मौहम्मद इल्यास-"दनकौरी" / ग्रेटर नोएडा
ग्रेटर नोएडा के सेक्टर पाई-1,ऐच्छर में श्री धार्मिक रामलीला कमेटी के तत्वाधान में चल रही लीला मंचन कार्यक्रम में 09 अक्टूबर 2024 को प्यारे हिंदुस्तान की झलक देखने को मिली। श्री रामलीला मंचन के माध्यम से ग्रेटर नोएडा को नई धार्मिक सांस्कृतिक पहचान दिलाए जाने की मुहिम शामिल गोस्वामी सुशील जी महाराज ,अजय जैन, जैन मुनि लोकेश कुमार लोकेश समेत विभिन्न धर्मो के संतों की गरिमामयी में उपस्थित देखने को मिली। भारतीय सर्व धर्म संसद के संतो के द्वारा पूर्व में भी लीला मंचन के दौरान इस तरह का अनूठा प्रयास किया जा चुका है, जिसमें हिंदू ,मुस्लिम, सिक्ख ,इसाई जैन ,बौद्ध धर्म के संत यहां आकर मंच साझा करते हुए शांति और सद्भावना का संदेश दे चुके हैं। श्री धार्मिक रामलीला कमेटी के तत्वाधान में फिर एक बार 9 अक्टूबर-2024 को दशहरा ग्राउंड में लीला मंचन के दौरान भारतीय सर्व धर्म संसद के शामिल हुए और प्यार हिंदुस्तान की झलक पेश की। गोस्वामी सुशील जी महाराज की अगुवाई में भारतीय सर्व धर्म संसद के इन संतों में मुख्य अतिथि के तौर पर महंत रविन्द्र पुरी जी महाराज अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, विशिष्ठ अतिथि महंत बलराम भारती , महंत सत्यम गिरी जी, सचिव शंभू पंचायती अटल अखाड़ा, विशेष अतिथि भारतीय सर्व धर्म संसद के श्रद्धेय संत गण परमजीत सिंह चंडोक आचार्य विवेक मुनि जी, आचार्य योगभूषण जी, मौलाना शाहीन काश्मी जी, फादर सेबेस्टियन जी, फादर बेंटो जी, स्वामी शिवनाथ जी महाराज, महामंडलेश्वर आचार्य नर्मदा जी, फादर जिप्सन जी, डॉक्टर परमीत सिंह चड्ढा , ध्यानाचार्य अजय जैन , आचार्य यशी , महेंद्र जैन , वीर सिंह हितकारी , मारजबन नरिमन जाईवाला उपस्थित रहे । इन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके आदर्शों को जीवन में उतरने पर बल दिया। श्री धार्मिक रामलीला कमेटी की ओर से इन विभिन्न संतों का पटका और पगड़ी पहनकर तथा स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत किया गया।
श्री धार्मिक रामलीला कमेटी के माननीय अध्यक्ष श्री आनंद भाटी ने बताया कि लीला मंचन का प्रारंभ गणेश पूजन के साथ शुरू हुआ। प्रभु श्री राम से जब अयोध्या वासी भैया भरत के साथ मिलने आए उनके जाने के बाद प्रभु श्री राम ने भैया लक्ष्मण और माता सीता से कहा कि अब हमारे लिए यह स्थान उचित नहीं हमें कहीं ऐसी जगह रहना होगा जहां से अयोध्या वासियों से हम दूर हों। अनेकों ऋषियों का दर्शन करते और देते हुए प्रभु श्री राम पंचवटी नामक स्थान पर पहुंचे यह एक बहुत ही रमणीय और रहने के लिए उचित स्थान लगा प्रभु श्री राम ने भैया लक्ष्मण को आज्ञा दी कि हम लोग अपनी कुटिया यहीं बनाएंगे और वनवास का समय हम यहीं व्यतीत करेंगें । पंचवटी के पास में ही दंडक नामक वन था जहां पर रावण ने दो राक्षसों को नियुक्त कर रखा था खर और दूषण यह दोनों रावण के भाई भी थे और रावण की बहन सुपर्णखा इन्हीं के साथ रहती थी एक दिन सुपर्णखा की दृष्टि भगवान श्री