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धरती पर बढ़ते अधर्म से भगवान विष्णु जी ने श्री कृष्ण जी का अवतार लिया

 

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पूरे दिन नर नारी बच्चे व्रत रखते हैं रात्रि 12.00 बजे मंदिरों में अभिषेक होने पर पंचामृत ग्रहण कर व्रत खोलते हैं

चौधरी शौकत अली चेची

 प्यारे भारत देश में वैसे तो सभी जाति धर्मों  के हजारों त्यौहार हर साल मनाए जाते हैं। इनमें श्री कृष्ण जन्माष्टमी मुख्यत भगवान श्री कृष्ण जी के जन्म से जुड़ी मानी जाती है। बताया जाता है कि श्री कृष्ण जी का जन्म द्वापर युग में भगवान विष्णु जी के आठवें अवतार के रूप में 570 ईसा पूर्व मथुरा में हुआ।

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श्री कृष्ण जी के बाद कोई अवतार धरती पर नहीं उतरे ऐसा भी माना जाता है। धरती पर बढ़ते अधर्म से भगवान विष्णु जी ने श्री कृष्ण जी का अवतार लिया। भविष्य पुराण के अनुसार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी जन्माष्टमी तिथि को मध्य रात्रि के रोहिणी नक्षत्र में श्री कृष्ण का जन्म हुआ। इसलिए जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा नगरी भक्ति के रंगों से सराबोर हो उठती है। जन्माष्टमी भारत में ही नहीं विदेशों में भी आस्था उल्लास से मनाई जाती है, पूरे दिन नर नारी बच्चे व्रत रखते हैं रात्रि 12.00 बजे मंदिरों में अभिषेक होने पर पंचामृत ग्रहण कर व्रत खोलते हैं। बताया जाता है श्री कृष्ण जी देवकी वासुदेव के आठवें पुत्र थे। मथुरा नगरी का युवराज देवकी का भाई कंस जो बहुत अत्याचारी था देवकी को बड़े हर्ष के साथ डोली में देवकी की ससुराल विदा करने जा रहा था कि अचानक आकाशवाणी हुई कि जिस बहन को तू विदा कर रहा है उसकी आठवीं संतान द्वारा मारा जाएगा। इस भविष्यवाणी से कंस इतना डर गया कि देवकी वासुदेव को काल कोठरी में डाल दिया और यहां तक जन्म लेते रहे 7 बच्चों  को कंस ने मार डाला। श्री कृष्ण जी के जन्म पर घनघोर वर्षा हो रही थी, देवकी वासुदेव की बेड़ियां खुल गई कारागार खुल गए पहरेदार गहरी नींद में सो गए। वासुदेव ने सूप में कृष्ण जी को लेकर उफनती यमुना को पार कर गोकुल में अपने मित्र नंद गोप के घर ले गए।
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नंद की पत्नी यशोदा को कन्या पैदा हुई थी, वासुदेव जी  श्री कृष्ण को यशोदा के पास सुलाकर कन्या को ले आए। कंस ने कन्या को मारना चाहा लेकिन असफल रहा। कन्या कंस के हाथों से छूट कर आकाश की तरफ चली गई। साथ ही आसमान से फिर भविष्यवाणी आई कि हे कंस तेरे मारने वाला गोकुल में पैदा हो चुका है। बाल अवस्था में कंस के भेजे हुए बहुत सारे राक्षसों को श्री कृष्ण ने बार.बार मारा अंत में श्री कृष्ण ने कंस का वध किया, तब से जन्माष्टमी मनाई जाती है। गोकुल में यह त्यौहार गोकुलाष्टमी के नाम से मनाया जाता है। श्री कृष्ण जी हांडी से माखन चुराते थे, दही हांडी की मटकी फोड़ने की रस्म इस पर्व पर कृष्ण जी की यादों को ताजा कर देती है। सभी पुराणों एवं जन्माष्टमी संबंधित ग्रंथों से स्पष्ट है कृष्ण जन्म के संपादन का प्रमुख समय श्रावण कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि यदि पूर्णिमातं होता है तो भाद्रपद में किया जाता है, यह तिथि दो प्रकार की होती है नंबर 1 बिना रोहिणी नक्षत्र और नंबर 2 रोहिणी नक्षत्र इस प्रकार जन्माष्टमी विचार अनुसार 2 दिन मनाई जाती है। श्री कृष्ण जी ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन का सारथी बनकर पांडवों को जीत दिलाई तथा द्रोपदी का भाई बनकर द्रोपदी चीर हरण में कौरवों से लाज बचाई।
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सुदामा की मित्रता को राजकीय सम्मान दिया तथा सुदामा की गरीबी को दूर करने के लिए अपने राज्य का कुछ हिस्सा देकर मालामाल किया। बताया यह भी जाता है कि श्री कृष्ण जी विष्णु जी के अवतार यदुवंशी कहलाए जाते हैं।  राधा जी गुर्जर  चेची महालक्ष्मी का रूप, राधा कृष्ण एक है कहलाई जाती हैं। इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी का यह त्यौहार 19 अगस्त-2022 और यहां तक 20 अगस्त-2022 को मनाया जाना तय है।

लेखकः-चौधरी शौकत अली चेची किसान एकता संघ के उत्तर प्रदेश हैं।