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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में त्रिदिवसीय विपस्सना कार्यशाला का शुभारंभ


विपासना तकनीकों का हमारे दैनिक जीवन में समुचित प्रयोग आवश्यक : प्रो राणा प्रताप सिंह, कुलपति, जीबीयू 
Vision Live/Greater Noida 
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के महात्मा जोतिबा फूले ध्यान केंद्र में 1 मार्च 2025 को त्रिदिवसीय विपस्सना कार्यशाला का उद्घाटन सम्पन्न हुआ। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राणा प्रताप सिंह ने विपस्सना ध्यान की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मन की शांति ही मानव जीवन में व्याप्त समस्याओं के निस्तारण का मूल आधार है। उन्होंने मानसिक एकाग्रता, स्वास्थ्य एवं उत्कृष्ट कार्यशैली के लिए आनापानसति, विपस्सना भावना एवं प्राणायाम को अत्यंत उपयोगी बताया और कहा कि स्वस्थ भारत से ही विकसित भारत का निर्माण संभव है। कुलपति महोदय ने कहा, "विपस्सना ध्यान कार्यशाला के इस गरिमामयी अवसर पर उपस्थित होना मेरे लिए अत्यंत हर्ष और सम्मान की बात है। हम सभी ऐसे अवसरों की खोज में रहते हैं, जहाँ हमें शांति प्राप्त कर स्वयं को मानसिक रूप से विश्राम देने का अवसर मिले। योग एवं ध्यान तकनीकों का हमारे दैनिक जीवन में समुचित प्रयोग आवश्यक है।"
इस कार्यशाला में साउथ कोरिया के कोरिया मेडीटेशन टीचर एसोसिएशन के प्रमुख एवं विपस्सनाचार्य भंते धम्मदीप ने बौद्ध धर्म एवं ध्यान साधना के वैश्विक प्रचार-प्रसार पर प्रकाश डालते हुए प्रतिभागियों को आनापानसति का अभ्यास करवाया। कार्यशाला के समन्वयक एवं बौद्ध अध्ययन के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनीष मेश्राम ने भंते धम्मदीप का परिचय कराते हुए कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि यह त्रिदिवसीय कार्यशाला 1 मार्च से 3 मार्च 2025 तक आयोजित की जाएगी।
इस अवसर पर बौद्ध अध्ययन एवं सभ्यता संकाय की डीन प्रो. श्वेता आनंद ने स्वागत भाषण दिया, जबकि विभागाध्यक्ष डॉ. चिंताला वेंकटा सिवासाई ने धन्यवाद ज्ञापन किया। साथ ही, डॉ. ज्ञानादित्य शाक्य ने कार्यशाला के समन्वयक डॉ. मेश्राम को खतक देकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत बुद्ध प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्पण से हुई, जिसमें डॉ. अरविंद कुमार सिंह, डॉ. चंद्रशेखर पासवान, डॉ. प्रियदर्शिनी मित्रा, डॉ. चंद्रभानु, विक्रम सिंह यादव सहित अन्य गणमान्यजनों ने भाग लिया। इसके बाद विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विदेशी छात्र-छात्राओं ने बुद्ध वंदना एवं मंगलपाठ किया। उद्घाटन सत्र का संचालन शोध छात्रा कविता ने किया।
इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों, कर्मचारियों, छात्र-छात्राओं, विदेशी बौद्ध भिक्षु एवं भिक्षुणियों सहित लगभग 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में नवनीत मौर्य, कन्हैया, सचिन, अजय कुमार, संदीप ढाका, विकास, रेखा सहित कई गणमान्यों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।