असलम परवेज़ / देवरिया
डीएम श्रीमती दिव्या मित्तल ने कलेक्ट्रेट सभागार में राजस्व, कृषि, अग्निशमन, विद्युत और पुलिस विभाग के अधिकारियों संग अहम बैठक की। बैठक में ग्रीष्मकाल में संभावित आगजनी की घटनाओं और इससे फसलों को होने वाले नुकसान की रोकथाम पर विस्तृत चर्चा हुई। जिलाधिकारी ने आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करते हुए संबंधित विभागों को त्वरित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में गेहूं की फसल पककर तैयार हो चुकी है और कटाई का कार्य जारी है। इस दौरान विद्युत तारों, कंबाइन हार्वेस्टर एवं स्ट्रॉ रीपर यंत्रों से निकलने वाली चिंगारियों के कारण आग लगने की संभावना बनी रहती है। कई बार इन घटनाओं से किसानों की पूरी फसल नष्ट हो जाती है, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। सभी कंबाइन हार्वेस्टर और अन्य कृषि मशीनों के साथ अग्निशमन यंत्र एवं बालू की बाल्टी रखना अनिवार्य होगा। बिना इन सुरक्षा उपायों के कोई भी मशीन खेतों में नहीं चलेगी। आग के फैलाव को रोकने के लिए खेतों में ट्रैक्टर से सुरक्षा पट्टी (फायर लाइन) बनाने की सलाह दी गई, ताकि आग दूसरे खेतों तक न पहुंचे।
डीएम ने कहा कि सभी थानों में पानी के टैंकर की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि आपात स्थिति में तुरंत आग बुझाने की कार्रवाई की जा सके। साथ ही, विद्युत विभाग को निर्देशित किया गया कि सभी जर्जर और ढीले तारों को प्राथमिकता के आधार पर ठीक किया जाए।
ग्राम प्रधानों से अपील करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि यदि उनके गांव में कहीं भी विद्युत तारों में स्पार्किंग हो रही हो, तो वे तुरंत संबंधित विकासखंड अधिकारी को सूचित करें और विद्युत विभाग से समन्वय स्थापित कर उसे प्राथमिकता के आधार पर ठीक करवाएं। उन्होंने यह भी कहा कि गांवों और खेतों में पानी की वैकल्पिक व्यवस्था अवश्य रखी जाए, क्योंकि आग लगने की स्थिति में विद्युत आपूर्ति बाधित हो सकती है, जिससे ट्यूबवेल आदि नहीं चल पाएंगे और पानी उपलब्ध नहीं होगा।
पराली जलाने पर सख्त रोक लगाते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि यदि किसी किसान को पराली की आवश्यकता नहीं है, तो पंचायत विभाग इसे मनरेगा योजना के तहत मजदूरों की मदद से खेत से हटवा सकता है, बशर्ते किसान सहमत हों। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे पराली जलाने जैसी हानिकारक प्रक्रिया से बचें, जिससे पर्यावरण और फसल दोनों सुरक्षित रह सकें।
उन्होंने कहा कि थोड़ी-सी सावधानी बरतकर आग लगने की घटनाओं को रोका जा सकता है। रसोई घर यदि फूस का हो, तो उसकी दीवारों पर मिट्टी का लेप अवश्य लगवाएं और छत को ऊंचा रखें। आग बुझाने के लिए घरों में बालू अथवा मिट्टी से भरे बोरे और पानी की बाल्टियां हमेशा तैयार रखें। हवन आदि का कार्य सुबह 9 बजे से पहले पूरा कर लें और बिजली वायरिंग की समय पर मरम्मत कराएं, ताकि शॉर्ट सर्किट से लगने वाली आग को रोका जा सके। मवेशियों को आग से बचाने के लिए उनके रहने की जगह के पास पर्याप्त मात्रा में पानी की व्यवस्था करें और उन पर नियमित निगरानी रखें।
गर्मी के मौसम में दिनभर गर्म हवाएं चलती हैं, जिससे आग लगने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में दोपहर 9 बजे से पहले दिन का खाना बना लें और रात का खाना शाम 6 बजे के बाद तैयार करें। उन्होंने कहा कि बिजली के ढीले तारों की चिंगारी भी आग लगने का कारण बनती है, इसलिए जहां कहीं भी ऐसे तार दिखें, वहां तुरंत विद्युत विभाग को सूचित करें। आग लगने की स्थिति में सबसे पहले समुदाय के सहयोग से आग बुझाने का प्रयास करें और जरूरत पड़ने पर फायर ब्रिगेड (नंबर 101) एवं प्रशासन को तत्काल सूचित करें।
यदि किसी के कपड़ों में आग लग जाए, तो व्यक्ति को जमीन पर लिटाकर या लुढ़काकर आग बुझाने का प्रयास करें और पड़ोसियों को भी सतर्क करें। खेतों में फसल कटाई के बाद बचे डंठलों में आग न लगाएं, तेज हवा के दौरान भोजन बनाने से बचें, जलती हुई माचिस की तीली, अधजली बीड़ी और सिगरेट इधर-उधर न फेंकें। खाना बनाते समय ढीले-ढाले और पॉलिस्टर के कपड़े न पहनें, बल्कि सूती कपड़े पहनकर ही भोजन पकाएं। माचिस और लाइटर को बच्चों से दूर रखें और सार्वजनिक स्थानों, ट्रेनों एवं बसों में ज्वलनशील पदार्थ लेकर न चलें।
किसानों को आग से सुरक्षा के लिए ट्रांसफार्मर के आसपास कम से कम 10 फीट तक सफाई रखने का निर्देश दिया गया, ताकि विद्युत फॉल्ट की स्थिति में तारों से निकलने वाली चिंगारी फसलों को नुकसान न पहुंचाए। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे सुरक्षा उपाय अपनाकर हम किसानों की मेहनत और उनकी आर्थिक स्थिति को बड़े नुकसान से बचा सकते हैं। सभी किसान भाई सतर्क रहें और प्रशासन द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें। प्रशासन पूरी तरह से सहयोग के लिए तत्पर है।
बैठक में सीडीओ प्रत्यूष पांडेय, एडीएम वित्त एवं राजस्व अरुण कुमार, सीआरओ जेआर चौधरी, चीफ फायर सेफ्टी ऑफिसर अरुण कुमार, उपनिदेशक कृषि सुभाष मौर्य, जिला कृषि अधिकारी मृत्युंजय कुमार, किसान नेता पवन कुमार मिश्रा, किसान नेता राघवेंद्र शाही सहित विभिन्न लोग उपस्थित थे। जिलाधिकारी ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे इन दिशा-निर्देशों को जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करें, ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो।