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अगर किसानों का भला करना या देश का भला करना है तो सत्ता में बैठे किसान नेताओं को इस्तीफा दे देना चाहिए

 




हरियाणा में एक विधायक ने इस तरह का उदाहरण पेश किया और किसानांं के साथ आंदोलन में शामिल हो गए






चौधरी शौकत अली चेची


सभी देशवासी मिलकर विचार करें, किसानों के लिए संघर्ष करें, यहां तो सरकार या सरकार के चापलूस तीन कृषि बिल कानून की उपलब्धियां गिना रहे हैं, लेकिन इन तीनों कानूनों से देश की लगभग 80 प्रतिशत आबादी प्रभावित होगी, जिसका खामियाजा आने वाले समय में नोटबंदी जीएसटी से भी ज्यादा घातक सिद्ध  होगा। असल सवाल तो यह है कि जो लगभग 70 प्रतिशत लोग सत्ता की मलाई खा रहे हैं, किसानों के बेटे बनके किसानों का भला करने का वादा करके जनता द्वारा चुने गए नुमाइंदे हैं, अब सत्ता में जा बैठे हैं। अगर किसानों का भला करना या देश का भला करना है तो सत्ता में बैठे किसान नेताओं को इस्तीफा दे देना चाहिए। हरियाणा में एक विधायक ने इस तरह का उदाहरण भी पेश किया है। भाजपा सरकार ने देश जनता की बर्बादी के बहुत सारे कानून बनाए हैं, देश के कोने कोने में विरोध आ रहा है, लेकिन भाजपा सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही है। वहीं गोदी मीडिया द्वारा झूठ, गुमराह, नफरत, बर्बादी वाले कानूनों को ऐतिहासिक बताया जा रहा है, जिसका खामियाजा अनजान व आम लोगों को भुगतना पड़ेगा। वैसे तो अन्नदाता सीमा के जवान किसी भी मुसीबत या परेशानी से घबराने वाले नहीं होते, अगर सरकार यह समझ ले की आंदोलनों को दबाया जा सकता है, तो अन्ना हजारे जी ने आंदोलन किया। उस समय भाजपा को ही अन्ना हजारे के आंदोलन का सबसे ज्यादा फायदा हुआ और मोदी गुजरात यानी पैराशूट से आकर पीएम की कुर्सी पर बैठ गए। वहीं रामदेव बाबा रामलीला मैदान से सलवार पहनकर भागने में सफल हुए। बाबा रामदेव के कालेधन के हो हल्ला बचाने का बडी फायदा भी भाजपा को उस समय चुनावों में हुआ। मगर अब रामदेव को कालेधन,नोटबंदी और जीएसटी पर सांप सूंघ रहा है। अब असल सवाल यह आता है किसान जागरूक हो चुका है किसानों के बड़े आंदोलन सफल हुए हैं, जिसका कारण कोई भी हो सकता है। केंद्र सरकार को निजी स्वार्थ में या यूं कहें हठधर्मिता छोड़कर अन्नदाताओं की जायज मांग को स्वीकार करना चाहिए। क्योंकि कोई भी सरकार बगैर किसानों के नहीं चल सकती और न ही बगैर किसानों के बन सकती। देश की तरक्की, बगैर किसानों के नहीं हो सकती। किसान से बड़ा भारत में परोपकारी, आशावादी, संघर्षशील, ईमानदार, मेहनती, पुण्य कमाने वाला दूसरा है ही नहीं। किसान है तो सब कुछ है, समझना जरूरी है। दर्द उसी को होता है जिसे चोट लगती है ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती सच्चाई से बड़ी दूसरी कोई ताकत नहीं होती। जय जवान, जय किसान, किसान एकता जिंदाबाद, हम सबका भारत देश, जिंदाबाद, संविधान जिंदाबाद, देश आजादी के दीवाने शूरवीर शहीद अमर रहे।

लेखकः- चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन ( बलराज  ) के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष  हैं।