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सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में झोल---- मेडिकल लीगल केस के लिए दनकौर सरकारी अस्पताल पर निर्भर है, ग्रेटर नोएडा के 5 थानो की पुलिस

 


सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में झोल---- मेडिकल लीगल केस के लिए दनकौर सरकारी अस्पताल पर निर्भर है, ग्रेटर नोएडा के 5 थानो की पुलिस

एमएलसी करने के लिए डॉक्टरों की टीम पूरे 24 घंटे तैनात रहती हैं। रात में एमएलसी आती है, दिन निकलते ही एक्सीडेंटल केस जाते हैं। इसके अलावा पुलिस के द्वारा 151 और अन्य विवाद के मामलों के मुल्जिम भी आते हैं। थानों का लोडा ज्यादा है, नॉलेज पार्क और बीटा-2 थाने शहर के हैं यहां अक्सर स्टूडेंट है, लडाई झगडे, अल्कोहल, सुसायड आदि से संबंधित मामले ज्यादा होते हैं। रेप और कई दूसरे मामलों के पीडित और मुल्जिम भी यहां आते हैं। कुल मिला कर यहां हर रोज एमएलसी की संख्या 10 से लेकर 15 तक पहुंच ही जाती है।

 



मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/ग्रेटर नोएडा

गौतमबुद्धनगर में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में भारी झोल देखने को मिल रहा है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बात करें तो गौतमबुद्धनगर के नोएडा में जिला अस्पताल और कासना में राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी सरकारी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल जिम्स भी है। इसके अलावा भंगेल, दादरी, डाढा और जेवर में सीएचसी यानी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। बिसरख, दनकौर में ब्लाक स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। ब्लाक स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर उप स्वास्थ्य केंद्र भी हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा शहरी आबादी की बात करें तो सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से लोग महरूम हैं और प्राईवेट और निजी चिकित्सकों पर निर्भर हैं। बिसरख से लेकर कासना तक एक बडी आबादी है जहां सीएचसी यानी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की सख्त जरूरत है। सुरजपुर में पहले आयुवेर्दिक चिकित्सालय चलता था, मगर अब सरकारी चिकित्सक का कोई अता पता है और ही चिकित्सालय का। यही नोएडा का हाल है, यहां जिला अस्पताल तो है, मगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एक निश्चित आबादी पर नही है। यहां भी गरीब और मजदूर लोगों को महंगे निजी हॉस्पिटलों में लुटने को मजबूर होना पडा रहा हैं। यहां हम बात करें दनकौर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की तो ब्लाक स्तरीय इस स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत करीब 133 गांव आते हैं। दनकौर ब्लाक ऐरिया में बिलासपुर, मंडीश्याम नगर, रामपुर खादर और बदौली में उप प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। दनकौर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को उच्चीकृत करते हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाए जाने की मांग वर्षो पुरानी है।





कई बार यहां पर प्रमुख सचिव और गौतमबुद्धनगर जिले के नोडल अधिकारी द्वारा दौरा किया गया और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाए जाने की मांग पर मुहर भी लगी, किंतु भूमि उपलब्ध होने के चलते हुए यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। सूत्रों की माने तो अमरपुर गांव के समीप सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाए जाने के लिए भूमि उपलब्ध कराए जाने की मंशा शासन की ओर से तय हो चुकी है। ग्रामीण क्षेत्र होने के नाते दनकौर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर हर रोज ओपीडी की संख्या सैकडों में होती है। बीमारी यानी विपरीत मौसम में यह ओपीडी संख्या बढ कर कई गुना हो जाती है, यही कारण है कि दनकौर के इस सरकारी अस्पताल को पीएचसी से सीएचसी किए जाने की मंशा शासन की भी है। दूसरी ओर ग्रेटर नोएडा शहर में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के पंगु होने का सबसे ज्यादा खमियाजा भी दनकौर को ही भुगतना पडा रहा हैं। ब्लाक वैसे यहां से खत्म हो चुका है किंतु सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के नाते यहां पर कई तरह की सेवाएं जैसे नंसबंदी शिविर और प्रसूति गृह, टीकाकरण आदि आज भी चल रही है। जिले की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में चल रहे झोल का ही नतीजा है कि उल्टा ग्रेटर नोएडा शहर के थानों तक से मुल्जिम मेडिकल लीगल केस यानी एमएलसी के लिए यहां आते हैं। सूत्रों की बात माने तो ग्रेटर नोएडा शहर के थाना बीटा-2, थाना नॉलेज पार्क, थाना कासना, थाना ईकोटेक-1 तक से मुल्जिम यहां एमएलसी कराने के लिए आते हैं। यह उल्टी गंगा बहने वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। ग्राम डाढा में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और वहीं कासना में राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान है मगर मुल्जिम यहां के थानों से दनकौर प्राथमिक स्वास्थ्य केद्र पर ही आते हैं। इन मुल्जिमों में ऐसे मुल्जिम होते हैं जिन्हें पुलिस कोर्ट के सामने पेश करती है, मेडिकल किया जाना जरूरी होता है।

