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कब तक उम्मीद पर कायम रहने वालों के दर्द को देखते रहेंगे महसूस करते रहेंगे, सहते रहेंगे?



मौसम की मार, आवारा पशु, कीट पतंगों और  महंगाई की मार किसानों पर सबसे ज्यादा भारी पड़ रही है

चौधरी शौकत अली चेची

देश की जनता परेशान है, मौसम की मार, आवारा पशु, कीट पतंगों और  महंगाई की मार किसानों पर सबसे ज्यादा पड़ रही है। डीजल, पेट्रोल रसोई गैस, बिजली बिल, यात्री किराया आदि में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। गौतमबुद्धनगर के दनकौर क्षेत्र में हाईकोर्ट के आदेश से किसानों का 64.7 प्रतिशत मुआवजा अब मिलने से रहा। हाईकोर्ट ने हाल में ही यमुना प्राधिकरण को आदेश दिया कि यमुना प्राधिकरण किसानों को 64.7 प्रतिशत मुआवजा देने के लिए अपने अवांटियों से अतिरिक्त चार्ज नही वसूल सकता। किसानों के लिए कहीं से भी अच्छी खबर नही रही हैं। कोरोना वायरस ने देश को हिला कर रख दिया। आर्थिक स्थिति पूरी तरह से चौपट हो गई। बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। किसान, मजदूर, गरीब, बेसहारा देश की मजबूत कड़ी बर्बादी के कगार पर जा रही है। गेहूं, फल, सब्जी, फूल आदि किसानों की फसलों के उचित दाम नहीं मिले। उड़द, मूंग, अरहर, मक्का  आदि फसलें बेमौसम बरसात ओले आंधी तूफान और टिड्डियां तथा आवारा पशुओं से बर्बाद हो रही है। आवश्यक वस्तुएं निश्चित समय स्थान पर नहीं पहुंचने से कुछ खराब हो रही हैं, कुछ दोगुने दामों पर बेची जा रही हैं, जिसका बुरा प्रभाव किसानों, मजदूरों गरीबों पर पड़ रहा है। रोजगार के साधन संसाधन  ज्यादातर बंद पड़े हैं। धान की रोपाई, मूंग, उड़द, अरहर, मक्का की निराई गुड़ाई आदि की तैयारी पूरे शबाब पर है मगर मजदूरों की कमी की वजह से किसानों के माथे पर परेशानी की लकीर खींच चुकी है। खेती में काम करने वाले मजदूर ज्यादातर बिहार प्रदेश से अलग.अलग प्रदेशों में जाते हैं। ट्रेनों की उचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से बड़े किसान अपने खर्चे पर बसों द्वारा मजदूरों को लेकर रहे हैं। किसानों के लिए खेती करना मुसीबत बन गया है। कानून का पालन, धनराशि का अभाव किसान मजदूर के सामने पहाड़ बनकर खड़ा है, निश्चित समय पर किसानों से संबंधित कार्य रोजगार के साधन संसाधन सुचारू रूप से चल सके। मजदूर दूरदराज अपनी जन्म भूमि की तरफ अपने प्रदेशों में लॉकडाउन के कारण चले गए। देश का किसान मजदूर संपन्न नहीं, तो सब कुछ तहस.नहस हो सकता है। बुद्धिजीवी लोग किसान, गरीब, मजदूर, बेसहारा देशवासियों की आवाज को उठा रहे हैं, उठाते रहेंगे। सत्ता आनी जानी है कब तक उम्मीद पर कायम रहने वालों के दर्द को देखते रहेंगे महसूस करते रहेंगे, सहते रहेंगे।
 लेखकः- चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन ’’बलराज’’ के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष हैं।