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हिंदी आंदोलन, शुद्धि आंदोलन, राष्ट्र रक्षा,गौ रक्षा आंदोलन आदि के महान कार्य करने का एक शानदार इतिहास है, आर्य समाज के पासः स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज

 

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गुरुकुल मुर्शदपुर में चल रहा 21 दिवसीय चतुर्वेद पारायण महायज्ञ संपन्न

स्वामी कर्मवीर जी महाराज ने अहवान किया कि भारत की वैदिक परंपरा के साथ जुड़कर राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करें

विजन लाइव/ग्रेटर नोएडा

गौतमबुद्धनगर के मुर्शदपुर गुरुकुल में चल रहे 21 दिवसीय चतुर्वेद पारायण महायज्ञ का समापन 21 सितंबर-2022 को हो गया। इस अवसर पर देश के विभिन्न अंचलों से चलकर विभिन्न विद्वानों का सानिध्य लोगों को प्राप्त हुआ। आर्य जगत के महान सन्यासी स्वामी कर्मवीर जी महाराज, स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज सहित राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आनंद कुमार का संबोधन, उद्बोधन और प्रवचन लोगों को सुनने का अवसर प्राप्त हुआ।

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स्वामी कर्मवीर जी महाराज ने इस अवसर पर लोगों का आवाहन किया कि वे यज्ञ की भारत की वैदिक परंपरा के साथ जुड़कर राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करें। उन्होंने कहा कि भारत के ऋषियों ने संसार की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाए रखने के लिए यज्ञ जैसी पवित्र परंपरा का आविष्कार किया, जिसके आधार पर संसार लाखों करोड़ों वर्ष तक सुव्यवस्थित होकर आगे बढ़ता रहा। इसी प्रकार अपने संबोधन में स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज ने कहा कि इस समय आर्य समाज को फिर से राष्ट्र के लिए समर्पित होकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हिंदी आंदोलन, शुद्धि आंदोलन, राष्ट्र रक्षा,गौ रक्षा आंदोलन आदि के महान कार्य करने का एक शानदार इतिहास आर्य समाज के पास है। आज समय गया है कि हम फिर इस ओर विशेष कार्य करने के लिए अपने आप को संकल्पित करें। स्वामी जी महाराज ने कहा कि जब तक हमको स्वबोध नहीं होगा तब तक राष्ट्रबोध नहीं हो सकता और राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता, अपने भीतर स्वबोध जगाने के लिए आवश्यक है कि हम हिंदी के प्रति समर्पित हो। 

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राष्ट्र निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आनंद कुमार ने इस अवसर पर कहा कि इस समय आर्य समाज के लिए सबसे बड़ी चुनौती राष्ट्र रक्षा की है। राष्ट्र रक्षा के लिए बड़ी यज्ञ वेदी सजाकर उस पर देशभक्ति के मंत्रों के साथ आहुति देना समय की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर अफसोस व्यक्त किया कि वर्तमान नेतृत्व महर्षि दयानंद के सपनों का भारत बना कर पाखंड अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहा है। यह हमारे लिए बड़ी चुनौती है कि हम पाखंड और अंधविश्वास से ग्रस्त विचारधारा को हटाकर आर्यों की विचारधारा के अनुकूल देश में अपना शासन स्थापित करें। आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान महेंद्र सिंह आर्य ने कहा कि यज्ञों की परंपरा को अपनाकर परिवार समाज राष्ट्र सभी स्वस्थ रहते हैं। इसलिए प्राणी मात्र का हित चिंतन करते हुए इस परंपरा से हमें सब को जोड़ना चाहिए। इस यज्ञ के अध्यक्ष रहे देव मुनि जी महाराज ने सभी उपस्थित महानुभावों का हृदय से धन्यवाद ज्ञापित किया और सभी से इस गुरुकुल को आर्यों का एक तीर्थ स्थल बनाने की अपील करते हुए कहा कि ऋषि परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए सब मिलकर कृण्वंतो विश्वमार्यम् के प्रति लक्ष्य निर्धारित करें। उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन देवेंद्र सिंह आर्य ने कहा कि गुरुकुल शिक्षा पद्धति से ही देश का कायाकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा कि गुरुकुल की शिक्षा से संस्कृत समाज बनाने में सहायता मिलती है और किसी भी देश समाज राष्ट्र की उन्नति का आधार शिक्षित संस्कारित समाज ही हो सकता है। आर्य प्रतिनिधि सभा के कोषाध्यक्ष आर्य सागर खारी ने कहा कि आर्यों के इस तीर्थ स्थल बने गुरुकुल में यज्ञ की यह परंपरा निरंतर जारी रहेगी और यहां पर इसी प्रकार के कुंभ प्रतिवर्ष मना कर देश को आर्यों की संस्कृति में ढालने का हर संभव प्रयास किया जाएगा। अपने अध्यक्षीय संबोधन में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सरपंच रामेश्वर सिंह ने कहा कि पूरा जनपद गौतमबुद्धनगर यज्ञ की संस्कृति में रंग चुका है, क्योंकि पूरे अक्टूबर माह में और उसके पश्चात नवंबर माह में भी यहां पर यज्ञों की धूम मची रहेगी। उन्होंने ऐसे परिवारों के प्रति आभार व्यक्त किया जो यज्ञ की इस परंपरा को अपनाकर आगे बढ़ाने में अपना सहयोग दे रहे हैं।

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इस अवसर पर आचार्य प्राण देव, शिव मुनि जी महाराज, ओम मुनि जी महाराज, आचार्य दुष्यंत, डॉ राकेश कुमार आर्य, आचार्य विद्या देव, दिवाकर आर्य,विजेंद्र सिंह आर्य, प्रेमचंद आर्य, धर्मेंद्र कुमार आर्य, चरण सिंह आर्य,महेंद्र सिंह आर्य, इंजीनियर श्यामवीर सिंह भाटी, कमल सिंह आर्य, आर्य वीरेश भाटी अनेक आर्य समाज के पदाधिकारी उपस्थित रहे। यज्ञ के प्रति श्रद्धावान रविंद्र आर्य,महाशय किशन लाल आर्य, ब्रह्मपाल आर्य, जयप्रकाश आर्य जैसे लोगों ने भी अपना बढ़.चढ़कर सहयोग दिया। इस अवसर पर अनेक आर्य जनों के साथ साथ गुरुकुल के लिए दान देने वाले चिमन आर्य जी के परिवार के लोगों के साथ.साथ ग्राम इमलिया में नौ दिवसीय शारदीय यज्ञ का आयोजन करने वाले वहां के आर्य जनों की सारी टीम को भी सम्मानित किया गया।