चौधरी शौकत अली चेची
चिकित्सा एवं शिक्षा सभी की जिंदगी के मुख्य बिंदु हैं। यह दोनों ही सुविधा आम लोगों को सरकार के द्वारा बिल्कुल फ्री और समान रूप से दी जानी चाहिए, मगर क्या वाकई ऐसा हो पा रहा है?
साल 2013 के बाद का आकलन किया जाए तो लगभग इन दोनों क्षेत्रों में महंगाई पर लगभग 50% से 140% तक वृद्धि हुई है जिससे लगभग देश की 80% जनता पर बुरा प्रभाव पड़ा और महंगाई के कारण चिकित्सा एवं शिक्षा से करोडो देशवासी वंचित रह गए एवं काल के गाल में समा गए.बड़े-बड़े वादे करने वाली सत्ता में बैठी सरकारें चिकित्सा एवं सरकारी शिक्षा के क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है और लाखों रुपए की सैलरी पाने वाले लोग तानाशाह बन रहे हैं।
जिम्मेदार लोग प्राइवेट आलीशान अस्पताल एवं आलीशान स्कूल कॉलेज को विश्वास में लेकर छोटे अस्पताल झोलाछाप डॉक्टर मेडिकल स्टोर एवं छोटे स्कूलों पर सरकार तथा अधिकारी कानून का चाबुक चला रहे हैं, जबकि मानवतावादी विचारधारा छोटे स्कूलों और झोलाछाप डॉक्टर या छोटे अस्पतालों एवं गांव कस्बे में खुले मेडिकल स्टोर के अंदर सहनशीलता दिखाई देती है, क्योंकि यह बहुत से मजबूर पेशेंट को फ्री में भी दवाई दे देते हैं तथा संशोधन करके सस्ता चार्ज लेते हैं। देश के यह झोलाछाप डॉक्टर ही लगभग 50% नॉर्मल बीमारियों को ठीक करने में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं । सरकारों को समझना चाहिए महंगाई के कारण परिवार का मुखिया अपनी कमाई का लगभग 70% शिक्षा एवं चिकित्सा पर खर्च कर रहा है । इसी कारण लोगों की तरक्की में बांधा साफ नजर आ रही है।
पिछले 10 सालों में लगभग 1000 सस्ती और अच्छी बीमारी ठीक करने दवाइयां को बंद कर 350% तक महंगी हो गई । नॉर्मल बुखार व दर्द ठीक करने वाली टेबलेट ₹1.50 पैसे थी अब वही टैबलेट ₹8.50 की है। खांसी का सिरप ₹20 था अब वही सिरप ₹90 है । यूरिन टेस्ट ₹25 था अब ₹80 है आदि नॉर्मल टेस्ट भी इसी प्रकार प्लस हैं। अल्ट्रासाउंड ₹200 था अब ₹2000 तक है । बेड चार्ज ₹500 था अब ₹2000 है ,अन्य सुविधा वाला तो ₹10000 तक भी है। इन सभी में मरीजों पर जीएसटी भी लागू है और चार गुना महंगी दवाइयां लॉन्च कर इलाज किया जा रहा है एवं विद्यार्थी सामग्री पर चार गुना टैक्स लगा कर महंगी कर दी छात्र-छात्राओं की शिक्षा का हर वर्ष नया कोर्स लॉन्च किया जाता है। प्राइवेट आलीशान स्कूलों में लगभग 10 नियम अपनी मर्जी लागू कर छात्र-छात्राओं से पैसे वसूले जाते हैं ,जिसमें सरकार भी पीछे नहीं है। अगर 10 साल पहले की बात की जाए तो सरकारी अस्पताल, सरकारी स्कूल कॉलेज में लोगों का भरोसा था, अब नहीं है। सरकारी स्कूलों में टीचरों को बच्चों को पढ़ाने की बजाय बच्चों को चाय नाश्ता खिलाने की ड्यूटी लगा रखी है तथा वोट बनवाने वोट कटवाने में उन्हें उलझाए रहते हैं। सरकार एवं अधिकारी अपने आप को सर्वोपरि ना समझ कर आम लोगों की पीड़ा को समझे क्योंकि महंगाई बेरोजगारी के कारण देश की 80% जनता दुखी और परेशान है । झोलाछाप डॉक्टर एवं शहर और कस्बे में खुले मेडिकल स्टोर मानवता का परिचय दे रहे हैं देश की लगभग 80 करोड़ जनता एक दूसरे के सहयोगी बनकर लाभ उठा रहे हैं। डिग्री एवं मानक के तौर पर इन्हें परेशान करना सरकार एवं चिकित्सा से संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विरोध के सुर उठने लगे जो मुश्किल खड़ी हो सकती है । सरकारी हॉस्पिटलों में दवाई डॉक्टर आदि सुविधा नहीं है। प्राइवेट आलीशान हॉस्पिटल में इलाज के लिए आम लोगों के पास मोटा पैसा नहीं , झोलाछाप डॉक्टरों एवं छोटे मेडिकल स्टोर को कार्य करने से रोकना तर्क संगत नहीं है ,जो स्पष्ट नजर आ रहा है। अधिकारी अपनी जेब गर्म करने के लिए व बड़े-बड़े हॉस्पिटलों में इलाज कराने के लिए यह कार्रवाई कर रहे है ,अपने ही देशवासी विदेशो से सस्ते में डिग्री हासिल कर शिक्षा एवं चिकित्सा के नाम पर बड़ी-बड़ी दुकान चला रहे हैं और अपने ही देशवासियों को दोनों हाथों से लूट रहे हैं।
देश में अलग-अलग क्षेत्र में एमबीबीएस की डिग्री लेने पर ₹50 लाख से रु 80 लाख खर्च किए जाते हैं। विदेश में लगभग रु 25 लाख में एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त हो जाती है । देश में डिलीवरी ऑपरेशन कहीं ₹20000 में होता है तो कहीं 80000 रुपए में होता है। एक डॉक्टर ₹200 में मरीज देख रहा है तो कहीं ₹10000 में देख रहा है ,लेकिन झोलाछाप डॉक्टर केवल मेडिसिन का चार्ज लेकर इलाज कर रहे हैं। एक स्कूल ₹500 में बच्चों को पढ़ा रहा है तो कहीं ₹5000 में पढ़ा रहा है, इनमें सुविधा का तर्क जोड़ दिया जाता है, जायज चार्ज तो समझ में आता है ,लेकिन पैसे का खेल भी समझना जरूरी है। डर एवं मानवता एवं विश्वास तीनों बातें अलग-अलग हैं । शिक्षा में लाखों रुपए डोनेशन के नाम पर वसूल किया जाता है, अन्य चार्ज अलग है। चिकित्सा एवं शिक्षा के नाम पर सबसे ज्यादा लूट हो रही है।
लेखक:--- चौधरी शौकत अली चेची,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,
भाकियू (अंबावता) एवं पिछड़ा वर्ग उ0 प्र0 सचिव (सपा) है।