चौधरी शौकत अली चेची
जन्माष्टमी मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है? समझने के लिए बुद्धिजीवियों द्वारा कई उद्देश्यों से दर्शाया गया है। वैसे तो सभी जाति धर्मों के हजारों त्यौहार हर साल मनाए जाते हैं।
जन्माष्टमी मुख्यत श्री कृष्ण जी के जन्म से जुड़ी मानी जाती है । श्री कृष्ण जी का जन्म द्वापर युग में भगवान विष्णु जी के आठवें अवतार के रूप मे मथुरा में हुआ। श्री कृष्ण जी के बाद कोई अवतार धरती पर नहीं उतरे हैं । धरती पर बढ़ते अधर्म से भगवान विष्णु जी ने श्री कृष्ण जी का अवतार लिया। अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा की भूमि पर पूर्णावतार कहा जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी जन्माष्टमी तिथि को मध्य रात्रि के रोहिणी नक्षत्र में श्री कृष्ण का जन्म हुआ।
इसलिए जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा नगरी भक्ति के रंगों से सराबोर हो उठती है। जन्माष्टमी भारत में ही नहीं विदेशों में भी आस्था व उल्लास से मनाई जाती है। पूरे दिन नर नारी बच्चे व्रत रखते हैं, रात्रि 12:00 बजे मंदिरों में अभिषेक होने पर पंचामृत ग्रहण कर व्रत खोलते हैं ।
बताया जाता है श्री कृष्ण जी देवकी व वासुदेव के आठवें पुत्र थे । मथुरा नगरी का राजा देवकी का भाई कंस जो बहुत अत्याचारी था, देवकी को बड़े हर्ष के साथ डोली में देवकी की ससुराल विदा करने जा रहा था कि आकाशवाणी हुई कि जिस बहन को तू विदा कर रहा है ,उसकी आठवीं संतान द्वारा मारा जाएगा। कंस ने देवकी व वासुदेव को काल कोठरी में डाल दिया और जन्म लेते रहे 7 बच्चों को कंस ने मार डाला। श्री कृष्ण जी के जन्म पर घनघोर वर्षा हो रही थी, देवकी व वासुदेव की बेड़ियां खुल गई ,कारागार खुल गए पहरेदार गहरी नींद में सो गए, वासुदेव ने सूप में कृष्ण जी को लेकर उफनती यमुना को पारकर गोकुल में अपने मित्र नंद गोप के घर ले गए । नंद की पत्नी यशोदा को कन्या पैदा हुई थी, वासुदेव जी ने श्री कृष्ण को यशोदा के पास सुलाकर कन्या को ले आए । कंस ने कन्या को मारना चाहा लेकिन असफल रहा कन्या कंस के हाथों से छूट कर आकाश की तरफ चली गई कन्या ने कहा तेरे मारने वाला गोकुल में पैदा हो चुका है।
बाल अवस्था में कंस के भेजे हुए बहुत सारे राक्षसों को श्री कृष्ण ने बार-बार मारा । अंत में श्री कृष्ण ने कंस का वध किया तब से जन्माष्टमी मनाई जाती है।
गोकुल में यह त्यौहार गोकुलाष्टमी के नाम से मनाया जाता है। श्री कृष्ण जी हांडी से माखन चुराते थे ,दही हांडी की मटकी फोड़ने की रसम इस पर्व पर कृष्ण जी की यादों को ताजा कर देती है ।
श्री कृष्ण जी ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन का सारथी बनकर पांडवों को जीत दिलाई तथा द्रोपदी का भाई बनकर द्रोपती चीर हरण में कौरवों से लाज बचाई। सुदामा की मित्रता को राजकीय सम्मान दिया तथा सुदामा की गरीबी को दूर करने के लिए अपने राज्य का कुछ हिस्सा देकर मालामाल किया। ज्योतिष के अनुसार भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 26 अगस्त सुबह 3:41 से होगा जो 27 अगस्त सुबह 2:21 पर समाप्त होगा इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी।
लेखक:- चौधरी शौकत अली चेची, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,
भाकियू (अंबावता) एवं पिछड़ा वर्ग उ0 प्र0 सचिव (सपा) है।