असलम परवेज़
राजद अपने यादव वोट को मुस्लिम एक करने में सफल रहा तो 2025मे तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बन सकते हैं अगर यह जैसे टुटा हुआ है वैसा रहा तो मुख्यमंत्री का कुर्सी सपना ही । इस चुनाव में यादवों का वोट अगर महागठबंधन के मुस्लिम प्रत्याशीयो को मिलेगा तो उसी तरह मुस्लिम समुदाय का भी वोट यादव प्रत्याशी को मिलेगा अगर मुस्लिम समुदाय को ऐसा लगने लगेगा की यादवों ने मुस्लिम प्रत्याशी को वोट नहीं कर रहे हैं तो दुसरे चरण में ही राजद के सारा समिकरण ताश के पत्ते की तरह बीखर जाएगा और इससे सबसे ज्यादा फायदा दलित , मुस्लिम गठबंधन वाली पार्टियों को मिलेगा
● जहां 18% मुस्लिम वोट गया पाटी का हार भी जीत में बदल जायेगा
इस चुनाव में मुस्लिम समुदाय मान कर चल रहा है की इस चुनाव से अपने समाज से नेता पैदा करना है उसे सत्ता में आने या ना आने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है ऐसा होने से पांच साल में मुस्लिम समुदाय में दर्जनों नेता पैदा हो सकता है ज़िला से लेकर प्रदेश स्तर तक फिर लोक-सभा चुनाव में इस समाज का प्रदर्शन भी अच्छा होगा और आने वाले विधानसभा चुनाव में आप की पकड़ भी मजबूत होगी
सेक्युलर दलों के मुस्लिम नेताओ पर जो जी हजूरी का ठप्पा लगा है वह समाप्त हो जाएगा और तब मुसलमानो को आसानी से सत्ता में भागीदारी मिल सकती है ।
इन सब बिंदुओं पर विगत कई वर्षों से काम भी चल रहा है । इसमें कामयाबी भी मिल रही है लेकिन फायदा कितना हुआ बिहार विधानसभा चुनाव में ही पता चलेगा ।
2014 के बाद जिस तरह से मुसलमानो के खिलाफ मोब्लिंचिंग और बुलडोजर की करवाई हुई और कांग्रेस , सपा , बसपा , आप , राजद , जदयू , लोजपा ने चुप्पी साध ली जिसके वजह से मुसलमानो को तकलीफ भी हुई और अपने फैसले पर पछतावा भी हुआ । अगर बिहार में राजद के Y का वोट मुस्लिम प्रत्याशियों को ट्रांसफर हुये होते तो सीवान से सहाबूद्दीन का परिवार चुनाव न हारता । कुछ जानकर लोगो का इस सम्बंध में यह भी कहना है कि सिवान में राजद के नेता साथ मे तो हिना सहाब के साथ मे रहते थे लेकिन अंदर खाने से कभी बीजेपी से ओमप्रकाश यादव को तो कभी जदयू के प्रत्याशी का समर्थन करते थे ।
बताते चले के बिहार विधानसभा के 243 सीटों में 47 सीटों पर मुसलमानो की अक्सरियत है । ओवैसी नेतृत्व वाली AIMIM के 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की सम्भावना है । अगर मजलिस बिहार में 15 सीटें भी जीत जाती है तो बिहार में किंग मेकर की भूमिका में होगी। वक़्फ़ बिल पर जदयू और लोजपा द्वारा सरकार के पक्ष में वोट करने से भी मुसलमान नाराज है । मुसलमानो को नीतीश कुमार से कोई दिक्कत नही थी वह यह समझते थे कि नीतीश कुमार भाजपा में रहकर भी सेक्युलर है लेकिन वक़्फ़ बिल पर सरकार को समर्थन करने से इनकी भी मुसलमानो के सामने पोल खुल गई ।