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अन्नदाताओं की तरफ ध्यान आकर्षित करना-------------

चौधरी शौकत अली चेची
कृषि प्रधान देश भारत में जिस दर्द को लेकर किसान सोता है,  उसी दर्द को लेकर जागता है । आखिर कौन सुनेगा किसान की, आखिर अन्नदाता की भरपाई के लिए सरकारों से कब तक उम्मीद करनी है । केवल झूठे और खोखले वादे लफबाजी भाषण के सिवा कुछ नहीं मिलता है।
किसान को उसके माल की कीमत नहीं मिलना अपने हक अधिकार के लिए सड़कों पर उतरे तो जिल्लत ,अपमानित लाठी डंडे झूठे मुकदमे के सिवा कुछ नहीं मिलता। ऊपर से कुदरती मौसम की मार सुखा,  बाढ़ ,बेमौसम बरसात ,ठंड एवं कोहरा फसलों में खरपतवार एवं कीट पतंगा से नुकसान व बीमारी मवेशियों से लगभग 35% लाभ मिलता था। मगर सरकार ने आवारा पशु बनाकर दुश्मन बना दिया। इन सभी समस्याओं ने अन्नदाता की कमर तोड़ देती है जिसके कारण देश में हर वर्ष लगभग 12000 किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
टीवी चैनलों पर सत्ता पक्ष विपक्ष चुनाव जीतने के लिए जाति और धर्म का देशवासियों को चश्मा लगाते रहते  हैं लेकिन देश की रीड कहा जाने  वाले अन्नदाताओं को हर वर्ष  फसलों में लाखों करोड़ रुपए का नुकसान हो जाता है। उनके लिए सरकारे कोई सुविधा या कोई अनुदान राशि नहीं देती हैं । हर वर्ष भारी बारिश के कारण घर परिवार में जान माल की भारी छती होती है।  किसानों के परिवारों से हजारों जिंदगी काल के गाल में समा जाती हैं, लेकिन इस नाजुक स्थिति में भी सरकारे झूठे आश्वासन के सिवा कुछ नहीं देती, वाहवाही लूटने के लिए अनुदान नहीं देना पड़े  कठिन नियम लगा देते हैं । सत्ता में बैठे लोग नेताओं की सुविधा के लिए विपक्ष की सहमति से लाभकारी नियम तुरंत लागू कर देते हैं।
सभी फसलों पर MSP  गारंटी कानून बने लंबे समय से किसानों की मांग चली आ रही है। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने मनमोहन सरकार को लेटर लिखा, सभी फसलों पर MSP  गारंटी कानून बनना चाहिए। 2014 लोकसभा चुनाव में देश की जनता ने एवं किसानों ने विश्वास किया कि MSP गारंटी कानून बना देंगे ,नरेंद्र मोदी जी को प्रधानमंत्री बना दिया। 
मोदी जी ने अपने शासनकाल में लगभग 24 लाख करोड रुपए उद्योगपतियों का माफ कर दिया। सभी फसलों के उचित दाम नहीं मिलने के कारण लगभग 50 लाख करोड रुपए किसानों का व्यापारी एवं सरकार मिलकर गबन कर गए। किसानों को और बर्बाद करने के लिए मोदी सरकार 2020 में तीन कृषि काले कानून लेकर आ गई, जिसमें 13 महीने तक किसानों ने बिल का विरोध किया। शांति प्रिय धरने के समय लगभग 850 किसान धरने में शहीद हो गए तथा सत्ता पक्ष के लोगों ने गाड़ी से कुचलकर कई किसानों को शहीद कर दिया। लगभग 25000 किसानों पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए गलत शब्दों का प्रयोग कर अपमानित किया ।किसानो की 17 जायज मांग थी आज तक ठंडे बसते में पड़ी है।
इस समय उत्तर प्रदेश में उपचुनाव हैं तथा हरियाणा एवं जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हैं। सिंधु बॉर्डर पर आज भी किसान धरने पर बैठे हैं और कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव आने वाले हैं, लेकिन सभी पार्टिया चुनाव जितने में व्यस्त हैं। कई दिनों से बेमौसम बरसात ने कई राज्यों में तहलका मचा रखा है बरसात के कारण किसानों के मकान गिर रहे हैं ,सैकड़ो लोगों की मृत्यु हो गई एवं सैकड़ो से ज्यादा मवेशी मर गए तथा भ्रष्टाचार व महंगाई लगातार बढ़ रही है एवं किसानों की फसलों में जिसमें अनाज, दलहन, तिलहन, चारा, फल, सब्जी, में भारी नुकसान की संभावना है। इसीलिए सत्ता पक्ष एवं विपक्ष तथा बुद्धिजीवियों को अन्नदाताओं की तरफ ध्यान आकर्षित करना चाहिए जो लगातार बारिश के कारण किसानों का हर तरफ से नुकसान हो रहा है ।सर्वे का कार्य शुरू कराकर अन्नदाताओं की हर संभव मदद कर पुण्य का कार्य करना चाहिए ।
जय जवान, जय किसान । हम सब का भारत देश महान, सत्ता में बैठे नेता करले ध्यान।

लेखक:- चौधरी शौकत अली चेची,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ,भाकियू (अंबावता) एवं  पिछड़ा वर्ग उo प्रo सचिव (सपा) हैं।