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गलगोटिया विश्वविद्यालय ने मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र में रचा इतिहास, एम्स के साथ मिलकर ‘नेवर अलोन’ परियोजना का शुभारंभ


मौहम्मद इल्यास- "दनकौरी"/ यीडा सिटी
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता और सहज पहुँच की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए गलगोटिया विश्वविद्यालय ने एम्स (AIIMS) के सहयोग से अत्याधुनिक ‘नेवर अलोन’ परियोजना की शुरुआत की है। यह प्रोजेक्ट एआई-पावर्ड हेल्थ असिस्टेंट के माध्यम से 24x7 मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करेगा और यह देश में अपनी तरह की पहली पहल मानी जा रही है जो उच्च शिक्षा, तकनीक और स्वास्थ्य सेवाओं का त्रिवेणी संगम है।

इस कार्यक्रम का उद्घाटन गलगोटिया विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुनील गलगोटिया ने किया। मंच पर विश्वविद्यालय की परिचालन निदेशक आराधना गलगोटिया, विशिष्ट अतिथि डॉ. निशात अहमद, कुलपति के.एम. बाबू, डॉ. दीपिका दहीमा और डॉ. मोनिका अग्रवाल सहित वरिष्ठ प्रशासनिक व शैक्षणिक पदाधिकारी भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की।

"हर छात्र को महसूस हो – वह कभी अकेला नहीं है"

अपने उद्घाटन भाषण में सुनील गलगोटिया ने कहा, “हमारा विश्वविद्यालय शिक्षा के साथ-साथ छात्रों की समग्र भलाई को सबसे ऊपर रखता है। ‘नेवर अलोन’ केवल एक तकनीकी परियोजना नहीं, बल्कि यह इस विचार की अभिव्यक्ति है कि कोई भी व्यक्ति अकेला न महसूस करे। मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात करना और उसे सुलभ बनाना समय की मांग है।”

तकनीक और संवेदना का संगम

विशिष्ट अतिथि डॉ. निशात अहमद ने विश्वविद्यालय की इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “आज शिक्षा संस्थानों की भूमिका सिर्फ ज्ञान देने तक सीमित नहीं है, बल्कि समग्र मानसिक और सामाजिक विकास की दिशा में भी उनकी बड़ी जिम्मेदारी है। 'नेवर अलोन' प्रोजेक्ट भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को आमजन तक पहुँचाने वाला प्रेरणास्रोत है।”

वर्चुअल हेल्प: 24 घंटे, 7 दिन

परियोजना की विशेषताओं की जानकारी देते हुए आराधना गलगोटिया ने बताया कि यह प्रोजेक्ट विश्वविद्यालय द्वारा संचालित किया जाएगा और इसकी सबसे बड़ी विशेषता है – 24 घंटे सहायता की उपलब्धता। इस परियोजना के तहत 11 छात्रों और 10 शिक्षकों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है, जो एआई आधारित वर्चुअल हेल्प के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को व्हाट्सएप जैसे सरल माध्यमों से मार्गदर्शन व सहायता देंगे।

प्रोजेक्ट हेड डॉ. दीपिका दहीमा ने बताया कि “हमने प्रशिक्षित टीम को न केवल तकनीकी दक्षता दी है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर संवाद करने की संवेदनशीलता भी विकसित की है। हमारा उद्देश्य है – प्रत्येक व्यक्ति को यह भरोसा देना कि वह अकेला नहीं है।”

शिक्षण संस्थान से आगे, समाज के लिए योगदान

कुलपति के.एम. बाबू ने कहा कि यह परियोजना विश्वविद्यालय की सामाजिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है। डॉ. मोनिका अग्रवाल ने छात्रों से अपील की कि वे मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर संवाद करें, संकोच न करें और इस प्लेटफॉर्म का भरपूर उपयोग करें।

'नेवर अलोन' परियोजना गलगोटिया विश्वविद्यालय को महज एक शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि समाजोपयोगी नवाचारों के नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करती है।