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गैंगेस्टर अधिनियम की पत्रावली में कमी बताने पर संयुक्त निदेशक अभियोजन को धमकाया


पुलिस पर गुंडई का आरोप :-पुलिस अधीक्षक ने हथियार बंद पुलिस कर्मियों के साथ जनपद के अभियोजन कार्यालय में जाकर अभियोजन विभाग के संयुक्त निदेशक को गाली गलौज देते हुए अभद्रता की
विजन लाइव/ गोंडा
जनपद गोंडा में अपने तरह का अनोखा प्रकरण प्रकाश में आया है जहां आपराधिक मामलों की पत्रावलियों में कानूनी रुप से कमी निकालने से नाराज़ होकर जनपद के पुलिस अधीक्षक ने हथियार बंद पुलिस कर्मियों के साथ जनपद के अभियोजन कार्यालय में जाकर अभियोजन विभाग के संयुक्त निदेशक को गाली गलौज देते हुए अभद्रता की। संयुक्त निदेशक द्वारा गाली गलौज करने से मना करने पर उन्हें वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा जान से मारने की भी धमकी दी। यह घटना दिनांक ११/०५/२०२३ को सुबह उस समय हुई जब संयुक्त निदेशक गोंडा राम अचरज चतुर्वेदी लगभग १०.३० बजे अपने कार्यालय में बैठे न्यायालय में नियत मामलों की नियमित समीक्षा करते हुए कनिष्ठ अधिकारियों से बात कर रहे थे तथा शासन को भेजे जाने वाली सूचनाएं तैयार कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और शासन के निर्देशानुसार पुलिस द्वारा आपराधिक अभियोग चलाने वाली पत्रावलियों में अभियोजन विभाग से विधिक अभिमत लिया जाता है। कानून के विशेषज्ञ अभियोजन विभाग के अधिकारी पत्रावलियों का विधिक परीक्षण करते हुए आवश्यक सुझाव पुलिस को देते हैं, जिससे अपराधी किसी कानूनी कमी का लाभ लेकर छूट न जाए। अभियोजन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कभी कभी कानूनी जानकारी के अभाव में पुलिस की विवेचना में कमी रह जाती है। विधिक अभिमत लेकर वो कमी पूरी कर दी जाती है। कभी कभी शासन के निर्देश पर पुलिस को मजबूरी में कार्यवाही तो करनी पड़ती है लेकिन पुलिस जब अपराधी को लाभ पहुंचाना चाहती है तो अपनी कार्यवाही में जानबूझकर कुछ कमी छोड़ देती है, जिसका लाभ अभियुक्त को मिलता है, और सरकार की प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुंचता है। ऐसी कमियों को इंगित करके दूर करने की रिपोर्ट जब अभियोजन के अधिकारी देते हैं तो उनका यह काम पुलिस को अच्छा नहीं लगता। पुलिस अपने मन का विधिक अभिमत चाहती है। इस घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में भी यही मुख्य कारण है। गोंडा के पुलिस अधीक्षक को एक मामले में उच्च न्यायालय खण्डपीठ लखनऊ में २५ मई को तलब किया गया है। पुलिस अधीक्षक अपनी इस तलबी से भी बहुत नाराज़ हैं। अपनी तलबी के लिए उच्च न्यायालय की कार्यवाही पर अभद्र टिप्पणी करते हुए उसके लिए संयुक्त निदेशक अभियोजन को जिम्मेदार बताकर उनके विरुद्ध उच्च स्तर से कार्यवाही कराने की धमकी भी दी। संयुक्त निदेशक अभियोजन अथवा उनके अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा केवल जनपद न्यायालय तक ही पैरवी की जाती है। उच्च न्यायालय में वे मुकद्दमे नहीं करते। पुलिस अधीक्षक गोंडा आकाश तौमर के इस कृत्य से जनपद गौंडा के अभियोजन विभाग के सभी अधिकारी बुरी तरह डरे सहमे हुए हैं। उनको भय है कि उनके द्वारा प्रेषित कानूनी परीक्षण की कोई आख्या यदि पुलिस के मनोनुकूल न हुई तो पुलिस अधीक्षक उन्हें कोई भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। संयुक्त निदेशक चतुर्वेदी द्वारा इस घटना की शिकायत अभियोजन अधिकारी संघ के पदाधिकारियों के माध्यम से शासन में की है। पुलिस अधीक्षक गोंडा के इस दुर्व्यवहार से पूरे प्रदेश के अभियोजन विभाग के अधिकारियों में आक्रोश व्याप्त है। पुलिस अधीक्षक गोंडा आकाश तोमर का पक्ष जानने की कोशिश की गई है , किंतु बाते नहीं हो सकी है, जैसे ही उनका पक्ष सामने आएगा, उसे भी प्रकाशित किया जाएगा। वही उ.प्र. अभियोजन विभाग के विभागाध्यक्ष आशुतोष पाण्डेय के मुख्यालय से बाहर होने के कारण उनसे सम्पर्क नहीं हो सका।