कभी-कभी-७३
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लगता है ईश्वर से यह दिल कभी-कभी।
मिलती है सज्जनों की महफिल कभी-कभी॥ (१)
मिलते हैं जन्म अनेकों इस जीव आत्मा को।
मिलता है आदमी का यह तन कभी-कभी। (२)
चलना तो रात-दिन है जीवन की राह में।
मिलती है आदमी को मंजिल कभी-कभी॥ (३)
मझधार में हो नैया अंधियारी रात हो।
ऐसी दशा में मिलता है साहिल कभी-कभी। (४)
इक बूंद जल की प्यासा चातक है चाहता।
स्वाती में बरसता है यह बादल कभी-कभी। (५)
लाखों जहाँ में आये लाखों चले गये।
जीवन में है मिलता रहबर कभी-कभी। (६)
क्या होगा-७४
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करम खोटे तो ईश्वर के भजन गाने से क्या होगा।
किया परहेज न कुछ भी दवा खाने से क्या होगा।
करम खोटे तो ईश्वर के........
(१)
समय पर एक ही ठोकर बदल देती है जीवन को,
जो ठोकर से भी न समझे तो समझाने से क्या होगा।
करम खोटे तो ईश्वर के........
(२)
समय बीता हुआ हरगिज कभी न हाथ आएगा,
लिया चुग खेत चिड़ियों ने तो पछताने से क्या होगा।
करम खोटे तो ईश्वर के.......
(३)
मुसीबत तो टले मर्दानगी के ही थपेड़ों से,
मुकद्दर पर भरोसा कर के सो जाने से क्या होगा।
करम खोटे तो ईश्वर के........
(४)
तू खाली हाथ आया है वह खाली हाथ जाएगा,
पथिक' मालिक करोड़ों का भी कहलाने से क्या होगा।
करम खोटे तो ईश्वर के..
(५)
द्वार तिहारे आऊँ-७५
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मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तिहारे आऊं।
हे मेरे पावन परमेश्वर मन ही मन शर्माऊँ ॥ ( १)
तूने मुझ को जग में भेजा देकर निर्मल काया,
इस जीवन को पाकर मैंने गहरा दाग लगाया।
जन्म-जन्म की मैली चादर कैसे दाग छुड़ाऊँ॥ (२)
निर्मल वाणी पाकर तुझसे नाम तेरा न गाया,
नयन मूंदकर हे परमेश्वर! कभी न तुझ को ध्याया।
तार वीणा के टूटे सारे कैसे गीत सुनाऊँ।। (३)
इन पैरों से चलकर कभी भी सत् संगति न आया,
जहाँ जहाँ हो चर्चा तेरी कभी न शीश झुकाना।
हे प्रभुवर मैं हार चुका हूँ कैसे तुम्हें रिझाऊँ।
(४)
किसे क्या कहते हैं-७६
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रचा ब्रह्मांड है जिसने उसे भगवान कहते हैं।
जो है उपदेश वेदों का उसे सत्य ज्ञान कहते हैं।।
(१)
है गिरतों को उठाता जो उसे दयावान् कहते हैं।
जो भूलों को दिखाये पथ उसे महान् कहते हैं।
(२)
जो निर्बल की करे रक्षा उसे बलवान कहते हैं।
सताये जो गरीबों को उसे शैतान कहते हैं।
(३)
पिता माता को दुख दे उसे सन्तान मत कहना।
करे निज कुल को जो रोशन उसे संतान कहते हैं।
(४)
करे कल्याण जो जग का उसे विज्ञान कहते हैं।
करे जो नष्ट दुनियाँ को उसे विज्ञान कहते हैं।।
(५)
कृतिः- भजन
संगीत सागर
संकलनकर्ताः-प0 महेंद्र कुमार आर्य, पूर्व प्रधान- आर्य समाज मंदिर सूरजपुर, ग्रेटर नोएडा,
जिलाः- गौतमबुद्धनगर
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