मौहम्मद इल्यास- "दनकौरी"/ग्रेटर नोएडा
ज्ञान की नगरी कहे जाने वाले ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क स्थित लॉयड इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (LIET) ने मानव और तकनीक के मध्य संवाद को नई दिशा देने के उद्देश्य से ह्यूमन-कंप्यूटर इंटरैक्शन (HCI) लैब का शुभारंभ किया है। यह अभिनव प्रयोगशाला न केवल तकनीकी शोध की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि भारतीय ज्ञान परंपरा (Indian Knowledge Systems - IKS) और आधुनिक विज्ञान का सजीव संगम भी प्रस्तुत करेगी।
इस विशिष्ट लैब की परिकल्पना और संचालन का दायित्व डॉ. कीर्ति (एसोसिएट प्रोफेसर - अनुसंधान) के नेतृत्व में हुआ है। प्रयोगशाला EEG (Electroencephalogram), HRV (Heart Rate Variability), बायोफीडबैक और वर्चुअल रियलिटी (VR) जैसे आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित है, जिनका उपयोग योग, ध्यान और प्राचीन भारतीय मनोचिकित्सा विधियों के साथ समन्वय कर मानसिक स्वास्थ्य सुधार की दिशा में किया जाएगा।
उद्घाटन अवसर पर विद्वतजनों की उपस्थिति
इस अवसर पर एसटी माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स के ग्रुप मैनेजर रौनक मुजीब कैसर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ LIET के सीनियर डायरेक्टर प्रो. राजीव अग्रवाल भी मंचासीन रहे। दोनों ही अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन एवं फीता काटकर लैब का औपचारिक उद्घाटन किया और नवाचारों को उद्योग व शिक्षा संस्थानों के सहयोग से बढ़ावा देने पर बल दिया।
रौनक मुजीब कैसर ने अपने वक्तव्य में कहा, “यह लैब न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को बल देगी, बल्कि तकनीक और संस्कृति के सेतु के रूप में कार्य करेगी। वर्तमान समय में मानसिक स्वास्थ्य सबसे बड़ा वैश्विक संकट है, और ऐसे नवाचार समाधान की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम हैं।”
वैश्विक संदर्भ में स्थानीय समाधान
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2022 रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में हर आठवां व्यक्ति मानसिक रोग से ग्रस्त है। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में किशोरों के बीच तनाव और अवसाद की स्थिति और भी चिंताजनक है—यहां लगभग 34% किशोर मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में यह HCI लैब एक प्रमाण-आधारित, तकनीक-संपन्न और सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक समाधान प्रदान करने में अग्रणी साबित हो सकती है।
शोध और सामाजिक प्रभाव की दिशा में पहल
डॉ. कीर्ति द्वारा आईआईटी मंडी के प्रोफेसरों के साथ किए गए शोध में यह निष्कर्ष निकला कि 8 सप्ताह के संरचित योग अभ्यास से प्रथम वर्ष के छात्रों में अवसाद, चिंता और तनाव के स्तर में स्पष्ट कमी आई। HCI लैब अब इस शोध को तकनीकी विस्तार देती है, जहां प्रयोगकर्ता बायो-सिग्नल्स और इमोशनल रिस्पॉन्स को मापकर मानसिक स्वास्थ्य की गहराई से पड़ताल कर सकते हैं।
भविष्य की रूपरेखा
इस प्रयोगशाला को न केवल एक शोध केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है, बल्कि यह सामाजिक-तकनीकी स्वास्थ्य समाधान, सार्वजनिक मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा और व्यवहार-जीवविज्ञान (Psychophysiology) पर आधारित अनुसंधान के लिए पूरे उत्तर भारत में एक क्षेत्रीय हब के रूप में कार्य करेगी।
LIET का यह प्रयास यह दर्शाता है कि कैसे तकनीक को मानव कल्याण की सेवा में लगाया जा सकता है — विशेषकर तब, जब वह संस्कृति और परंपरा से जुड़कर संपूर्णता की दिशा में कार्य करे।