जनता सुरक्षित व
संपन्न नहीं,
देश की
सीमाएं सुरक्षित
नहीं, धरातल
पर कुछ
नहीं भाषणों
में
कागजों में योजनाओं में सब
चंगा सी
चौधरी शौकत अली
चेची
देशवासियों के और
भी अच्छे
दिन आने
वाले हैं,
लगातार बढ़ती
बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई, जाति धर्म
की बढ़ती
द्वेष भावना,
सीमा पर
लगातार जवानों
का शहीद होना,
किसानों की
बढ़ती आत्महत्या, नेताओं
का एक
दूसरे पर
बढ़ते आरोप
प्रत्यारोप, टीवी डिबेट में झूठ
गुमराह नफरत
का बढ़ता
ग्राफ। करीब
80 प्रतिशत मीडिया गुलामी करता हुआ
दिखाई दे
रहा है।
घोषणाएं, योजनाएं
कागजों तक
सीमित, भाषणों
में एक
दूसरे के
प्रति जहर
उगलना, केवल
मन की
बात कहना।
2014 में कांग्रेस
सरकार हटने
से पहले
डीजल लगभग
52 प्रति लीटर
2020 में अब वही डीजल
80 प्रति लीटर
से पार
हो गया।
हैं न
फिर अच्छे
दिन। इन
अच्छे दिन
के चक्कर
में 6 सालों
में देश
की लगभग
40 प्रतिशत जनता अनाप.शनाप बर्बादी
के कानूनों
व जहरीले
बयानों से
खतरनाक मोड़
पर खड़ी
नजर आ
रही है।
लगभग हर
10 दिन में
सत्ता पक्ष
व गोदी
मीडिया एक
नया प्रोपगंडा
तैयार कर
जनता को
मूर्ख बनाने
में कामयाब
हो रही
है। सबकी
बर्बादी के
लिए अंधभक्त
खुशी मना
कर तालियां
बजा रहे
हैं। 2014 से 2020 तक के
मुख्य आंकड़े
महंगाई, बेरोजगारी,
जाति धर्म
की द्वेष
भावना में
लगभग 40 प्रतिशत
का इजाफा
हुआ।
सत्ता पक्ष की तरफदारी करने
वालों की
लोकप्रियता व धनराशि में लगभग
30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। पिछले
6 सालों में
सत्ता में
या उच्च
पदों पर
विराजमान फुल
चापलूसी करने
वालों की
धनराशि में
तेजी से
उछाल आया।
किसानों की
आय दुगनी
हुई नहीं
बल्कि पिछले
6 सालों से
किसानों पर
लगभग 35 प्रतिशत
का भार
बढ़ा। बर्बादी
का आलम
सबसे ज्यादा
किसानों को
झेलना पड़
रहा है,
खेती से
संबंधित कामकाज
एक तरह
ठप्प है
क्योंकि मजदूर
नही मिल
रहे हैं।
प्रवास मजदूर
किसी तरह
अपने घरों
के लिए
पहुंचे है
अब वो
काम पर
लौटने के
लिए तैयार
नही है
पता कब
दोबारा से
लॉकडाउन हो
जाए, क्योंकि
जिस कोरोना
महामारी के
लिए लॉकडाउन
हुआ था,
वो बीमारी
कम होने
की बजाय
ज्यादा हो
रही है।
इन सब
से किसानों
को भारी
नुकसान हो
रहा हैं। धान की रोपाई
के लिए
मजदूर नहीं
मिलने पर
किसान बर्बादी
के कगार
पर खड़ा
है। डीजल
व पेट्रोल
की बढ़ती
कीमत में
न जाने
सरकार, किसानों
से कौन
से जन्म
का बदला
ले रही
है। किसानों
के लिए
बड़ी मुसीबत
तथा देश
की 80 प्रतिशत
जनता के
लिए महंगाई
व परेशानी,
बर्बादी का
संदेश लेकर
आ रही
है। बुद्धिजीवियों
का मत
है जिधर
देखो बर्बादी
नफरत, झूठ,
द्वेष भावना
के अंबार
लगे नजर
आ रहे
हैं। देश
बुरे दौर
से होकर
गुजर रहा
है, देश
की आम
जनता सुरक्षित
व संपन्न
नहीं, देश
की सीमाएं
सुरक्षित नहीं,
धरातल पर
कुछ नहीं
भाषणों में कागजों
में योजनाओं
में सब
चंगा सी,
किसकी बर्बादी
या मृत्यु
कब हो
जाए पता
नही?
सच्चाई बताने वालों की कानून
कुंडली कब
लिख दे
अंदाजा लगाना
मुश्किल है,
जानकार लोग
कह रहे
हैं ऊपर
वाले की
लाठी में
आवाज नहीं
होती जो
सब कुछ
देख रहा
है।
लेखकः- चौधरी
शौकत अली
चेची भारतीय
किसान यूनियन
’’बलराज’’ के
उत्तर प्रदेश
अध्यक्ष हैं।