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चिंतन:-- क्यो चुनाव हार जाते हैं सेक्युलर दलों के मुस्लिम उम्मीदवार ?


AIMIM को हराने के लिए मुस्लिम नेताओं ने पूरा दम लगाया 
अपने समाज का वोट मुस्लिम उम्मीदवार दिलाने में  नाकाम रहे सपा व राजद मुखिया 
असलम परवेज
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महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत पर वो मुस्लिम नेता बहुत खुश होंगे जो औरंगाबाद से मजलिस के प्रदेश अध्यक्ष इम्तियाज़ जलील को हराने के लिए चुनाव लड़ रहे थे , उन्हें मालूम था कि उन्हें कितना समर्थन मिलेगा साथ ही वो सिर्फ इस लिए चुनाव लड़े कि मजलिस कमजोर हो । अगर मजलिस मजबूत हो जाती तो इनके सेक्युलर आका इनका हुक्का  पानी ही बंद कर देते ।
 मुसलमानो को ये बात शायद नही मालूम कि उत्तर प्रदेश व बिहार में सपा और राजद के ज्यादातर उम्मीदवार वही से चुनाव जीते जहां मुसलमानो की संख्या ज्यादा है । जहां दूसरे बिरादरी के उम्मीदवार थे वहां मुसलमानो ने वोट देकर सपा और राजद के उम्मीदवार को तो जीत दिया लेकिन जहाँ मुस्लिम उम्मीदवार थे राजद और सपा मुखिया अपने बिरादरी का वोट नही दिला सके । 
क्या सपा , राजद  कभी चाहेंगे कि बिहार और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस मजबूत हो ? 
   1989 के बाद मुसलमान उत्तर प्रदेश में को छोड़ सपा तो बिहार में राजद के साथ चला गया उसी तरह उत्तर प्रदेश का दलित बसपा और बिहार का दलित लोक जनशक्ति पार्टी के साथ चला गया । बिहार में पासवान और उत्तर प्रदेश में कांसी राम और मायावती ने बीजेपी सत्ता में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । बिहार में पासवान और उत्तर प्रदेश में मायावती भूलकर भी कांग्रेस या ऑल इंडिया मजलिस-ए इतहादुल मुसलमीन के साथ गठबंधन नही करेंगे क्योंकि ये कभी नही चाहेगे की कांग्रेस मजबूत हो या मुस्लिम क़यादत खड़ा हो वैसे उत्तर प्रदेश में बसपा लगभग समाप्त हो चुकी है लेकिन फिर भी बसपा मजलिस से किसी भी कीमत पर गठबंधन नही करेगी । दलित नेता हो या पिछड़े वर्ग के नेता सबने मुसलमानो से यही कहा कि मुसलमानो हमे बीजेपी को हराने के लिए वोट दो लेकिन क्या कभी अपने समाज के लोगो से अपील किया कि जहां सपा , बसपा , राजद , जदयू और लोक जनशक्ति पार्टी के मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं वहां मुस्लिम उम्मीदवार को वोट दे । इन दलों से मुस्लिम उम्मीदवार लड़े इन दलों के नेता अपने समाज का वोट मुस्लिम उम्मीदवार को दिलवाने में नाकाम रहे । इनके समाज का वोट सीधे बीजेपी को गया । और इन नेताओं ने हार का ठीकरा मुसलमानो के सर फोड़ दिया । 2012 में उत्तर प्रदेश में  सबसे ज्यादा मुस्लिम विधायक (69) जीते थे तब संघ और संघ समर्थित मीडिया के सीने पर सांप लौटने लगा था ।  1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 412 सीटें मिली थी उत्तर प्रदेश में 18 मुस्लिम उम्मीदवार जितने में कामयाब हुए थे ।
लेखक:- असलम परवेज स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक चिंतक व विचारक हैं।