मानव संसाधन की बदलती चुनौतियों पर मंथन, 80 से अधिक शीर्ष कंपनियों की भागीदारी
मौहम्मद इल्यास- "दनकौरी"/ यीडा सिटी
गलगोटिया विश्वविद्यालय ने उद्योग और शिक्षा के समन्वय को नई दिशा देते हुए ‘परिसंवाद 2.0: द ह्यूमन कैपिटल सिम्पोजियम 2025’ का आयोजन जेपी रिसॉर्ट, ग्रेटर नोएडा में किया। इस भव्य एचआर कॉन्क्लेव में थॉटवर्क्स, फिलिप्स, केपीएमजी इंडिया, एटलन, बजाज फिनसर्व और नुबर्ग इंजीनियरिंग सहित देश-विदेश की 80 से अधिक अग्रणी एचआर कंपनियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
यह आयोजन भविष्य के लिए तैयार प्रतिभाओं को विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास रहा, जिसने मानव संसाधन क्षेत्र में उभरते रुझानों, संभावनाओं और चुनौतियों पर गंभीर मंथन का अवसर प्रदान किया।
🎙 मुख्य चर्चाएं: नई पीढ़ी और इंटर्नशिप की रणनीति
कॉन्क्लेव के दो मुख्य पैनल सत्रों ने विशेष ध्यान आकर्षित किया।
पहले सत्र में चर्चा का विषय था— “अगली पीढ़ी के कर्मचारियों को समझना और उन्हें जोड़े रखना”, जिसमें विशेषज्ञों ने युवा प्रतिभाओं को आकर्षित करने, संलग्न करने और बनाए रखने की रणनीतियों पर अपने विचार साझा किए।
दूसरे सत्र में “इंटर्नशिप क्रांति: संभावनाओं को प्रदर्शन में बदलना” विषय पर विमर्श हुआ। वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि इंटर्नशिप महज़ औपचारिकता नहीं, बल्कि प्रतिभा पोषण, नवाचार को प्रोत्साहन और भविष्य के नेतृत्व निर्माण की दिशा में एक रणनीतिक माध्यम है।
🗣 डॉ. ध्रुव गलगोटिया का दृष्टिकोण
कॉन्क्लेव की सफलता पर प्रकाश डालते हुए विश्वविद्यालय के सीईओ डॉ. ध्रुव गलगोटिया ने कहा:
❝ परिसंवाद 2.0 केवल एक एचआर सम्मेलन नहीं, बल्कि हमारे उस मिशन का हिस्सा है जिसके तहत हम छात्रों को अकादमिक उत्कृष्टता के साथ-साथ उद्योग अनुभव और नेतृत्व कौशल से लैस कर रहे हैं। हमारा मानना है कि भविष्य के नेता केवल डिग्री नहीं, बल्कि नवाचार, अनुकूलनशीलता और वास्तविक व्यावसायिक समस्याओं की समझ से परिभाषित होंगे। ❞
🌐 उद्योग-शिक्षा सहयोग की मिसाल बना गलगोटिया विश्वविद्यालय
परिसंवाद 2.0 ने एक बार फिर गलगोटिया विश्वविद्यालय की उद्योग-संलग्न, नवाचार-केन्द्रित और वैश्विक दृष्टिकोण वाली शिक्षण नीति को उजागर किया है। इस आयोजन ने न केवल उद्योग विशेषज्ञों को एक मंच पर लाया, बल्कि छात्रों को करियर की वास्तविक संभावनाओं से जोड़ने में भी अहम भूमिका निभाई।
विश्वविद्यालय का उद्देश्य शिक्षा को कक्षा से निकालकर व्यावहारिक, प्रतिस्पर्धी और सामाजिक रूप से उत्तरदायी बनाने का है। यही विशेषता उसे भारत के सबसे सम्मानित और भविष्यदृष्टि वाले शैक्षणिक संस्थानों में स्थान दिला रही है।