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दीपावली त्यौहार भी मुख्य है, दीप उत्सव

चौधरी शौकत अली चेची
भारत में त्योहार मनाने की परंपरा  सदियों से चली आ रही हैं। देश दुनिया में हर वर्ष हजारों त्यौहार खुशियां लेकर आते हैं और अच्छा संदेश दुनिया को देकर अगले वर्ष का इंतजार के लिए छोड़ जाते हैं।  दीपावली त्यौहार भी मुख्य है, दीप उत्सव, किस उद्देश्य से मनाया जाता है आइए समझने की कोशिश करते हैं। बताया जाता है कि प्रभु श्री राम जब लंका जीत कर अयोध्या वापस लौटे तो उनके आने की खुशी में यह दीपावली त्यौहार मनाया गया। 
  राजा दशरथ के तीन रानियां थी, कौशल्या, केकई और सुमित्रा। इनके के चार पुत्र थे सबसे बड़े रामचंद्र जी, भरत और लक्ष्मण व शत्रुघ्न। कौशल्या रामचंद्र जी की माता थी और माता केकई के कहने से रामचंद्र जी ने 14 वर्ष का वनवास काटा जिसमें लक्ष्मण जी और देवी सीता जी साथ थीं।
इतिहास में यह भी कहा गया है श्रवण कुमार अपने अंधे माता पिता को तीरथ कराने के लिए ले जा रहे थे। माता पिता के आदेश अनुसार श्रवण कुमार पानी की प्यास लगने पर राजा दशरथ के तालाब से घड़े से पानी भरा तो राजा दशरथ ने जानवर समझ कर तीर छोड़ दिया, जो श्रवण की छाती  मैं लगा और राजा दशरथ श्रवण कुमार जी के पास पहुंचे उन्होंने सारा हाल बताया। राजा दशरथ श्रवण के माता.पिता को पानी पीने के  लिए उनके पास पहुंचे और श्रवण की मृत्यु का कारण बताया। श्रवण  के माता पिता ने राजा दशरथ को श्राप दिया कि जिस वजह से हम अपने बेटे के वियोग में मर रहे हैं ,तुमको भी वहीं सजा मिलेगी।
 इस वजह से 14 वर्ष का वनवास रामजी को काटना पड़ा। रामचंद्र जी ने मां.बाप की आज्ञा का पालन कर बेटे का फर्ज निभाया और लक्ष्मण ने भाई होने का गौरव हासिल किया और माता सीता ने पत्नी होने का फर्ज अदा किया।
 बताया जाता है कि अपनी मुक्ति के लिए रावण ने देवी सीता का हरण किया। हनुमान जी और वानर सेनाओं ने सेवक होने का गौरव हासिल किया तथा जटायु आदि ने सच्चाई के लिए अपने प्राण त्याग दिए और  धर्मग्रंथों में अपना नाम दर्ज कराया। धर्मग्रंथों में इन वृतांतों को दर्शाने का मुख्य उद्देश्य त्यौहारों के माध्यम से जागरूकता का संदेश माना गया है। 
 एक भाई राम थे, हनुमान जी सेवक थे जिन्होंने लक्ष्मण की जान बचाई। एक भाई रावण थे जिन्होंने सब कुछ ज्ञान होने के अनुसार उसका दुरुपयोग किया और अपनों के दुश्मन बन अपने भाई विभीषण के माध्यम से रामचंद्र जी को सच्चाई बता कर मृत्यु को प्राप्त हुए।
 भरत  ने रामचंद्र जी की चरण खड़ाहूं ले जाकर  रामचंद्र जी के अयोध्या वापस आने तक राजकाज को चरण खड़ाऊ को आधार बनाकर चलाया। रामचंद्र जी, लक्ष्मण जी, सीता जी वन से वापस अयोध्या जब आए, उसी खुशी में दीप जलाकर खुशियां मनाई और उसी उपलक्ष्य में ये दीपावली के नाम से महापर्व मनाया जाता है। 
कुछ लोग  भगवान श्री कृष्ण जी और भगवान विष्णु जी को भी दीपावली के पवित्र त्यौहार से जोड़कर देखते हैं। धनतेरस त्यौहार मुख्य रूप से इसी कड़ी में नए बर्तन खरीदना दर्शाया गया है, जिसमें लक्ष्मी जी की प्राप्ति होती है। कुछ लोग आभूषण भी खरीदते हैं। आज के युग में कुछ लोग अपनी सोच के अनुसार और बहुत सारे सामानों की खरीद्दारी करते हैं। दीपावली के पावन पर्व पर लक्ष्मी जी की आदि देवी.देवताओं की भी पूजा की जाती है।
 सुख शांति तरक्की और समृद्धि बाद गौर्वधन और फिर भैया दूज का यानी भाई बहन का पवित्र त्यौहार मनाया जाता है। इसमें भाई बहन के मिलन को मुख्य बिंदुओं पर दर्शाया गया है ,जो खून के रिश्ते को मजबूती देता है उमंग और जिम्मेदारी का एहसास कराता है।
 ज्योतिष के अनुसार कार्तिक महीने की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है । इस बार 31 अक्टूबर 2024 दिन गुरुवार 3:12 तक चतुर्दशी है।   इसके बाद अमावस्या शुरू होगी। 1 नवंबर की शाम 5:15 तक है चित्रा नक्षत्र 31 अक्टूबर की रात 1:04 तक है । गुरुवार को दीपावली व काली पूजा मनाई जाएगी। 29 अक्टूबर मंगलवार की सुबह 11:00 से त्रयोदसी शुरू होगा । बुधवार की दोपहर 1:10 तक है जो भोम प्रदोष है मास की शिवरात्रि है ,सरसों के तेल का दीपक रात में चौमुखी जलाया जाता है। नरक चतुर्दशी 30 अक्टूबर बुधवार को 1:10 से गुरुवार की दोपहर 3:12 तक है । नरक चतुर्दशी के साथ कामेश्वरी जयंती भी मनाई जाती हो इसे छोटी दीपावली कहते हैं। 31 अक्टूबर की रात्रि को दीपावली मनाई जाएगी।
लेखक:---- चौधरी शौकत अली चेची,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ,किसान एकता (संघ) एवं पिछड़ा वर्ग उo प्रo सचिव (सपा) है।