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उत्तर प्रदेश का बजट निराशा जनक व खोखला साबित

चौधरी शौकत अली चेची
सार्वजनिक यह भी होना चाहिए था की पिछले वर्ष का बजट कितना शेष है और कितना बजट कहां कहां खर्च किया ? बताने के लिए किसानों की बल्ले बल्ले का ढोल पिटा, बजट रखा लगभग 80 हजार करोड रुपए। लगभग 509 करोड रुपए ,पीएम कुसुम योजना उत्तर प्रदेश में किसान लगभग 9 करोड़ ,लगभग 40% किसान खेती छोड़ने पर मजबूर मात्र 3 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाने की बात कही गई। 2017 से अब तक 46 लाख गन्ना किसानों का 27 3000 रुपए का भुगतान किया गया है। लगभग 5000 करोड रुपए गन्ना किसानों का बकाया है ,नहीं बताया गया। ₹500 कुंतल गन्ने का रेट क्यों नहीं होना चाहिए। ₹70 किलो गुड़ बाजार में बेचा जा रहा है। गन्ना मिल मालिक गन्ने से, गुड़, शक्कर, चीनी, खांड, सिरका, मैंली, खोई, राख, आदि से चार गुना कमाई कर रहे हैं। ₹29 रोज कमाने वाला किसान कैसे जीवका चलाएं खाद बीज खरपतवार नाशक कीटनाशक दवाइयां कृषि से संबंधित यंत्रों एवं बिजली ट्यूबवेलो पर सब्सिडी राहत पिछले 8 सालों में कितनी मिली या किसानों की फसलों पर msp की खरीद कितनी प्रतिशत हुई।  सभी फसलों पर msp की गारंटी केंद्र सरकार ने लागू नहीं की प्राकृतिक आपदा एवं आवारा पशुओं से बर्बाद फसलों का मुआवजा तथा अकस्मात किसान के जान माल की हानि से आर्थिक मदद नाम मात्र है। ₹6000 सम्मान निधि देकर अपमानित किया जा रहा है। सरकारो से किसानों को अब तक मायूसी ही मिली है आगे भी जारी रहेगी। हक अधिकार की आवाज उठाने से लाठी डंडे फर्जी मुकदमे के सिवा अन्नदाता को और कुछ नहीं मिला है।
2025-26 का प्रस्तावित बजट 808736 करोड़ रुपए है पिछले बजट 736437 करोड़ रूपए था 9.8 प्रतिशत ज्यादा है । सकल घरेलू उत्पाद 27.51 लाख करोड़ रुपए का अनुमानित है जो वर्ष 2023-24 में 25.48 लाख करोड़ था  एक वर्ष में अर्थव्यवस्था में करीब 2 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि है।  2027-28 तक प्रदेश के वन ट्रिलियन डॉलर यानी 87 लाख करोड़ रुपए की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने का प्रोपेगैंडा चलाया है। प्रदेश में क़र्ज़ भी बढ़कर लगभग 9 लाख करोड़ पहुंच गया जिसमें प्रदेश सरकार द्वारा और 91 हजार करोड़ रुपए बैंक से कर्ज लेने की बात सामने भी आ रही है।
  इस बजट में कुंभ मेले के जरिए 3 लाख करोड़ रुपए प्रदेश की अर्थव्यवस्था में जुड़ने की मुख्यमंत्री की घोषणा का कहीं जिक्र तक नहीं है । आम जनता के लिए जरूरी खर्च को बजट शेयर में कम किया है । शिक्षा पर 2024-25 में बजट शेयर 12.5 प्रतिशत था जो अब  11.6 प्रतिशत है स्वास्थ्य पर 2024-25 में 4.64 प्रतिशत था जो अब  4.45 प्रतिशत है। समाज कल्याण पर 4.37 प्रतिशत था जो अब  4.40 प्रतिशत है कृषि एवं सहायक गतिविधियों पर 2.43 प्रतिशत था जो अब  2.39 प्रतिशत है ग्राम्य विकास का 3.29 प्रतिशत था अब  3.71 प्रतिशत है सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण 1.71 से 1.78 प्रतिशत हुआ है बजट खर्च का मुख्य हिस्सा वेतन पेंशन व ब्याज अदायगी में 57.31 फीसद और अवस्थापना विकास में लगभग 23 फीसद है अवस्थापना विकास में भी हाईवे आदि के निर्माण पर खर्च ज्यादा किया गया है ।
      
