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मुकदमें में पक्ष को कमजोर साबित किए जाने के लिए पूर्व अधिवक्ता द्वारा ऐसा किया गया। प्राथमिकी दर्ज कराने के वास्ते कोई अर्जी दी ही नही तो खारिज की, बात कहां से आई, पूरे मामले की शिकायत पुलिस से की गई है। साथ ही पूर्व अधिवक्ता के इस कृत्य को लेकर बार कौंसिल ऑफ प्रयागराज का दरवाजा भी खटखटाया जा रहा हैं- विशेष त्यागी>
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/गौतमबुद्धनगर
पूर्व अधिवक्ता द्वारा विपक्षीगण से मिल कर वादी के साथ धोखाधडी किए जाने का मामला प्रकाश में आया हैं। वादी पक्ष ने जब अधिवक्ता बदल दिया तो पूर्व अधिवक्ता इतना चिढ गए कि विपक्षीगण से मिल गए और कोर्ट में 156(3 ) के तहत प्रार्थना पत्र दाखिल कर दिया। वहीं कोर्ट की ओर से 156(3 ) के तहत प्रार्थना पत्र को बलहीन मानते हुए निरस्त कर दिया गया। मुकदमें में पक्ष को कमजोर साबित किए जाने के लिए पूर्व अधिवक्ता द्वारा ऐसा किया गया। प्राथमिकी दर्ज कराने के वास्ते कोई अर्जी दी ही नही तो खारिज की, बात कहां से आई इस बात खुलासा हुआ तो मुदकमा लडे रहे पक्ष के पांवों तले से जमीन ही खिसक गई। यह मामला उत्तर प्रदेश के जिला बागपत से प्रकाश में आया है। न्यायालय श्रीमान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बागपत प्रार्थना पत्र संख्या 1234 सन 2020 विशेष कुमार त्यागी बनाम दुष्यंत उर्फ मन्नू त्यागी प्रार्थना पत्र अंतर्गत 156(3 ) सीआरपीसी थाना बागपत, जिला बागपत दिनांक 28/10/2020 को प्रस्तुत किया गया था। इस प्रार्थना पत्र अंतर्गत 156(3 ) सीआरपीसी थाना बागपत, जिला बागपत पर दिनांक 05/01/2021 को न्यायालय श्रीमान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बागपत ने आदेश सुनाया कि प्रार्थी का प्रार्थना पत्र अंतर्गत 156(3 ) सीआरपीसी बल न दिए जाने के कारण निरस्त किया जाता है। विशेष कुमार त्यागी के पिता हरिनिवास त्यागी का दुष्यंत उर्फ मन्नू त्यागी निवासी सुल्तानपुर सेक्टर 128 नोएडा, जिलाः- गौतमबुद्धनगर आदि विपक्षीण से जमीनी विवाद चल रहा है।
>इस मामले में पिता हरिनिवास त्यागी ने पैरवी हेतु बागपत जिला न्यायालय में एक अधिवक्ता को नियुक्त किया हुआ था। विशेष त्यागी के पिता के अधिवक्ता द्वारा विपक्षीगणों के खिलाफ न्यायालय सीजेएम बागपत में प्रार्थना पत्र अंतर्गत 156(3 ) सीआरपीसी विविध वाद संख्या 365/2021 हरिनिवास त्यागी बनाम दुष्यंत उर्फ मन्नू त्यागी आदि तैयार करा कर दायर किया था। इस मामले में माननीय सीजेएम बागपत द्वारा प्रार्थना पत्र अंतर्गत 156(3 ) सीआरपीसी को स्वीकार कर मुकदमा दर्ज किए जाने के आदेश दिए गए थे और जिसमें विवेचक द्वारा विवेचना अंतिम रिपोर्ट लगा कर माननीय सीजेएम न्यायालय में प्रेषित कर दी गई थी। साथ ही पूर्व अधिवक्ता द्वारा विशेष त्यागी के पिता हरिनिवास त्यागी के हस्ताक्षर करा कर प्रोटैस्ट प्रार्थना पत्र फाईनल रिपोर्ट के खिलाफ सीजेएम बागपत के न्यायालय में दिया गया। जिस पर माननीय सीजेएम न्यायालय बागपत द्वारा दिनांक 11/10/2021 को पिता का प्रोटैस्ट प्रार्थना पत्र निरस्त करते हुए फाईनल रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए पत्रावली दाखिल दफ़्तर किए जाने के आदेश पारित किए गए थे। >
