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गौतमबुद्धनगर के भट्ठा पारसौल में जयंत का भाजपा के खिलाफ शंखनाद

 


सरकार किसान आंदोलन को तोड़ने के लिए सारे हथकंडे अपना रही है मगर किसानों की एकता के सामने है, वो बेबसः जयंत चौधरी

 


मौहम्मद इल्यास/गौतमबुद्धनगर

गौतमबुद्धनगर के भट्ठा पारसौल में जयंत चौधरी ने भाजपा के खिलाफ शंखनाद फूंक दिया है। इस किसान पंचायत को विधानसभा चुनावों की तैयारी के तौर पर भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि यदि सपा और रालोद गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतरती हैं तो जिले की 3 विधानसभा सीटों में से 1 सीट पर रालोद अपना प्रत्याशी उतार सकती है। जिले की यह विधानसभा जेवर भी हो सकती है। जेवर विधानसभा क्षेत्र में जाट बिरादरी भी है। इसके अलावा ठाकुर, गुर्जर, मुस्लिम आदि कई बिरादरियां हार जीत का फैंसला करती हैं। जब कि सपा नोएडा और दादरी विधानसभा सीट पर अपने प्रत्याशी उतार सकती है। सपा के पास नोएडा और दादरी में कई मजबूत चेहरे हैं। मगर जेवर विधानसभा क्षेत्र में अभी कोई ऐसा मजबूत चेहरा नही दिखाई दे रहा हैं। पूर्व में सपा के टिकट पर जेवर विधानसभा से अपना किस्मत आजमा चुके पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह भाटी हाल में भाजपा को बॉय बॉय कहते हुए बसपा को दामन थाम चुके हैं। राष्ट्रीय लोक दल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने भट्टा पारसौल मेंं किसान महापंचायत को संबोधित करते कहा कि 104 दिन से चल रहे किसान आंदोलन को लेकर गरीब, किसान और मजदूर पूरे देश के किसानों की भावना एक साथ है। वहीं सरकार इस आंदोलन को तोड़ने के लिए सारे हथकंडे अपना रही है मगर किसानों की एकता के सामने वो बेबस हैं। पंचायत में स्वतः आ रही भीड़ इस बात का संदेश है कि किसानों में इन तीनों कानून को लेकर कितना रोष हैं। भट्टा पारसौल के 10 साल पहले के आंदोलन को याद करते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि अंग्रेजों ने 1894 में कानून बनाए थे जो आजादी के बाद भी चलते रहे उन कानूनों को खत्म कराने में 10 साल पहले भट्टा पारसौल से जो आंदोलन शुरू हुआ था उसने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसलिए जो बात चौधरी चरण सिंह कहते थे कि एक आंख अपने खेत में तो दूसरी दिल्ली पर रखो। आज वही समय हमें अपनी खेती पर भी ध्यान देना है और सरकार द्वारा बनाए गए कानून पर भी। तीन कृषि कानून पर उन्होंने कहा कि अगर ये कानून लागू हो गए तो किसानों को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा पाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि  प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमने किसानों के खाते में सीधे 2000 रूपये भेजे हैं, पर ये नहीं बताते कि महंगाई कहां की कहां पहुंच गई है, डीजल, डीएपी, रसोई गैस के दाम आसमान छू रहे हैं। यूरिया के एक बोरे में पांच किलो वजन कम कर दिया गया, एम.एस.पी. नहीं मिल रही है। पंचायत से पूछते हुए उन्होंने कहा कि क्या किसी का गेहूं, बाजरा, धान एम.एस.पी पर बिक रहा है? पंचायत में आए सभी लोगों ने हाथ उठाते हुए एक आवाज़ में कहा नहीं। पर मैं पूछता हूं कि बिहार में 2006 में मंडी व्यवस्था को खत्म किया गया था वहां आज क्या स्थिती हैं? क्या आज बिहार का छोटा किसान खुशहाल है? हम सब देखते हैं कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में, पंजाब में, हरियाणा में बिहार के बहुत सारे लोग मजदूरी करने के लिए आते हैं। अगर मंडी व्यवस्था खत्म होने से बिहार के किसानों में खुशहाली आती तो ये लोग इन क्षेत्रों में आकर मजदूरी करने के लिए मजबूर न होते। ये सरकार बिहार की व्यवस्था को पूरे देश में लागू करना चाहती हैं।