योग और प्राणयाम से प्राणवायु का संचार तेजी से
होता है, वहीं भोजन भी शुद्ध होना चाहिए
प0 महेंंद्र कुमार आर्य
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कोविड-19 महामारी से
समूचा विश्व जूझ रहा है। भारत में भी यह स्थिति भयावह होती जा रही है। यदि व्यक्ति
की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो और प्राणवायु यानी ऑक्सीजन भरपूर हो तथा शुद्ध
और ताजे फलों तथा हरी सब्जियों का सेवन किया जाए तो इस कोरोना जैसी महामारी से बचा
जा सकता है। मॉस्क जरूरी समय पर ही प्रयोग किए जाने चाहिए, बाकी गमछा या
अगोंछा मुंह पर रखा जाए तो ज्यादा अच्छा रहता है। मॉस्क आदि के प्रयोग से व्यक्ति को शुद्ध हवा भरपूर मात्रा में नही मिल
पाती है और जब इस प्राणवायु की कमी हो जाती है तो सांस यानी छाती से संबंधित कई
प्रकार के रोग स्वतः ही पैदा हो जाते हैं। इसलिए कोशिश करें कि ऑक्सीजन भरपूर
मात्रा मेंं मिले। इसके के लिए सुबह की सैर भी जरूरी है और साथ ही योग और
प्राणायाम से प्राणवायु का संचार तेजी से होता है। वहीं भोजन भी शुद्ध होना चाहिए।
अंडा, मीट मांस, बीडी, सिगरेट, तंबाकू आदि
नशाखोरी से बचा जाना चाहिए। इनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और साथ
ही शरीर में ऑक्सीजन का स्तर भी कम होता है। जब कि शुद्ध और ताजी भोजन से शरीर की
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है। यदि भोजन में शुद्ध हरी सब्जियां और ताजे फल खाए
जाएंगे तो निश्चित तौर पर कोरोना जैसी महामारी को हराया जा सकता है। शुद्ध
प्राणवायु के लिए वातावरण का शुद्ध होना भी जरूरी है। आज के इस आधुनिक युग में
अशुद्ध वातावरण भी इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार है। शुद्ध वातावरण
यज्ञ किए जाने
से होता है। ऋषियों ने यज्ञ करने की परंपरा को शुरू किया था जो कि आज भी सतत् चल
रहा है। वर्तमान समय में बढ़ते प्रदूषण से पूरा विश्व चिंतित नजर आ रहा है। यदि
प्रत्येक घर में यज्ञ होना प्रारंभ हो जाए तो प्रदूषण की समस्या स्वतः समाप्त हो
जाएगी। भौतिक विज्ञान का यह नियम है कि अग्नि को भेंट की गई कोई भी चीज नष्ट नहीं
होती बल्कि वह रूपांतरित हो जाता है। अग्नि का कार्य स्थूल पदार्थ को सूक्ष्म रूप
में परिवर्तित कर देना है। यज्ञ से मानव के अंदर सदाचार, प्रेम, सहिष्णुता
व दया जैसे सद्गुणों का विकास होता है। आज पूरा विश्व इन्हीं गुणों के अभाव के कारण
अशांत नजर आ रहा है। यदि समस्त मानव जाति के अंदर इन गुणों का उद्भव हो जाए तो
संसार से हिंसा समाप्त हो जाएगी। प्रेम मानव जीवन की अमूल्य निधि है। आत्मोद्वार
का सर्वश्रेष्ठ साधन भक्ति है लेकिन आज की भक्ति अज्ञान व आडंबरयुक्त जड़ भक्ति है।
जड़ भक्ति से ऊपर उठकर भक्ति के चेतन पथ पर अग्रसर होने की आवश्यकता है। मन पर
नियंत्रण न होने से ही समाज में तमाम विसंगतियां फैली हैं। अध्यात्म मानव जीवन की
अपरिहार्य आवश्यकता है। विहंगम योग से मानव के आध्यात्मिक जीवन का निर्माण होता
है। कोरोना महामारी से बचने के लिए घी, सामग्री और चावल, सरसों,चीनी
मिला कर एक डिब्बे में रख लें और प्रतिदिन रसोई में तवे पर डाल कर जलाएं। इससे
वातावरण तो शुद्ध होता ही है, पूरे घर में किसी भी रोग के कीटाणु नही
पनप पाएंगे।
लेखकः- प0 महेंद्र कुमार
आर्य, आर्य समाज मंदिर सूरजपुर, ग्रेटर नोएडा, जिलाः- गौतमबुद्धनगर
के पूर्व प्रधान हैं।