई। सरकारी संस्थाएं 60 प्रतिशत निजीकरण में कर दी। टैक्स की जगह जीएसटी को चार जोनों में बांट दिया 5 प्रतिशत 12 प्रतिशत 18 प्रतिशत 28 प्रतिशत पहले जिन लगभग 20 प्रतिशत वस्तुओं पर टैक्स नहीं था उनको भी जीएसटी व टैक्स के दायरे में ले लिया। 5 साल का संविदा कानून नौकरियों पर बड़ा घोटाला काला कानून बताया जा रहा है । देश आन बान और शान लाल किले तक को गिरवी रख दिया गया। रेलवे को निजीकरण की श्रेणी में ला दिया गया। े 935000 का सूट खरीद कर तीन करोड़ 45 लाख में बेच दिया। चाय बेची 35 साल, भिक्षा मांगी खूब, करे सैर सपाटे, केवल जुमले बांटे, जिसने की सच्चाई उजागर उस पर कानून का हंटर लात घूंसे लगाए, चाटे। गोद लिए गांव  अभी तक एक भी घुटनों पर नहीं चला। किसान, मजदूर, बेसहारा सड़कों पर भटक रहा है पुलिस की लाठियां तानाशाही कानून अंग्रेजी शासन को ताजा कर शासन प्रशासन पर अपने ही देशवासी प्रसन्न चिन्ह लगा रही हैं। पिछले 6 सालों में लगभग किसान पर 40 प्रतिशत का भार बढा, किसानों की आय दोगुनी करने का वादा कर किसानों की बर्बादी के रास्ते खोल दिए। सरकारी संस्थाएं बेची, अब किसानों को और किसानों की पैदा की गई फसलों को ही निजीकरण में किया जा रहा है। बर्बादी के कानून बनाकर उसके फायदे बताए जा रहे हैं।  किसका भला हुआ कौन हुआ बर्बाद, गोदी मीडिया व अंध  भक्तों के दिमाग में मोदी जी जिंदाबाद, देश की सीमाएं सुरक्षित बखान किया जा रहा है। भारत पर विदेशी कर्जा लगभग 600 मिलीयन डॉलर बताया जा रहा है। गोदी मीडिया द्वारा झूठ गुमराह नफरत की चासनी में लपेट कर ढोल बजाया जा रहा है। अच्छे दिनों का पता नहीं पर,  बुरे दिनों की खाई चारों तरफ बताई जा रही है। लगभग 70 प्रतिशत देश की आर्थिक व्यवस्था को भारत का किसान अपने कंधों पर संभाले हुए हैं। किसान अपने जायज हक को संविधान के दायरे में मांगता है मगर सरकार लाठी से बात करती है। हरियाणा में भी यही हुआ पुलिस ने किसानों को लाठी के सहारे खदेडा था। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि संबंधित अध्यादेशों से किसान पूरे देश में अपनी आवाज बुलंद कर रहा है मगर केंद्र सरकार गूंगी बहरी बनी हुई है। इतिहास गवाह है कि जब जब जिसने भी गरीब, मजदूर और किसानों पर लाठी चलाई तब तब सत्ता जाती रहीं।

लेखकः- चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन ( बलराज  ) के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष  हैं।