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समय बलवान तो गधा भी पहलवान इतिहास के पन्नों में तरक्की और बर्बादी के करोड़ों उदाहरण मौजूद




दर्द उसी को होता है जिसे चोट लगती है, अंध भक्ति में लीन आवाज और चोट को नहीं पहचान रहे

चौधरी शौकत अली चेची
नफरत की दीवार हमेशा बर्बादी की तरफ जाती है, प्यार, मौहब्बत मान सम्मान हमेशा तरक्की की तरफ जाता है, एकता से बड़ी कोई ताकत नहीं, सहयोग से बड़ा कोई पुण्य नहीं, जिंदगी संघर्ष है लेकिन नफरत व द्वेष भावना की आंधियां अपने शबाब पर हैं। झूठ गुमराह, नफरत और ताकतवर बनकर देश और जनता के सामने पहाड़ बनकर है। बुद्धिजीवी अपनी कलम को पकड़कर लिखते या बोलते हुए परेशान हैं, क्योंकि उनकी आवाज बुलंदियों तक नहीं पहुंच रही, जिसका कारण जाति धर्म की चासनी लपेटा मार रही है हर रोज सभी महंगाई बेरोजगारी की वजह से बर्बादी की तरफ जा रहे हैं। दलाल मीडिया भांग पीकर नशे में चूर है। यह मीडिया सच्चाई से कोसों दूर है, चापलूसी कर अपनी जिम्मेदारी को छोड़कर देश जनता की बर्बादी की खेती कर रहा है। किसान, मजदूर सीमा का जवान, बेसहारा मजदूर, पत्रकारिता सब को ठोकर मार अपने स्वार्थ में लीन है। सहनशीलता, इंसानियत, मान मर्यादा, भारतीय संस्कृति, संविधान इन सब को निजी स्वार्थ में गंदी राजनीति शायद ठोकर मार रही है, दर्द उसी को होता है जिसे चोट लगती है। अंध भक्ति में लीन आवाज और चोट को नहीं पहचान रहे और चंद लोगों की खातिर यह देश बर्बादी की कगार पर खड़ा है। चारों तरफ बर्बादी के झुंड नजर आ रहे हैं, अनजान लोग खुशी मना कर तालियां बजा रहे हैं। अंधे चश्मे बेच रहे है।ं गंजे कंघी बेच रहे हैं, गरीब, बेसहारा, खुद ही अपने आंसू पौंछ रहे हैं, तरक्की की हंसती खेलती रोशनी धूमिल होती जा रही है, अनेक तरह की खुशबू वाली फुलवारी की बगिया उजड़ती जा रही है, जिंदगी की चलती हुई गाड़ी के पहिया समझो, ब्रेक लग गए। चंद लोगों के बयानों से सब के अच्छे दिन आ गए। सम्मान घृणा में बदल गया, गरीब और गरीब हो गया, अमीर और अमीर हो गया। आगे आने वाला समय कितना खतरनाक होगा। अंदाजा लगाना मुश्किल है, अच्छी और सच्ची या तरक्की की उम्मीद जल्दी आना नजर नहीं आ रही। ज्यादातर लोग दूसरों के नीचे बारूद की चिंगारी लगाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन बाढ़ या तूफान जब आता है कमजोर जड़ों को उखाड़ कर ले जाता है। सर्प निकल जाए तो लकीर पीटने से कोई फायदा नहीं होगा। समय बलवान तो गधा भी पहलवान इतिहास के पन्नों में तरक्की और बर्बादी के करोड़ों उदाहरण मौजूद हैं। जय जवान जय किसान एकता- जिंदाबाद, मजदूर गरीबों की आवाज यह सभी नारे धूमिल होते जा रहे हैं, चारों तरफ को देखना इंसान गवारा समझता है। लंबी सोच और दूरदृष्टि अपना काम ठीक से नहीं कर रही। हम सभी भारतवासी है,ं सभी देशभक्त हैं, समाज की बुराई को समाज ही समाप्त कर सकता है। समाज की लोकप्रियता को समाज ही चमका सकता है। गंदी राजनीति के गलियारे गंदगी की तरफ जा रहे हैं, चंद लोग तरक्की और मौज मना रहे हैं। बाकी सब बर्बादी की ठोकर खा रहे हैं, आओ सब हम मिलकर इन सभी बातों पर विचार करें, एक दूसरे का सम्मान और प्यार करें।
लेखकः- चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन ’’बलराज’’ के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष हैं।