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60 प्रतिशत लॉकडाउन में रोजगार पूरी तरह से ठप्प हो गया है, जिनमें कामकाज, नौकरियां हो गई है, खत्म




डीजल, पेट्रोल, बिजली बिल में इजाफा होने से आवश्यक वस्तुएं लगभग 30 प्रतिशत हो गई है, महंगी


हवाई, रेल, बस आदि सेवाएं पुनः सुचारू नही होंगी, तो यह बिगडती हुई अर्थव्यस्था कैसे पटरी पर आएगी?


चौधरी शौकत अली चेची
डीजल यूपी में लगभग 73 रूपये प्रति लीटर, पेट्रोल लगभग 82 रूपये प्रति लीटर, बिजली चार्ज लगभग 8 रूपये प्रति यूनिट घेरलू, ट्यूबवेल का पावर कनेक्शन रेंट लगभग 1900 रुपए, एक महीना बच्चों की पढ़ाई फीस लगभग कन्वेंस सहित 1500 से 60000 रूपये तक, डोनेशन लगभग 20,000 से लगभग 150000 रूपये तक, यूनिफॉर्म किताब कॉपी आदि चार्ज अलग से। लगभग 60 प्रतिशत लॉकडाउन में रोजगार पूरी तरह से ठप्प हो गया है जिनमें कामकाज नौकरियां समाप्त हो गई है। इसका खामियाजा सबसे ज्यादा आम जनता भुगत रही है, महंगाई की मार सबसे ज्यादा किसान व मजदूर झेल रहा है। पिछले 5 साल में किसानों पर लगभग 35 प्रतिशत का भार बढा है और लाभ मात्र 9 प्रतिशत मिला है। डीजल, पेट्रोल बिजली बिल में इजाफा होने से आवश्यक वस्तुएं लगभग 30 प्रतिशत महंगी हो गई है। गरीब और गरीब हो रहा है अमीर और अमीर हो रहा है। देश का आम जनमानस बर्बादी और दर्द के आंसू निकाल रहा है। भाषण, घोषणाएं, योजनाएं सभी कागजों तक सीमित हैं। नोटबंदी जीएसटी आदि कानूनों ने देश की आर्थिक स्थिति को पहले ही कमजोर कर दिया था और रही सही कसर अब कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन ने पूरी कर दी। लॉकडाउन देश की आर्थिक स्थिति को पूरी तरह से ही बर्बाद हो चली है। गरीब, मजदूर, बेसहारा लोगों को बुरी तरह से झकझोर दिया है, आने वाला समय खतरनाक होगा, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। मगर वह कौन सा फार्मूला है जिससे सब भारतवासी किसान, गरीब, मजदूर, बेसहारा आत्मनिर्भर बन सकते हैं, इस तरह की कोई भी उम्मीद की किरण नजर नही आ रही है। रोजमर्रा की जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए, जरूरी वस्तुओं की पूर्ति के लिए, शादी विवाह बच्चों की पढ़ाई लिखाई आदि इस तरह सुचारू रूप से पूर्ति होगी कोई ऊर्जावान कार्य सरकारों का नजर नहीं आ रहा है। कोराना से वर्ल्ड की स्थिति काफी कमजोर हो चुकी है, पड़ोसी मुल्क भारत से नाराज दिखाई दे रहे हैं। चीन को छोड भी दे ंतो नेपाल से देश भी कैसे आंखे दिखा रहा है यह किसी से छिपा है क्या? ं हवाई, रेल, बस आदि सेवाएं बंद हैं आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाले आयात निर्यात बंद हैं। जब तक हवाई, रेल, बस आदि सेवाएं पुनः सुचारू नही होंगी यह बिगडती हुई अर्थव्यस्था कैसे पटरी पर आएगी यह विचारणीय बिंदु है। दूसरी ओर गंदी राजनीति आम लोगों की ओर साफ मुहू चिडा रही है कि राजस्थान में क्या हुआ यह किसी छिपा नही है। सरकार गिराने के लिए चुने हुए प्रतिनिधि खरीदे जा सकते हैं यानी सरकारें गिराने और सरकार बनवाने के खेल को खेलने के लिए नेता तैयार है। विपक्षियों को कानून के शिकंजे में फंसाने की चाल कोई नई नही है, कौन कब फंस जाए अंदाजा लगाना मुश्किल है। जाति धर्म की द्वेष भावना खतरे के निशान से ऊपर है। सौ बात की एक बात जहां एकता, सबका सम्मान, सबका अधिकार, एक दूसरे का सहयोग एक दूसरे के प्रति संवेदना, एक दूसरे के प्रति हमदर्दी, इंसाफ यह सभी बातें नहीं होंगी, वहां चारों तरफ से बर्बादी सिर्फ बर्बादी होगी। हम सबका संविधान, हम सबका भारत, एक बंधी हुई झाड़ू की तरह है और हम सभी भारतवासी एक धागे की डोर में मोती की माला की तरह बंधे रहने चाहिए। तय मानिए तरक्की और पावर भारत का कदम चूमेगी।
लेखकः- चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन ( बलराज  ) के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष  हैं।