    कृषि, सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग (एमएसएमई ) और कौशल विकास मिशन प्रदेश के विकास व रोजगार सृजन के लिए बेहद जरूरी है प्रदेश में 96 लाख लघु व मध्यम उद्योग (एमएसएमई ) ईकाईयां बताई गई हैं। इन ईकाइयों में लगभग 1.70 करोड़ कार्यरत हैं प्रदेश में कृषि के बाद सर्वाधिक रोजगार देने वाला यह सेक्टर संकटग्रस्त है लेकिन इसके पुनर्जीवन के लिए किसी तरह का बजटीय प्रावधान की घोषणा नहीं हुई। उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के 6 वर्षों में लगभग 15.30 लाख युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया है और इसमें से 5.70 लाख युवाओं को रोजगार/स्वरोजगार से जोड़ने की बात कही गई है। बजट में युवाओं को नए रोजगार से जोड़ने के लिए कोई बजटीय प्रावधान नहीं है। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या लगभग 27 करोड़ है। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास योजना, जिसमें 5 लाख रुपए लोन युवाओं को देना है, उसमें महज 1000 करोड़ रुपए दिए गए हैं। प्रदेश राज्य आजीविका मिशन में 96 लाख और 39 हजार बीसी सखी के आंकड़े बजट भाषण में हैं लेकिन किसी तरह के बजट आवंटन का जिक्र नहीं है। तकनीकी कौशल, रोजगार सृजन और विकास की पर्याप्त संभावनाएं हैं। लेकिन इस अनुरूप आर्थिक दिशा न होने से यह गतिरोध का शिकार है प्रदेश में पूंजी का पलायन जारी है 2023 में बैंक में क्रेडिट डिपोजिट अनुपात 44.95 था लगभग 56% बैंको में जमा यहां के लोगों की पूंजी दूसरे प्रदेशों में जा रही है। तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास प्रशिक्षण की उपेक्षा का आलम यह है कि 2023 के आंकड़े के अनुसार तकनीकी शिक्षा, शोध और प्रशिक्षण में महज 1597 करोड़ रुपए खर्च किया गया जो प्रदेश के कुल शिक्षा बजट का महज 2 प्रतिशत है ।
प्रकाशित खबर अनुसार लगभग 1 लाख शिक्षकों की नौकरी समाप्त होगी पालीटेक्निक कालेजों व आईटीआई संस्थाओं को अपग्रेड करना आवश्यक है ।जो प्रशिक्षण कार्यक्रम हैं उनमें संसाधनों की भारी कमी है। बजट में अराजपत्रित श्रेणी में 92 हजार लंबित भर्तियों के प्रक्रियाधीन का जिक्र किया गया है लेकिन सरकार विभागों में लगभग 7 लाख रिक्त पदों को भरने और आंगनबाड़ी, आशा समेत मानदेय व संविदा कर्मियों के सम्मानजनक वेतनमान के संबंध में किसी तरह की घोषणा नहीं है । अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के सब प्लान में आवंटित बजट का खर्च न होना इस बार भी दिखता है। पिछली बार एसटी सब प्लान में 3628.58 लाख था जिसमें से 1670 लाख खर्च हुआ। इसी प्रकार एससी, एसटी और अन्य पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए आवंटित 10305 करोड़ में से 9424 करोड़ ही खर्च हुआ है। आरक्षण समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरी अब  कॉन्ट्रैक्ट बेस पर 5 वर्ष के लिए मिलेगी आदिवासी क्षेत्र सोनभद्र में उठ रही आदिवासी विश्वविद्यालय, आदिवासी लड़कियों के लिए आवासीय डिग्री कॉलेज बनाने की लोकप्रिय मांग को सुना नहीं गया जो उर्दू भाषा हजारों साल पहले भारत में जन्मी उर्दू के बहुत से लोकप्रिय गैर मुस्लिम शायर हुए लगभग 30% उर्दू भाषा का इस्तेमाल भारत में किया जाता है अपनी मांगों को मनवाने के लिए देशवासी उर्दू भाषा के नारे लगाते चले आ रहे हैं। 
लेखक:-- चौधरी शौकत अली चेची, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,
 किसान एकता (संघ) एवं  पिछड़ा वर्ग उ0 प्र0 सचिव (सपा) है।