Vision Live/Dankaur
श्री द्रोणाचार्य (पी0जी0) कॉलिज, दनकौर में लाल बहादुर शास्त्री एवं स्वामी विवेकानन्द के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन व मार्ल्यापण कर महाविद्यालय के सचिव रजनीकान्त अग्रवाल एवं प्राचार्य डॉ0 गिरीश कुमार वत्स के दिशा-निर्देशन में लाल बहादुर शास्त्री के देहवासान दिवस को “स्मृति दिवस” के रूप में तथा स्वामी विवेकानन्द की जयंती को युवा दिवस के रूप में मनाई गई। भारत के स्वाधीनता संग्राम में शास्त्री अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। वे स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। उन्होंने देश को राष्ट्रीय एकता और शांति का संदेश दिया।
स्वामी विवेकानन्द के जन्मदिवस को युवा दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत वर्ष 1984 से की गयी थी। इस दिन युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानन्द को स्मरण कर उनके विचार और कार्यो को जन-युवाओं तक पहुँचाकर उन्हें देश विकास हेतु प्रेरित किया जाता है। इस दिन को मनाने का उद््देश्य इनके विचारों, मूल्यों, कार्यो और आदर्शों को बढावा देना है। इस वर्ष 2025 युवा दिवस का विषय “युवा एक स्थायी भविष्य के लिए लचीलेपन और जिम्मेदारी के साथ राष्ट्र को आकार देना है”। इस अवसर पर महाविद्यालय के सचिव रजनीकान्त अग्रवाल ने कहा कि विवेकानन्द ने करोड़ो देशाविसयों को समृद्ध करना ही अपने जीवन का लक्ष्य बनाया। उन्होंने युवाओं के हृदय को जितना झंकृत किया शायद ही किसी ने किया हो। वे राष्ट्र के दीन-हीन लोगों की सेवा को ही ईश्वर की सच्ची भक्ति मानते थे और इसके साथ ही विवेकानन्द जी की पंक्तियों को दोहराते हुए-उठो, जागो, तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य को प्राप्त न हो, अपनी वाणी को विराम दिया। साथ ही महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ0 गिरीश कुमार वत्स ने स्वामी विवेकानन्द के जीवन परिचय पर विस्तार से चर्चा करते हुये बताया कि स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। इनके बचपन का नाम नरेंद्रदत्त था। 25 वर्ष की अवस्था में इन्होंने गेरुए वस्त्र पहन लिए तत्पश्चात पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की। इनका दर्शन और इनके कार्य भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। हमें इनके कार्यो को कभी नहीं भूलना चाहिए। ये एक ऐसे संत थे जिनका रोम-रोम राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत था। वे कहते थे कि ब्रह्मंाड की सारी शक्तियाँ पहले से हमारी हैं, वो हमी हैं जो अपनी आँखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कितना अंधकार है। इसके साथ ही उन्होंने विवेकानन्द के विचारों को अपनाते हुए कहा कि हम जितना दूसरों का भला कर,ें हमारा हृदय उतना ही शु़द्ध होगा और परमात्मा उसमें बसेंगे। इस अवसर पर महाविद्यालय के डॉ0 देवानन्द सिंह, डॉ0 शिखा रानी, डॉ0 कोकिल अग्रवाल, डॉ0 सूर्य प्रताप राघव, डॉ0 अज़मत आरा, डॉ0 प्रीति रानी सेन, अमित नागर, महींपाल सिंह, चन्द्रेश कुमार त्रिपाठी, श्रीमती प्रीति शर्मा, अखिल कुमार, डॉ0 नीतू सिंह, कु0 चारू0, कु0 नगमा सलमानी, कु0 रूचि शर्मा, कु0 रश्मि शर्मा, अजय कुमार, करन नागर, पुनीत कुमार गुप्ता, मुकुल कुमार शर्मा, रामकिशन सिंह , विनीत कुमार, अंकित नागर, राकेश कुमार, रामकुमार शर्मा, रनवीर सिंह, मीनू सिंह, बिल्लू सिंह, ज्ञानप्रकाश, जगदीश कुमार, मोती कुमार, धनेश कुमार, सुनील कुमार एवं छात्र/छात्राऐं उपस्थित रहें।