BRAKING NEWS

6/recent/ticker-posts

Header Add

चारों तरफ देखें तो आंसुओं के अंबार, पुरानी यादें, मन के अरमान, दिल और दिमाग में रहकर भीगी पलकों के समुंदर बन गए

 



 

हॉस्पिटलों में इलाज के नाम पर कालाबाजारी चल रही है। बैड, ऑक्सीजन और दवा तक मरीजों को मयस्सर नही हो पा रही है। दर्द उसी के होता है जिसे चोट लगती है ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती

 


 


सामाजिक, धार्मिक संस्थाएं आदि बगैर भेदभाव के खूब मद्द कर रही हैं, उन्हें दिल से सैल्यूट, विदेशी मुल्क बगैर भेदभाव के भारत की मद्द कर रहे हैं, उन्हें भी दिल से सैल्यूट 

 


चौधरी शौकत अली चेची

---------------------------कृषि प्रधान भारत देश मेंं जो जनप्रतिनिधि चुने जाते हैं, उनमें 545 सांसद, 245 राज्यसभा सांसद और 4120 विधायक कुल मिलाकर 4910 जनप्रतिनिधि जनता की आवाज बुलंद करने के लिए चुने जाते हैं अथवा मनोनीत किए जाते हैं। यह भी जानिए कि भारत के प्रधानमंत्री पर 24 घंटे में लाखों रुपए खर्च होते हैं जब कि अन्य सुविधाएं अलग हैं और यह सारा पैसा जनता की गाढी कमाई का होता है। सरकारी खजाने में यह पैसा ज्यादातर टैक्स के जरिए ही आता है। किंतु जब जनता संकट में होती है या फिर देश विपरीत परिस्थितियों में होता है। फिलहाल पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है। अस्पतालों से लेकर शमशान और कब्रिस्तानों से लाशों के ढेर लगे हुए हैं और एक तरह से पूरी मानवता रो रही है मगर क्या ऐसे संकट के समय इन जनप्रतिनिधियों को जनता के प्रति कोई भी कर्तव्य नही बनता है। जिस जनता की वोट की खातिर ये सदन में पहुचे उस जनता के प्रति कोई धर्म और दया नही है। फिर ये जन प्रधिनिधि क्यों जनता की मद्द के लिए आगे नही रहे हैं। ऐसे संकट के समय यदि जनप्रतिनिधि अपने व्यक्तिगत खाते से ही 5 लाख रुपए की मदद जरूरतमंद घर परिवारों को दे दें, तो कोरोना जैसी भयंकर बीमारी से लड़ने की शक्ति आसानी से प्राप्त हो जाएगी? यदि ऐसा हो जाए तो निश्चिततौर पर 2 अरब, 45 करोड़, 50 लाख रुपए एकत्र होंग। देश के प्रधानमंत्री व प्रदेशों के मुख्यमंत्री, सांसद विधायक ,राज्यसभा सांसद आदि अपने कर्तव्य का पालन करें तो ये एक पुण्य का काम हो सकता है। किंतु ऐसा हो नही रहा है और होना भी मुश्किल भी लग रहा है। यहां जनता के पैसे को चुनावी खर्च, विज्ञापन, विदेशी सैर सपाटा आदि में बर्बाद करने से कहां फुर्सत है? रोजी.रोटी रोजगार के लिए लड़ती जनता अब जान बचाने के लिए लड़ रही है। जाति धर्म की द्वेष भावना ने देश को हिला कर रख दिया है। बुद्धिहीन, मूर्खता वादी सोच आज भी अपनी बदी से बाज नहीं आ रही है। जाति धर्म के ठेकेदार मद्द करने के लिए क्यों आगे नही आ रहे हैं? हॉस्पिटलों में इलाज के नाम पर कालाबाजारी चल रही है। बैड, ऑक्सीजन और दवा तक मरीजों को मयस्सर नही हो पा रही है। दर्द उसी के होता है जिसे चोट लगती है ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती। कर्म का फल भोगना पड़ता है। आज नहीं तो कल समझना होगा। इतिहास के पन्नों में ऐसी सरकारों का जिक्र जरूर लिखा जाएगा। झूठ, गुमराह, नफरत की अनेकों कहानियां दर्ज होंगी, जो बर्बादी का कारण कहलाई जाएंगी। पूर्वजों की धरोहर खून पसीने की कमाई सब को बर्बाद कर देश जनता को भिकारी जैसा बना दिया। बताया जा रहा है निजी स्वार्थ में लगभग 1700 कानून बर्बादी के बना दिए।  भारत देश पर लगभग 600 मिलियन डॉलर का कर्ज हो चुका है। हक व सच्चाई की आवाज उठाने वाले देशद्रोही कहे जाते हैं या बना दिए जाते हैं। जाति धर्म की नफरत के बीच, गैर मुस्लिम सबसे ज्यादा बर्बाद हो रहे हैं। कौरोना भयंकर बीमारी में घर.घर में चारों तरफ से डर का माहौल बना हुआ है। बगैर इलाज के लोग अपनी जान गवा रहे हैं। घर परिवार के अंदर घर का मुखिया किसी की मां किसी की बहन किसी का भाई किसी का बेटा बेटी किसी की धर्मपत्नी किसी का रिश्तेदार किसी का दोस्त दुनिया छोड़ गया। चारों तरफ देखें तो आंसुओं के अंबार, पुरानी यादें, मन के अरमान, दिल और दिमाग में रहकर भीगी पलकों के समुंदर बन गए। चला गया जो दुनिया से नहीं लौटकर आता, ठोकर लगने पर भी मूर्ख ऊपर वाले को दोषी ठहराता है। टीवी चैनलों पर केवल एक दूसरे पर आरोप.प्रत्यारोप होते रहते हैं। सत्ता पक्ष झूठ की गठिया बांधकर देश के सामने परोस रही है। इस भयंकर परिस्थिति में सभी भारतवासी एक दूसरे का भाई बनकर एक दूसरे की संभव मदद करें मानवता का परिचय देकर भारतीय संस्कृति को उजागर कर देश भक्ति जगाएं। सामाजिक, धार्मिक संस्थाएं आदि बगैर भेदभाव के खूब मद्द कर रही हैं, उन्हें दिल से सैल्यूट, विदेशी मुल्क बगैर भेदभाव के भारत की मद्द कर रहे हैं, उन्हें भी दिल से सैल्यूट। देशवासियों पर मुसीबतों के पहाड़ आ रहे हैं, उन्हें घबराना नहीं है, हिम्मत और ऊपर वाले का नाम लेकर आगे बढ़ना है। जिंदगी चलती फिरती नैया की तरह है, कभी भंवर में कभी इस किनारे कभी उस किनारे हमें समझना होगा हम  एक दूसरे के सहारे सब के सहयोग से छठ जाएंगे गर्दिश के सितारे।  एलोपैथिक,  होम्योपैथिक,  आयुर्वेदिक, यूनानी आदि करोड़ों एक्सपर्ट तथा डॉक्टर अलग.अलग पद्धति के देश में मौजूद है।ं सोशल मीडिया आदि के माध्यम से अपने सुझाव अवश्य शेयर करने की कृपा करें, सभी सरकारें एक्सपर्ट डॉक्टरों को कोरोना भयंकर बीमारी में सहयोगी बनाएं।

लेखकः. चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन  (बलराज) के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष  हैं।