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दनकौर में सूफी अब्दुल हमीद लुत्फी चिश्ती निजामी रह.अ. का 36वां सालाना उर्स मुकद्दस अकीदत और सूफियाना कलामों के बीच संपन्न


मौहम्मद इल्यास- "दनकौरी" / ग्रेटर नोएडा 

दनकौर में बाबा शाह फिरोज चिश्ती रहमतुल्ला अलैहि दनकौरी की दरगाह पर सूफी अब्दुल हमीद लुत्फी चिश्ती निजामी रहमतुल्ला अलैहि का 36वां सालाना उर्स मुकद्दस पूरे अकीदे, मोहब्बत और सूफियाना रंग में संपन्न हुआ। इस मौके पर दरगाह परिसर सूफियाना नज़ीर पेश करता दिखा, जहां देश-विदेश से आए अकीदतमंदों ने हाजिरी दी और महफिल-ए-कव्वाली में रूहानी कलामों का आनंद लिया।

दरगाह के सज्जादनसीन  सूफी फजलुर रहमान लुत्फी चिश्ती निजामी हमीदी दनकौरी ने बताया कि उर्स के मौके पर आयोजित महफिल-ए-शमा में जहांगीरपुर के मशहूर कव्वाल समीर जमीर ने शानदार कलाम पेश किए। उन्होंने बाबा शाह फिरोज चिश्ती रह.अ., ख्वाजा लुत्फुल्लाह शाह मियां चिश्ती निजामी रह.अ. और सूफी अब्दुल हमीद लुत्फी चिश्ती निजामी रह.अ. की शान में कई सूफियाना कलाम पेश कर महफिल को रूहानी रंग बख्शा।

समीर जमीर ने 'बुलबुल-ए-हिंद' मरहूम हबीब पेंटर की आवाज़ में एक खास कलाम पेश किया, जिसने श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। प्रस्तुत किए गए प्रमुख कलामों में "आयो री मोहिउद्दीन...", "सुहानी रात थी, पुरसकू ज़माना था..." जैसे सूफियाना नग्मे शामिल रहे। इसके अलावा, कई फारसी कलाम भी महफिल की रौनक बने।

रातभर चली इस रूहानी महफिल का समापन सुबह 4:00 बजे कुल शरीफ की रस्म के साथ हुआ। इस मौके पर सूफी रहीसुद्दीन धनपुरा वाले, सूफी अब्दुल रशीद दीदारशाही, सूफी रियाजुद्दीन लुत्फी जहांगीरपुर वाले, सूफी हाजी फखरुद्दीन स्याना वाले, सूफी लियाकत अली भाईपूरा, सूफी सलीम चंदरू वाले, सूफी इदरीश रामपुर वाले, उस्मान जहांगीरपुर वाले, सहीद्दीन लुत्फी हमीदी दनकौरी, मौहम्मद काशिफ हुसैन अब्बासी, नौशाद सैफी सहित अनेक सूफी, ओलिया-ए-इकराम और खास मेहमानों ने शिरकत की।