तत्पश्चात विशेष त्यागी द्वारा उक्त अधिवक्ता को बदल दिया गया। नए अधिवक्ता के द्वारा विशेष त्यागी के पिता हरिनिवास त्यागी की ओर से सीजेएम बागपत द्वारा पारित आदेश दिनांक 11/10/2021 के खिलाफ फौजदारी निगरानी संख्या 111/2021 श्री निवास त्यागी बनाम दुष्यंत उर्फ मन्नू त्यागी आदि माननीय जिला एवं सत्र न्यायालय बागपत में योजित की गई। उक्त फौजदारी निगरानी संख्या 111/2021 में बहस हेतु दिनांक 06/07/2022 नियत थी। इसी दिनांक 6/07/2022 को विपक्षीगण के अधिवक्ता द्वारा फेहरिस्त सूची के साथ संलग्नक कुछ नकलें वादी हरिनिवास त्यागी के नए अधिवक्ता को न्यायालय में प्राप्त कराई तो देखनें से यह जानकारी हुई कि पूर्व अधिवक्ता द्वारा प्रार्थना पत्र 1234 सन 2020 अंतर्गत 156(3 ) सीआरपीसी विशेष कुमार त्यागी बनाम दुष्यंत उर्फ मन्नू त्यागी दिनांक 28/10/2020 को योजित किया गया। इस मामले में पीडित विशेष त्यागी पुत्र हरिनिवास त्यागी ने बताया कि पूर्व अधिवक्ता द्वारा न तो प्रार्थना पत्र पर उनका फोटो ही चस्पा किया गया और न ही वकालतनामों पर उनके कहीं भी हस्ताक्षर ही कराए गए। साथ ही प्रार्थना पत्र 1234 सन 2020 अंतर्गत 156(3 ) सीआरपीसी की ऑर्डर शीट पर कहीं पर भी उनके कोई हस्ताक्षर कराए गए हैं। >
बल्कि पूर्व अधिवक्ता द्वारा उनके वृद्ध पिता हरिनिवास त्यागी की ओर से पूर्व में दायर किए गए प्रार्थना पत्र अंतर्गत 156(3 ) सीआरपीसी के समय ही पैरवी हेतु उनके कुछ कोरे कागजों पर हस्ताक्षर करा अपने पास रख लिए थे। उन्ही कागजों का इस्तेमाल कर उन्हें(प्रार्थी) बगैर कोई सूचना दिए विपक्षीगण की शह पर और मुकदमें में हराने के उद्देश्य से फर्जी तरीके से प्रार्थना पत्र अंतर्गत 156(3 ) सीआरपीसी दिनांक 28/10/2020 को योजित किया गया। पीडित विशेष त्यागी ने यह भी बताया कि साजिश के क्रम में पूर्व अधिवक्ता द्वारा स्वयं ही स्थगन प्रार्थना पत्र दिया गया तथा अग्रिम तिथि 05/01/2021 को उक्त प्रार्थना पत्र अंतर्गत 156(3 ) सीआरपीसी नोटप्रेस कर लिया गया। जब कि पूर्व अधिवक्ता को उनकी पूरी फीस भी समय रहते हुए अदा कर दी गई थी। फीस के अतिरिक्त पूर्व अधिवक्ता के कहने पर एक सोफा सेट 7 सिटर मय मेज जिसकी कीमत अंकन 35000/- रूपये थी, दिलाया था जिसका पूरा पैसा पूर्व अधिवक्ता द्वारा एक सप्ताह के बाद लौटाने का वायदा किया गया था। मुकदमे में धोखाधडी के किए जाने के बावजूद अब पूर्व अधिवक्ता की ओर से सोफा सेट 7 सिटर मय मेज कीमत अंकन 35000/- रूपये मांगने पर जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। पीडित विशेष त्यागी ने बताया कि इस पूरे मामले की शिकायत पुलिस से की गई है। साथ ही पूर्व अधिवक्ता के इस कृत्य को लेकर बार कौंसिल ऑफ प्रयागराज का दरवाजा भी खटखटाया जा रहा हैं।