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रीढ़ की 5 सर्जरियों के बाद रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन से मरीज को मिला बीमारी से छुटकारा

 18 साल से पीठ दर्द से परेशान थी महिलाए कई स्पाइनल सर्जरियां कराई, मिनिमली इनवेसिव और नॉन सर्जिकल इलाज से दर्द से छुटकारा मिला



रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन यानी आरएफए रीढ़ के जोड़ों में होने वाले दर्द से छुटकारा पाने के लिए एक अच्छा विकल्पः डॉक्टर अमोद मनोचा

विजन लाइव/ग्रेटर नोएडा

 तुर्कमेनिस्तान से एक 62 वर्षीय महिला 18 साल से पीठ दर्द से परेशान थी, जिसके बाद मिनिमली इनवेसिव रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन की मद्द से उसका सफलतापूर्वक इलाज किया गया। वर्ष 2002 में महिला की पीठ और पैर में तेज़ दर्द उठा, जिसके बाद उसे रीढ़ की 5 सर्जरियों से गुजडरना पड़ा। हालांकि, सर्जरी की मद्द से उसे पैर के दर्द से राहत तो मिल गई लेकिन पीठ के दर्द से उसे कभी पूरी तरह राहत नहीं मिली। एक सर्जरी के बाद मरीज को गंभीर संक्रमण हो गया जिसके कारण उसे फिर से सर्जरी करानी पड़ी। बाद में रीढ़ के एक हिस्से को फ्यूज़ करने के लिए उसे मेटल डलवाला पड़ा। दर्द से राहत पाने के लिए मरीज हर संभव कोशिश करती रही और इसी कोशिश में वह अपने बेटे के साथ भारत आई। मैक्स अस्पताल में दर्द प्रबंधन सुविधाओं के हेड, डॉक्टर अमोद मनोचा ने बताया कि मरीज को गंभीर पीठ दर्द की शिकायत थी। कुछ.कुछ देर में दर्द तीव्र हो जाता था जिसके कारण महिला घंटों तक दर्द से परेशान रहती थी। इस दर्द के कारण मरीज अब रोज़ के जरूरी काम तक नहीं कर पा रही थी। इतना ही नहीं, उसके लिए एक जगह बैठना तक मुश्किल हो गया था। 2018 की शुरुआत में मरीज इलाज के लिए मैक्स अस्पताल पहुंची, जहां आरएफए इलाज की मद्द से उसे 10 महिनों के लिए दर्द से पूरी तरह छुटकारा मिल गया। उसकी दवाइयां भी बंद हो चुकी थीं। लेकिन 2019 में मरीज की निचली पीठ में फिर से दर्द उठा तो वह उसी इलाज के लिए फिर से भारत आई। इलाज के बाद लगभग एक साल से महिला को दर्द की बिल्कुल शिकायत नहीं हुई है। वह अब एक बेहतर जीवन जी रही है और दवाइयों का सेवन भी न के बराबर करना पड़ता है।  मरीज के इलाज में जो चुनौतियां रहीं वह उसकी भाषा और पिछली सर्जरियां हैं। निदान की मदद से दर्द के मूल कारण का पता लगाया गया और आरएफए इलाज की मदद से महिला को दर्द से राहत मिल सकी। डॉक्टर मनोचा ने आगे बताया कि रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन यानी आरएफए रीढ़ के जोड़ों में होने वाले दर्द से छुटकारा पाने के लिए एक अच्छा विकल्प माना जाता है। इस इलाज की मद्द से मरीज को 18 से 24 महिनों के लिए दर्द से पूरी तरह से राहत मिल जाती है। रीढ़ की जिन नसों में दर्द का अनुभव होता है उनके पास खास प्रकार की सुइयां लगाई जाती हैं। खास उपकरणों की मद्द से रेडियो तरंगों द्वारा निकले करंट का उपयोग कर के इन नसों के पास एक छोटे हिस्से में गर्म घाव बनाया जाता है। यह नसों से मस्तिष्क तक जाने वाले दर्द को कम करता है जिससे मरीज को दर्द से राहत मिलती है। इस इलाज के कई फायदे हैं जैसे कि अस्पताल में रुकने की जरूरत न होना, प्रक्रिया के तुरंत बाद सामान्य गतिविधियां फिर से शुरू कर पाना आदि। मरीज को दर्द से लंबे समय के लिए राहत मिल जाती है और इसी के कारण वह दवाइयों का सेवन भी बंद कर सकता है।