Vision Live/ Greater Noida
ग्रेटर नोएडा स्थित गवर्नमेंट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (GIMS) में 27 मार्च 2025 को साइबर अपराधों पर आधारित एक विशेष जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में मेडिकल छात्रों और फैकल्टी सदस्यों को डिजिटल दुनिया में बढ़ते खतरों और उनसे बचाव के उपायों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।
इस कार्यक्रम के संयोजक फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. अमित शर्मा थे। कार्यक्रम की शुरुआत संस्थान के निदेशक डॉ. राकेश गुप्ता द्वारा शुभकामनाओं के साथ की गई। उन्होंने साइबर अपराधों को आज के युग की गंभीर चुनौती बताते हुए ऐसे जागरूकता सत्रों की आवश्यकता पर बल दिया।
सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित थे डॉ. गौरव कुमार, जो गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा में कंप्यूटर विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं। डॉ. गौरव भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) और CDAC नोएडा द्वारा संचालित Information Security Education and Awareness (ISEA) Project Phase-3 के तहत एक प्रशिक्षित Master Trainer भी हैं। उन्होंने अपने व्यावहारिक अनुभव और प्रशिक्षण के माध्यम से छात्रों को साइबर अपराधों की कार्यप्रणाली और उनके प्रभावों से अवगत कराया।
सत्र के दौरान डॉ. गौरव ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम, व्हाट्सएप इंटरनेशनल कॉल फ्रॉड, फर्जी जॉब ऑफर, सोशल मीडिया पर फेक प्रोफाइल, सेक्सटॉर्शन, और साइबर बुलीइंग जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि आजकल अपराधी मनोवैज्ञानिक तरीकों से लोगों को डराकर पैसे वसूलने, ब्लैकमेल करने और निजी जानकारियां चुराने के नए-नए तरीके अपना रहे हैं।
छात्रों को डिजिटल सुरक्षा के लिए Two-Factor Authentication, WhatsApp लॉक और प्राइवेसी सेटिंग्स जैसे तकनीकी उपाय अपनाने की सलाह दी गई। इसके साथ ही उन्होंने साइबर अपराध की स्थिति में 1930 हेल्पलाइन और www.cybercrime.gov.in पोर्टल पर शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया को भी समझाया।
कार्यक्रम के अंत में एक इंटरेक्टिव क्विज़ और फीडबैक सत्र आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। उपस्थित छात्रों ने सत्र को अत्यंत उपयोगी और व्यावहारिक बताया।
डॉ. अमित शर्मा ने बताया कि मेडिकल क्षेत्र के विद्यार्थियों को न केवल स्वास्थ्य सेवा में दक्ष होना चाहिए, बल्कि डिजिटल जागरूकता भी उतनी ही आवश्यक है। उन्होंने भविष्य में ऐसे और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की।
इस सत्र ने यह स्पष्ट कर दिया कि साइबर सुरक्षा अब केवल तकनीकी विषय नहीं रहा, बल्कि यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है। ऐसे सत्र छात्रों को न केवल सजग बनाते हैं, बल्कि उन्हें डिजिटल नागरिक के रूप में सशक्त भी करते हैं।