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आत्मज्ञान ही मोक्ष का मार्ग है” — महर्षि पाणिनि वेद-वेदांग विद्यापीठ गुरुकुल में संत समागम सम्पन्न



संत ब्रह्मानंद सरस्वती सहित देशभर के विद्वानों ने साझा किए आध्यात्मिक अनुभव, गुरुकुल भवन निर्माण को मिला आशीर्वाद


विजन लाइव /ग्रेटर नोएडा

“भारतीय संस्कृति की रीढ़ हैं हमारे संस्कार, और आत्मज्ञान ही मोक्ष का साधन है” — यह प्रेरक संदेश परंपरा के परंपरागत परम पूज्य संत स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती महाराज ने महर्षि पाणिनि वेद-वेदांग विद्यापीठ गुरुकुल के निर्माणाधीन भवन परिसर में आयोजित संत समागम में उपस्थित श्रद्धालुओं को अपने आशीर्वचनों के माध्यम से दिया।

सेक्टर ईटा-1, ग्रेटर नोएडा स्थित इस गुरुकुल परिसर में आयोजित दिव्य समागम में देश के कोने-कोने से पधारे अनेक विद्वान, संत-महात्मा और मनीषियों ने भाग लिया। समागम का उद्देश्य भारतीय वैदिक परंपरा, शास्त्रीय ज्ञान और आत्मकल्याण के मार्ग में समाज को जागरूक करना रहा।

स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि “भारतीय शास्त्र केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि ज्ञान के अनमोल खजाने हैं। जन्म से मृत्यु तक संस्कारों की जो परंपरा हमारे समाज में विद्यमान है, वही हमारी संस्कृति को जीवंत बनाए हुए है। यह सब हमारे पूर्वज मनीषियों के आत्मसंयम और साधना का परिणाम है, जिनके कारण हम आत्मज्ञान की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं और इसी के माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति संभव है।”

व्याकरणाचार्य प्रो. दिवाकर वशिष्ठ ने महाराज के विचारों से सहमति जताते हुए कहा कि “शास्त्रों के माध्यम से आत्मज्ञान की प्राप्ति ही मोक्ष का मार्ग है। भगवद्गीता और उपनिषदों जैसे ग्रंथ इस दिशा में हमारे सर्वोत्तम पथप्रदर्शक हैं।”

इस अवसर पर गुरुकुल के संस्थापक आचार्य रविकांत दीक्षित ने सभी संतों, विद्वानों और अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “यह ग्रेटर नोएडा की पुण्य भूमि का सौभाग्य है कि ऐसे दिव्य संतों का सान्निध्य यहां प्राप्त हुआ है। उन्होंने गुरुकुल के निर्माणाधीन भवन की जानकारी साझा करते हुए बताया कि यह भवन आप सभी के आशीर्वाद और सहयोग से शीघ्र ही पूर्ण रूप से संचालित होगा। उन्होंने समाज के हर वर्ग से सहयोग की अपील भी की।

समागम में भारतीय चुनाव आयोग के सलाहकार श्याम शंकर शुक्ला सपरिवार, गुरुकुल परिवार के सदस्य, स्थानीय श्रद्धालु एवं गुरुकुल के बटुकों की उपस्थिति ने इस आयोजन को विशेष गरिमा प्रदान की।

गौरतलब है कि महर्षि पाणिनि वेद-वेदांग विद्यापीठ गुरुकुल न केवल वैदिक शिक्षा का केंद्र बनेगा, बल्कि आधुनिक समाज को आध्यात्मिक मूल्यों से जोड़ने का भी कार्य करेगा।

यह समागम आत्मचिंतन, संतसंग और संस्कृति संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणास्पद पहल साबित हुआ।