--------------/भाई/--------------
अब कौन
खडाऊ लेता
भाई से
।
अब तो
लेते जान
भाई की
।
भाई का
गला भाई
काटे ।
बस ये
ही हैं
पहचान भाई
की ।।
अब कौन
खडाऊ लेता
..........
चारो तरफ
बटवारा दिखता
।
दिखती हैं
नफरत की
दीवारें ।
इज्जत खण्डहर
बन के
पडी हैं
।
प्रेम की
टूटी हुई
मीनारें ।।
भाई से
भाई कौ
अब नही
दिखती मुस्कान
भाई की
।1
अब कौन
खडाऊ लेता..............
बडे छोटो
कौ नही
बक्शते ।
छोटे भी
करते सम्मान
नही हैं
।
तू तू
मैं मैं
की पडी
परम्परा एक
दूजे का
ध्यान नही
हैं ।।
खून के रिश्ते भुला
दिये हैं
।
फितरत हुई
हैवान भाई
की ।2
अब कौन
खडाऊ लेता.........
प्रेम भावना
खतम कर
ली ।
धन दौलत
सम्पत्ति में
।
आपस में
भी काम
ना आवे
।
भाई भाई
की विपत्ति
में ।
बात बात
पर खिचे
संगीने ।
सोच हुई
शैतान भाई
की।3
अब कौन
खडाऊ लेता
भाई से
।
अब तो
लेते जान
भाई की
।
भाई का
गला भाई
काटे ।
बस ये
ही हैं
पहचान भाई
की ।।
-----------/रचियता----------
नरेंद्र कुमार
शर्मा ऐडवोकेट
पूर्व सचिव
डिस्ट्रिक्ट बार
एसोसिएशन कलेक्ट्रेट गौतम बुद्ध नगर।
मोबाइल नम्बर
9810904109
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