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गडबडझाला या फिर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की चूक ........ पहले मकान तोडा दिया, फिर तोडे गए मकान का मुआवजा दिया छह लाख तीन हजार दो सौ पचपन रूपया

 

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गडबडझाला या फिर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की चूक ........ पहले मकान तोडा दिया, फिर तोडे गए मकान का मुआवजा दिया छह लाख तीन हजार दो सौ पचपन रूपया

पीडित भारत सरकार के सेवानिवृत्त एक दिव्यांग सहायक अनुभाग अधिकारी है, यह मामला ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र के खैरपुर गुर्जर गांव का है

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मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/ग्रेटर नोएडा

ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में पहले मकान तोडा दिया गया और फिर तोडे गए मकान का मुआवजा छह लाख तीन हजार दो सौ पचपन रूपया दिया गया। इस मकान की जगह एक नेता को बसा दिया गया जब इस बात की शिकायत की गई तो नेता की लीज निरस्त कर दी गई। किंतु तोडे गए मकान की जमीन वापस नही दी गई है। पीडित भारत सरकार के सेवानिवृत्त एक दिव्यांग सहायक अनुभाग अधिकारी है। यह मामला ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र के खैरपुर गुर्जर गांव का है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यापालक अधिकारी को एक शिकायती पत्र देते हुए तोडे गए मकान की जगह को वापस दिलाने की मांग गई है।

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ग्राम खैरपुर गुर्जर निवासी सूरज सिंह ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यापालक अधिकारी को लिखे पत्र में अवगत कराया है कि वह 60 प्रतिशत दिव्यांग भारत सरकार से सहायक अनुभाग अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त एक वरिष्ठ नागरिक हैं। गाँव खैरपुर गुर्जर के खसरा सं0 172 में 1265 वर्ग मीटर प्लाट में निजी मकान बना हुआ था। उक्त प्लाट उनकी पत्नी धर्मवती के नाम रहा है। इस मकान में कई वर्षों से रह रहे थे। मकान की जगह ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की किसी सरकारी योजना में नहीं रही थी और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की 101वीं बोर्ड बैठक के मद सं0 58 क्रम सं0.6 पर लीज बैंक किये जाने के लिए प्रस्तावित थी। इतना सब होने के बाद भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकारण ने एक किसान नेता को फायदा पहुचाने की मंशा से मकान को तोड डाला। शिकायतकर्ता सूरज सिंह ने शिकायत पत्र में यह भी अवगत कराया है कि उनके इस मकान के साथ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने कई किसानों के मकान भी तोड डाले थे। इतना ही नही मकान तोडे जाने के बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने किसान नेता को बैकलीज कर दी। बैकलीज के क्रम में तत्कालीन तहसीलदार द्वारा कई तथ्यों को छुपाया गया। जब इस बात की शिकायत ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के आला अधिकारियों से की गई तो हडबडाए तत्कालीन तहसीलदार द्वारा बैकलीज रद्द कर दी गई।

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साथ ही तोडे गए मकान की जमीन को वापस दिए जाने का वायदा भी किया गया। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अफसरों की जब गर्दन फंसने लगी तो तोडे गए मकान का मुआवजा 6 लाख 3 हजार 2 सौ 55 रूपया भी दिया गया। गांव ऐसे जिन लोगों के मकान तोडे गए थे उन्हें भी मुआवजा दिया गया। शिकायतकर्ता सूरज सिंह ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यापालक अधिकारी से मांग की है कि  जब मेरी जमीन छोडी गई थी तब मुझे शिफ्ट करने की कोई बात नही थी। फिर खसरा सं0 172 में मुझे दी जाने वाली 1265 वर्ग मीटर जमीन से काफी ज्यादा जमीन बची है तो मुझे दूसरे खसरा सं0 152 में क्यों शिफ्ट किया जा रहा है, एसा करना मेरे साथ सरासर अन्याय है। अतः मेरा प्लाट खसरा सं0 172 में ही पहले जैसा मुझे दिया जाये क्यूकि खसरा सं0 172 में काफी जमीन बची पडी है।