इंसाफ व हक की आवाज
किसान, मजदूर,
बेसहारा, गरीब
मजलूम को
ऊर्जा की
किरण दिखाई
देनी चाहिए
चौधरी शौकत अली
चेची
कोरोना वायरस कुदरत
का कहर
हो सकता
है। वहीं
पवित्र रमजान
का महीना
भी चल
रहा है।
सभी मुस्लिम
वर्ग दुआ
कर रहे
हैं कि
कोरोना जैसी
महामारी से
निजात मिले
और मुल्क
व दुनिया
में खुशहाली
और तरक्की
कायम हो।
वहीं दूसरी
ओर नफरत
फैला कर
समाज को
बांटने वाले
लोग अपनी
कथनी और
करनी से
बाज नही
आ रहे
हैं। राष्ट्रपिता
महात्मा गांधी
के देश
में जाति
धर्म की
द्वेष भावना
हम सबको
बर्बादी के
कगार पर
ले जाकर
खड़ा कर
रही है
अमेरिका में
सामाजिक संस्था
विश्व की
उसने अभी
आंकड़े दिए
हैं कट्टरता
वादी सोच
के चलते
हुए अमेरिका
की रिपोर्ट
में भारत
14 वे स्थान
में शामिल
हो गया
है। कोरोना
वायरस ने
पूरी दुनिया
को हिला
दिया विश्व
की आर्थिक
स्थिति डगमगा
गई।
एक अंतर्राष्ट्रीय मैगजीन की अभी
छपी खबर
के मुताबिक
भारत भ्रष्टाचार,
अत्याचार, बेरोजगारी महंगाई में नंबर
1 बताया जा
रहा है
कई कारणों
से देश
की छवि
धूमिल होती
जा रही
है। सरकार
दलाल मीडिया
सभी बातों
को नकार
नहीं सकती,
सच को
ज्यादा दिन
तक छुपाया
नहीं जा
सकता।
जाति धर्म की जहरीली राजनीति
द्वेष भावना
निजी स्वार्थ
पर दौड़
रही है।
भारत की
लोकप्रियता विश्व में प्रसिद्ध थी
इसीलिए भारत
को अनेक
तरह के
फूलों के
गुलदस्ते जैसा
कहां गया
जिस की
खुशबू रोशनी
की किरण
बनकर देश
के कौने
कौने मैं
मेहक रही
थी लेकिन
अब महक
धूमिल नजर
आ रही
है, एकता
से बड़ी
कोई ताकत
नहीं भाई
चारा एक
दूसरे का
सम्मान
हम सभी भारतवासी एक दूसरे
के सहयोगी
और सहारे
बनकर रहेंगे
तो तरक्की
पक्की, पांचों
उंगलियां एक
समान नहीं
होती अच्छाई
व बुराई
को समाप्त
नहीं किया
जा सकता
प्रभाव को
कम किया
जा सकता
है। पेड
पर सभी
फल अच्छे
और स्वादिष्ट
एक समान
नहीं होते
क्या हम
पेड़ को
खराब बताकर
नष्ट कर
देंगे? पेड़
अच्छा फल
दे उसके
लिए उपचार
और विचार
करने की
जरुरत है।
संविधान इतिहास
के पन्ने
उपन्यास लेखों
में परिवर्तन
करना संभव
है। राजनीतिक
पार्टियां, एनजीओ, सामाजिक, किसान संगठन
आदि में
हजारों बुराई
संभव है। आसमानी
किताब यानी
पवित्र धर्म
ग्रंथों में
परिवर्तन संभव
नहीं सच्चाई
व कर्म
का लिखा
कोई काट
या मिटा
नहीं सकता।
रावण
का हर साल पुतला जलाया
जाता है।
हर साल
रामचंद्र जी
का जन्मदिन
व दीपावली
पर्व मनाया
जाता है।
आपत्ति में
दम होना
चाहिए जिस
रास्ते में
कांटे हो
वहां से
नहीं निकलना
चाहिए। इन
शब्दों को
मद्देनजर रखते
हुए किसान,
मजदूर गरीब,
बेसहारा, मजलूम
पर ध्यान
आकर्षित करते
हैं 1975 में
हमारा देश
आर्थिक संकट
के दौर
से होकर
गुजरा हैं
1948 में देश
पूरी तरह
आजाद हुआ।
उसके बाद
संविधान बना,
पड़ोसी देशों
से कई
लड़ाइयां लड़ी
1975 के दशक
में। देश
में मौजूद
हैं लगभग
200 किसान संगठन लोकप्रिय हैं इंसाफ
व हक
की आवाज
किसान, मजदूर,
बेसहारा, गरीब
मजलूम को
ऊर्जा की
किरण दिखाई
देनी चाहिए
हम सब
एक हैं
आवाज दूर
तक जानी
चाहिए। मंजिल
कठिन है
तो क्या
हम संघर्ष
करना छोड़
दें। कोई
छोटा कोई
बड़ा कोई
गरीब कोई
अमीर
तो क्या हम किसी का
सम्मान करना
छोड़ दें।
जय जवान
जय किसान
विश्व में
भारत देश
महान आवाज
बुलंद होनी
चाहिए।
लेखकः- चौधरी शौकत
अली चेची
भारतीय किसान
यूनियन ’’बलराज’’
प्रदेश अध्यक्ष
हैं।