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ग्रेटर नोएडा में महर्षि मनु महोत्सव- 2025 की धूम

Vision Live/ Greater Noida 
आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुध नगर के तत्वावधान में आयोजित विश्व के पहले त्रिदिवसीय मनु महोत्सव कार्यक्रम के तीसरे सत्र में दिनांक 6/ 4/ 2025 को पधारे डॉक्टर सुरेंद्र कुमार को सभा की ओर से प्रस्तुत किया गया । इस मौके पर पतंजलि योग पीठ हरिद्वार के संस्थापक स्वामी कर्मवीर जी महाराज, पूर्व आईपीएस आनंद कुमार, किसान परिषद के अध्यक्ष सुखबीर खलीफा मंच पर उपस्थित अतिथिगणों ने भी मनु स्मृति पर प्रकाश डाला।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ सुरेंद्र कुमार अभिनंदन पत्र
जन्म एवं जन्मस्थान--
    भारतीय संस्कृति के वैदिक मूल्यों के प्रति पूर्णतया समर्पित    ग्राम मकड़ोली कला जिला रोहतक हरियाणा में जन्मे बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ सुरेंद्र कुमार जी के  पिता का नाम  गहरसिंह जी और माता का नाम श्रीमती शान्तिदेवी है। जिन्हें अपने मध्य पाकर हम सभी गौरव की अनुभूति कर रहे हैं। क्योंकि आपके भीतर एक ऋषि की प्रतिभा मुखरित हुई है जिसने अपने गहन अध्ययन के उपरांत मनुस्मृति जैसे ग्रंथ को विशुद्ध बनाने में अपनी अलौकिक प्रतिभा का परिचय दिया है। 
शिक्षा
   आपने गुरुकुल परम्परा में अध्ययन करते हुए गुरुकुल झज्जर (हरियाणा) से आचार्य एवं वेदवाचस्पति परीक्षाएं,  गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार से हिन्दी विषय में एम. ए. परीक्षा उत्तीर्ण की और विश्वविद्यालय में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त किया। पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से एम. ए. संस्कृत और पी-एच.डी. परीक्षा उत्तीर्ण की।
शैक्षणिक एवं प्रशासनिक सेवा- 
   आपने हरियाणा सरकार के अन्तर्गत कालेज कैडर में प्राध्यापक के पद पर छत्तीस वर्ष तक अध्यापन किया। आप राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सैक्टर-9 गुरुग्राम (हरियाणा) से प्रिंसिपल के पद से सेवानिवृत्त हुए। तत्पश्चात् आपने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार में पांच वर्ष तक कुलपति (वाइस चांसलर) के पद पर कार्य किया। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के इतिहास में विश्वविद्यालय को आपके नेतृत्व में पहली बार भारत सरकार की नैक संस्था की ओर से ए ग्रेड मिला। महर्षि दयानन्द की उत्तराधिकारिणी परोपकारिणी सभा अजमेर के आप प्रधान रहे हैं। वर्तमान में आप सभा के संरक्षक हैं।
लेखन एवं सम्पादन कार्य -
      अब तक आपके द्वारा लिखित और सम्पादित 34 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। महर्षि दयानन्द और आर्यसमाज के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए आपने मनुस्मृति के प्रक्षेपों की पहचान के लिए दस वर्ष लगाकर शोधकार्य किया।  अनुसंधान का आपका यह कार्य ऐतिहासिक है, जो अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है।  प्रक्षेपों (मिलावटों) की
पहचान के लिए सात साहित्यिक तटस्थ मानदंडों की कसौटी पर परखकर आपने यह अनुसंधान कार्य किया है। संपूर्ण मनुस्मृति और 'विशुद्ध मनुस्मृति' दो प्रकार के संस्करणों में यह कार्य उपलब्ध है। उसका अब तक सात भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। आज आपके द्वारा किये गये शोध और भाष्य युक्त मनुस्मृति सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली मनुस्मृति है।
     विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपके दो-सौ से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।तीन पत्रिकाओं के आप सम्पादक रहे हैं।
  अभी तक आपको लेखन तथा प्रशासनिक उपलब्धियों के लिए दो दर्जन सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।
दूरदर्शन एवं आकाशवाणी से वक्तव्य-
     भारत सरकार के डी.डी.चैनल,भारती, आस्था, संस्कार, साधना, सुदर्शन दूरदर्शन चैनलों तथा आकाशवाणी के क‌ई केन्द्रों से अब तक एक-सौ से अधिक वक्तव्य प्रसारित हो चुके हैं।
   मान्यवर 
    महर्षि मनु के आदि संविधान ' मनुस्मृति ' पर आपके द्वारा किए गए विशेष परिश्रम का संपूर्ण आर्य जगत सदैव ऋणी रहेगा । आपके परिश्रम साध्य इस पुरुषार्थ को आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर और यह सारा सदन हार्दिक नमन करता है और ईश्वर से आपके दीर्घायुष्य और सुस्वास्थ्य की कामना करता है।
अंत में बस इतना ही :-
 
 अतिथि देव हमारा  होता , परंपरा  बहुत  पुरानी  है ,
 देव पुरुषों की यही रीत हमको भी आज निभानी है।
 ऋणी रहेगा समाज आपका पुरुषार्थ किया है नमन योग्य, 
यश की पताका रहे फहरती बात यही समझानी है।।
                 इस मौके पर ब्रह्मचारीआर्य सागर, देवेंद्र सिंह आर्य , डॉ राकेश कुमार आर्य ( संचालक ) और  ओमवीर सिंह भाटी एडवोकेट, इंद्रवीर सिंह भाटी एडवोकेट, पूर्व प्रधानाचार्य चौधरी नरपत सिंह, पंडित मूलचंद आर्य, पंडित धर्मवीर आर्य, बिजेंद्र सिंह आर्य, आर्य वीरेश भाटी, धर्मवीर सिंह आर्य, कमल सिंह, प्रधान मांगेराम आर्य आदि गौतमबुद्धनगर एवं कार्यक्रम आयोजन समिति सदस्य गण उपस्थित रहे।