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श्री कृष्ण जी की यादों को ताजा कर देती है,दही, हांडी की मटकी फोड़ने की रस्म

चौधरी शौकत अली चेची
जन्माष्टमी मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है समझने के लिए बुद्धिजीवियों द्वारा कई उद्देश्यों से दर्शाया गया है। वैसे तो सभी जाति धर्मों  के हजारों त्यौहार हर साल मनाए जाते हैं, पवित्र त्योहारों से अच्छी सीख परंपरा खूबसूरती बलिदान त्याग मान्यता भाईचारा सम्मान मानवता तथा ज्ञान की तरक्की होती है। जन्माष्टमी मुख्यत  श्री कृष्ण जी के जन्म से जुड़ी मानी जाती है। माना जाता है कि श्री कृष्ण जी का जन्म द्वापर युग में भगवान विष्णु जी के आठवें अवतार के रूप में 570 ईसा पूर्व मथुरा में हुआ। श्री कृष्ण जी के बाद कोई अवतार धरती पर नहीं उतरे हैं । धरती पर बढ़ते अधर्म से भगवान विष्णु जी ने श्री कृष्ण जी का अवतार लिया । श्रावण माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी मध्य रात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा की भूमि पर पूर्णावतार कहा जाता है । भविष्य पुराण के अनुसार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी जन्माष्टमी तिथि को मध्य रात्रि के रोहिणी नक्षत्र में श्री कृष्ण का जन्म हुआ। इसलिए जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा नगरी भक्ति के रंगों से सराबोर हो उठती है। जन्माष्टमी भारत में ही नहीं विदेशों में भी आस्था व उल्लास से मनाई जाती है , पूरे दिन नर नारी बच्चे व्रत रखते हैं रात्रि 12:00 बजे मंदिरों में अभिषेक होने पर पंचामृत ग्रहण कर व्रत खोलते हैं । बताया जाता है कि श्री कृष्ण जी, देवकी व वासुदेव के आठवें पुत्र थे, मथुरा नगरी का राजा देवकी का भाई कंस  जो बहुत अत्याचारी था। देवकी को बड़े हर्ष के साथ डोली में देवकी की ससुराल विदा करने पर आकाशवाणी हुई कि जिस बहन को तू विदा कर रहा है, उसकी आठवीं संतान द्वारा मारा जाएगा। कंस ने देवकी व वासुदेव को काल कोठरी में डाल दिया। जन्म लेते रहे 7 बच्चों  को कंस ने मार डाला। श्री कृष्ण जी के जन्म पर घनघोर वर्षा हो रही थी ,देवकी व वासुदेव की बेड़ियां खुल गई। कारागार खुल गए ,पहरेदार गहरी नींद में सो गए, वासुदेव ने सूप में कृष्ण जी को लेकर उफनती यमुना को पार कर गोकुल में अपने मित्र नंद गोप के घर ले गए। नंद की पत्नी यशोदा को कन्या पैदा हुई थी ,वासुदेव जी ने श्री कृष्ण को यशोदा के पास सुलाकर ,कन्या को ले आए। कंस ने कन्या को मारना चाहा, लेकिन असफल रहा । कन्या कंस के हाथों से छूट कर आकाश की तरफ चली गई । कन्या ने कहा तेरे मारने वाला गोकुल में पैदा हो चुका है। बाल अवस्था में कंस के भेजे हुए बहुत सारे राक्षसों को श्री कृष्ण ने बार-बार मारा। अंत में श्री कृष्ण ने कंस का वध किया तब से जन्माष्टमी मनाई जाती है।  गोकुल में यह त्यौहार गोकुलाष्टमी के नाम से मनाया जाता है । श्री कृष्ण जी हांडी से माखन चुराते थे ,दही हांडी की मटकी फोड़ने की रसम इस पर्व पर कृष्ण जी की यादों को ताजा कर देती है। सभी पुराणों एवं जन्माष्टमी संबंधित ग्रंथों से स्पष्ट है कृष्ण जन्म के संपादन का प्रमुख समय श्रावण कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि यदि पूर्णिमातं होता है ,तो भाद्रपद में किया जाता है। यह तिथि दो प्रकार की होती है, नंबर 1 बिना रोहिणी नक्षत्र, नंबर 2 रोहिणी नक्षत्र। इस प्रकार जन्माष्टमी विचार अनुसार 2 दिन मनाई जाती है। श्री कृष्ण जी ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन का सारथी बनकर पांडवों को जीत दिलाई तथा द्रौपदी का भाई बनकर द्रोपदी चीरहरणें मे कौरवों से लाज बचाई। सुदामा की मित्रता को राजकीय सम्मान दिया तथा सुदामा की गरीबी को दूर करने के लिए अपने राज्य का कुछ हिस्सा देकर मालामाल किया। लेखों के अनुसार श्री कृष्ण जी विष्णु जी के अवतार यदुवंशी कहलाए जाते हैं।  राधा जी गुर्जर  चेची महालक्ष्मी का रूप राधा कृष्ण एक है, कहलाई जाती हैं। यह  एक अलग विषय है कि हजरत मोहम्मद साहब इस्लाम के आखिरी नबी उनके जन्मदिन के अवसर पर (12 वफात) के रूप में त्योहार मनाया जाता है जो श्री कृष्ण जी व हजरत मोहम्मद साहब के बारे में ग्रंथों द्वारा प्रकाशित लेखों को एक जैसा जोड़ता प्रतीक होता है। ज्योतिष के अनुसार अष्टमी तिथि आज ही  6 सितंबर 2023 को शाम 3:37 से शुरू होकर 7 सितंबर को शाम 4:14 पर समाप्त होगी। इसीलिए  दोनों दिन जन्माष्टमी मना सकते हैं । वही रोहिणी नक्षत्र 6 सितंबर को जन्माष्टमी के दिन सुबह 9:20 से शुरू अगले दिन 7 दिसंबर को सुबह 7:25 पर खत्म होगा। ग्रस्त जीवन वालों के लिए 6 सितंबर को जन्माष्टमी का व्रत रखना शुभ माना गया है तथा वैष्णव संप्रदाय को मानने वाले लोग कान्हा का जन्मोत्सव 7 सितंबर 2023 को मनाएंगे।
लेखक:-चौधरी शौकत अली चेची, राष्ट्रीय महासचिव ,भाकियू (बलराज) है।