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जीडी गोयंका स्कूल के छात्रों को महर्षि पारिणी गुरुकुल ट्रस्ट का भ्रमण करवाया

Vision Live/Greater Noida 
जीडी गोयंका स्कूल, ग्रेटर नोएडा कम्युनिटी आउटरीच अर्थात ‘सामुदायिक पहुंच’ कार्यक्रम के अंतर्गत छात्रों को महर्षि पारिणी गुरुकुल ट्रस्ट का  भ्रमण करवाया गया।
वेदोऽखिलो धर्ममूलम्
                         महो अर्णः सरस्वती प्र चेतयति केतुना । धियो विश्वा वि राजति ।।
विकासशील भारत में औद्योगिकीकरण के फलस्वरूप ग्रामीण भारत के लोग महानगरों तथा नगरों की ओर लोग जीविकोपार्जन के लिए यहाँ आकर बसे हैं। किन्तु महानगरों के रहन सहन में आजकल युवाओं में बढ़ती हुई संस्कार हीनता उनकी चिन्ता का विषय है, और वे चाहते हैं कि उच्च व्यावसायिक ज्ञान के साथ साथ बच्चों में नैतिक मूल्यों के प्रति श्रद्धाभाव रहे और सनातन संस्कृति में उनकी रुचि बनी रहे। प्रवासी समाज की इन अपेक्षाओं पर गम्भीरता से विचारोपरान्त महर्षि पाणिनि धर्मार्थ ट्रस्ट ने एक गुरुकुल पद्धति से विद्यालय प्रारम्भ करने का निर्णय लिया। जिसमें उन सभी अलग अलग क्षेत्रों की संस्कृति का आपसी समन्वय हो सके एवं उनके बच्चों की शिक्षा दीक्षा सुचारू रूप से चल सके और वे संस्कारित हो सकें। महर्षि पाणिनि धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा निःशुल्क रूप से संचालित महर्षि पाणिनि वेद-वेदाङ्ग विद्यापीठ (गुरुकुल) ग्रेटर नोएडा इसी का एक मूर्त रूप है।
इस अवसर पर गुरुकुल के अध्यापकों ने गुरुकुल की पद्धति के बारे में बताते हुए शिष्यों की दिनचर्या प्रातः काल से संध्या तक किस प्रकार अपना जीवन यापन करते हैं, शिक्षा लेते हैं और अपने समस्त कार्यों का स्वयं निर्वहन करते हैं, इसके बारे में विस्तार पूर्वक बताया।
इस अवसर पर विद्यालय की तरफ से भेंट स्वरूप छात्रों को पढ़ाई से संबंधित कॉपी पेंसिल, पेन इत्यादि वस्तुएं एवं खानपान की वस्तुएं ,फल वितरित किए गए।विद्यालय की प्रिंसिपल डॉक्टर रेनु सहगल ने बताया कि महर्षि पाणिनि वेद-वेदांग विद्यापीठ गुरुकुल की शिक्षा का उद्देश्य वर्तमान सामाजिक परिवर्तनों पर विचार करते समय यहाँ की संस्कृति के तत्वों की विवेचना करके उसके उपयोगी और परिवर्तनशील तत्वों (नैतिक मूल्यों) की ओर विशेष रुप से ध्यान देते हुए संस्कृति के मूलभूत तत्वों की उपयोगिता और उनके व्यवहारिक पक्ष पर बल देना है और इसी प्रयास के अंतर्गत पूरी पोयम को विद्यालय की तरफ से कक्षा 6 और सातवीं के छात्रों द्वारा गुरुकुल ट्रस्ट का  भ्रमण किया गया और सबको इस माध्यम से यह शिक्षा दी गई थी सभी को अपने जीवन में प्राप्त वस्तुओं का सम्मान करना चाहिए और उनके उपयोगिता समझनी चाहिए।