कई मुल्जिम ऐसे होते हैं पुलिस यातायात चैकिंग के दौरान अल्कोहल की जांच कराती है। शराब पी है, या नही, इस बात की भी जांच डॉक्टर को ही करनी होती है ऐसे लोग भी यहां आते हैं। इसके अलावा लडाई झगडे में पुलिस अमूमन 151 में पांबद करती है तो इनका भी मेडिकल होता है। वहीं एक्सीडेंटल केस के अलग लोग होते हैं। यमुना एक्सप्रेस-वे और नोएडा- ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे का ज्यादातर इलाका इन थानों से ही होकर गुजरता है। सैक्सुल हरसमेंंट यानी शौन अपराधों से संबंधित इन थानों के मुल्जिमों का मेडिकल भी यहीं होता हैं। सबसे पेचीदा स्थिति उस समय होती है इन मुल्जिमांं को यहां लाने में सिपाहियों को नाको चने चबाने होते हैं। सीधी कोई बस सुविधा दनकौर के लिए उपलब्ध नही है, ऐसी स्थिति में सिपाहियों को ऑटो आदि का सहारा लेना पडता हैं। ऐसी स्थिति में कई बार मुल्जिमों द्वारा सिपाहियों को चकमा देकर भागते हुए भी देखा गया है।

दनकौर प्राथमिक स्वास्थ्य केद्र पर स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से संचालितः डा0 नारायण किशोर प्रभारी चिकित्साधिकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद दनकौर

दनकौर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्साधिकारी डा0 नारायण किशोर ने ’’विजन लाइव’’ को बताया कि दनकौर प्राथमिक स्वास्थ्य केद्र पर स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से संचालित है और लोगांं को पूरा लाभ दिया जा रहा है। यहां 2 डॉक्टर, 1 फार्मासिस्ट, 2 स्टॉफ नर्स,2 स्वीपर, 1 वार्ड बॉय, 1 वार्ड आया, 1 चपरासी, 27 एएनम दनकौर ग्रामीण, 16 एएनएम ग्रेटर नोएडा सिटी आदि स्टॉफ तैनात है। उन्होंने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर महिलाओं की नसबंदी,प्रजनन यानी प्रसूति गृह, नेत्र रोग चिकित्सा, टीकाकरण, खून पेशाब आदि की जांच, एक्सरे, सिटी स्केन आदि की सुविधाएं लोगों को दी जा रही हैं। ब्लाक ऐरिया के बिलासपुर, मंडी श्याम नगर, चीती और बादौली में भी प्राथमिक चिकित्सा केंद्र संचालित हैं। 


दिनांक 06-12-2022 को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दनकौर पर महिला नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया जिसमें कुल 30 महिलाओं ने नसबंदी हेतु रजिस्ट्रेशन किया। इनमेंं 28 महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन  सकुशल संपन्न किया जा चुका है। इस मौके पर स्वास्थ शिक्षा अधिकारी आलोक सिंह तथा समस्त आशा एन एम एवं संगिनी ने सहयोग किया। मेडिकल लीगल केस यानी थानों से एमएलसी के सवाल पर प्रभारी चिकित्साधिकारी डा0 नारायण किशोर ने बताया कि यहां पर एमएलसी करने के लिए डॉक्टरों की टीम पूरे 24 घंटे तैनात रहती हैं। रात में एमएलसी आती है, दिन निकलते ही एक्सीडेंटल केस जाते हैं। इसके अलावा पुलिस के द्वारा 151 और अन्य विवाद के मामलों के मुल्जिम भी आते हैं। थानों का लोडा ज्यादा है, नॉलेज पार्क और बीटा-2 थाने शहर के हैं यहां अक्सर स्टूडेंट है, लडाई झगडे, अल्कोहल, सुसायड आदि से संबंधित मामले ज्यादा होते हैं। रेप और कई दूसरे मामलों के पीडित और मुल्जिम भी यहां आते हैं। कुल मिला कर यहां हर रोज एमएलसी की संख्या 10 से लेकर 15 तक पहुंच ही जाती है।