राम के ऊपर पड़ी और वह उनके ऊपर मोहित हो गई भगवान श्री राम से विवाह का प्रस्ताव रखा। भगवान ने मना कर दिया तब वह भैया लक्ष्मण के पास गई और उनसे विवाह के लिए कहा लक्ष्मण ने कहा मैं तो यहां सेवा के लिए हूं। मेरे लिए विवाह का कोई मतलब नहीं है मैं तो पराधीन हूं तुम्हें सुखी नहीं रख पाऊंगा इस पर वह रूष्ट हुई और सोचा अगर यह सीता ही ना रहे तो श्री राम मुझसे विवाह कर लेंगे और इस विचार से उसने माता सीता को हानि पहुंचानी चाही भगवान श्री राम के आज्ञा से भैया लक्ष्मण ने सुपर्णखा के नाक और कान काट लिए। सुपर्णखा के बुलाने से खरदूषण युद्ध करने के लिए आए बड़ा भयंकर युद्ध हुआ और दोनों युद्ध में मारे गए तत्पश्चात सुपर्णखा अपने भैया रावण के पास लंका गई और उसने रावण के सामने माता सीता के सुंदर स्वरूप की ऐसी चर्चा की की रावण अपनी बहन का बदला लेने के लिए माता सीता को ही चुरा कर लाने के लिए तैयार हो गया और उसने अपने मामा मारीच को एक सुंदर सोने का हिरण बन करके मात सीता के आगे से गुजरने को कहा माता मोहित हो गई उन्होंने प्रभु श्री राम से उस हिरण को अपने पास लाने की मनसा जाहिर की प्रभु श्री राम उस हिरण के पीछे चल दिए। मायावी मारीच पर भगवान श्री राम ने जैसे ही तीर चलाया उसने जोर से हा लक्ष्मण की आवाज निकाली माता सीता को लगा कि प्रभु श्री राम संकट में हैं और उन्होंने भैया लक्ष्मण को उनके पास जाने की आज्ञा दी पहले तो भैया लक्ष्मण ने मना किया क्योंकि उनकी जिम्मेदारी थी माता सीता की रक्षा करना लेकिन माता की प्रेरणा और अपशब्दों के कारण भैया लक्ष्मण माता सीता की कुटिया के आगे एक रेखा खींच के माता से यह वचन लिया कि आप इस रेखा को कभी पार नहीं करेंगी जब तक कि हम लोग नहीं आ जाते हैं और भगवान श्री राम की तरफ प्रस्थान कर जाते हैं तभी रावण एक ब्राह्मण का भेष बनाकर भिक्षा मांगने माता सीता के पास कुटिया में आता है पहले तो वह कुटीया में प्रवेश करना चाहता है लेकिन लक्ष्मण रेखा को वह पार नहीं कर पाता है और भिक्षा देने के लिए माता को धर्म संकट में डालकर लक्ष्मण रेखा पार करने के लिए विवश कर देता है जैसे ही माता सीता रेखा से बाहर आती हैं रावण अपने अपने असली वेश में आकर माता का हरण कर लेता है।
इस अवसर पर संस्था के संस्थापक गोश्वामी सुशील जी महाराज, राजकुमार नागर,पंडित प्रदीप शर्मा, शेर सिंह भाटी, संरक्षक हरवीर मावी,नरेश गुप्ता,सुशील नागर, बालकिशन सफीपुर,सतीश भाटी, यशपाल भाटी,अध्यक्ष आनन्द भाटी,महासचिव ममता तिवारी,कोषाध्यक्ष अजय नागर, मिडिया प्रभारी धीरेंद्र भाटी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेश शर्मा बदौली, सुभाष भाटी, उमेश गौतम, पवन नागर, विजय अग्रवाल, रोशनी सिंह, चैनपाल प्रधान, मनोज गुप्ता प्रवीण भाटी, सत्यवीर सिंह मुखिया, सुनील बंसल, जितेंद्र भाटी, फिरे प्रधान, पीपी शर्मा, रकम सिंह, योगेंद्र नागर, अतुल आनंद, जयदीप सिंह, वीरपाल मावी, दिनेश गुप्ता, विमलेश रावल, मयंक चंदेल, यशपाल नागर, गीता सागर, ज्योति सिंह आदि पदाधिकारीगण मौजूद रहे।