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घर में नहीं है दाने, अम्मा चली भुनाने, गाओ खुशी के गीत रे




मजदूर, किसान, गरीब बेसहारा परेशान, कोरोना में सोच रहा है क्या  अब अच्छे दिन की खिचड़ी पक गई
चौधरी शौकत अली चेची

बुद्धिजीवियों ने कलम पकड़ ली दांतों मेंएं भूख लगी है आंतों मेंएदेश बट गया धर्म जातो में। कुछ के आंसू सूख गए आंखों मेंए देश सरपट दौड़ रहा है बातों मेंए योजनाएं घोषणाएं होती रही हैं। दौड़ती हुई रेलगाड़ी  अपनी मंजिल छोड़कर दूसरे रास्तों पर जा रही हैं। किसानों की दुगनी आए गरीबों को लग रही है। वोट देने की खातिर  हाय नौकरी रोजगार छूट गई। गरीब बेसहारा कर्म भूमि छोड़कर आफत मुसीबत में पैदल चलकर अपनी जन्मभूमि की तरफ चले गए। कौन कितने पानी में किसानों से नहीं जानघ् बेमौसम  बरसात टिड्डी से उड़द मूंग अरहर आदि  फसलों का नुकसान होना। पिछले 6 सालों से किसानों की आय दुगनी हुई नहींएा् महंगाई डायन खत्म हुई नहींए गरीब मजदूर किसान की उम्मीद पूरी हुई नही। बुलेट ट्रेन चली नहींए सबका साथ सबका विकास की डोर की उम्मीद बंधी नहीं। घोषणा योजना जाति धर्म की द्वेष भावना में कोई कमी नहीं। आर्थिक स्थिति सुधरी नहींए रोजगार तरक्की के आश्वासन भर भर झोली मिल रहे हैं कोई कमी नहीं। मीडिया सत्ता पक्ष की तिकड़म बाजी से चारों तरफ उजियारा है। उम्मीद की नैया डूब गई किसी ने नहीं विचारा है। घर में नहीं है दानेए अम्मा चली भुनानेए गाओ खुशी के गीत रे लोगो सत्ता आनी जानी है। जीडीपी नीचे तक चली गई। आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाली जनता अपने घर को गई। अपनी फसलों की तैयारी किसानों ने पूरी कर लीए खेतों में काम धान रोपाई आदि मजदूरों के भरोसे बैठे हैं। किसानो के साथ कंपनी उद्योग धंधे आदि में काम करने के लिए अन्य प्रदेशों में मजदूर इंतजार में काम के लिए बैठे हैं। आवश्यक वस्तुएं दुगनी कीमत की हो गई। धनराशि एक दूसरे को देने वाली बीच में ही रुक गई। कानून और आशा निराशा के इंतजार में देश की जनता ऊब गई। मजदूरए किसानए गरीब बेसहारा परेशानए कोरोना में सोच रहा है क्याघ् अब अच्छे दिन की खिचड़ी पक गई। हम सबका भारत एक है एक ही रहेगा। नेताओं की चालबाजी झूठ गुमराह नफरत वादी ताकतों से आखिर कब तक यूं ही लड़ता रहेगा।
लेखकः. चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन लराज के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष हैं।