BRAKING NEWS

6/recent/ticker-posts


 

शबे बारात त्यौहार: नेकी, गुनाह ,रिजेक और जिंदगी का लेखा-जोखा पहुंचता है,जिम्मेदार फरिश्तों व मलकुल मौत तक


चौधरी शौकत अली चेची 
 भारत देश ही नहीं वर्ल्ड में  त्योहारों  को मनाने का मुख्य महत्व  माना गया है। बुद्धिजीवियों के अनुसार डालते हैं कुछ बिंदुओं पर नजर:- त्योहारों को मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो बलिदान, त्याग म , सद्भावना  आपसी सौहार्द, अनेकों ज्ञानवर्धक संदेश  देते चले आ रहे हैं जो द्वेष भावना को समाप्त कर अमन  चैन तरक्की भाईचारे का पैगाम देते हुए सदियों से परंपराओं को ताजा कर रहे है। भारत  में मुख्य रूप से हर जाति धर्म के हजारों त्यौहार इसी उद्देश्य से मनाए जाते हैं।  इस्लाम धर्म में शब ए बारात यानी शब का अर्थ (रात) बारात का अर्थ (बरी होना) 14 शाबान मोहजम का दिन गुजरने के बाद 15 वी तारीख की रात को शब ए बारात कहते हैं । शबे बारात चांद की तारीख पर निर्भर है ,दिन रविवार /25/ 2 / 2024/ तारीख को आज विश्व में मनाई जा रही है। इस्लामिक कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं, हिजरी सन  1445 चल रहा है। चांद दिखने के बाद पहली तारीख शुरू होती है तथा मुंहर्रम को पहला महीना माना जाता है तथा शाबान को  आठवां महीना माना जाता है जो फरवरी 2024 में चल रहा है। 
 अल्लाह  के प्यारे रसूल सल्लल्लाहो आले वसल्लम ने फरमाया शाबान मेरा महीना है। हदीस के मानने वालों का कहना है कि अल्लाह तालाह से बढ़कर दूसरा कोई नहीं अल्लाह के हुकुम की तामीर हुई । शाबान मोहजम रात में जो बच्चा इस साल पैदा होगा या किसी की भी मौत होगी उसके गुनाहों की पेशी होगी रिजेक और जिंदगी का लेखा-जोखा इकट्ठा होगा। दिल से गुनाहों की माफी मांगने वालों को अल्लाह पाक सल्लल्लाहो आले वसल्लम की सिफारिश से अल्लाह की रहमत हुई।  कहा गया है 15वीं तारीख अगली  साल तक पाक साफ हो जाएगा ।  जन्नत में जाने का रास्ता भी खुलता है,  लेकिन अल्लाह की मर्जी के बगैर कुछ भी नहीं है (रहमतों की रात नेकीयों का साथ गुनाहों से निजात) इस्लाम के मानने वालों के लिए यह रात बेहद फजीलत (महिमा )की रात मानी जाती है । इस रात पूरे विश्व के मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं। अरब देशों में लैलतुल बराह या लैलतुन निशफे मीन शाबान कहा जाता है ।
भारत, ईरान, पाकिस्तान ,अफगानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश आदि में शब ए बारात कहा जाता है।
 इबादत तिलावत सखावत (दान पुण्य अरदास) मस्जिदों  कब्रिस्तानो में रौनक ज्यादा दिखाई देती है। शहरों में जुलूस निकाले जाते हैं, घरों में भी अलग माहौल दिखाई देता है। नमाज, कुरान तस्वीर, दरूद शरीफ, पूरी रात पढ़कर गुनाहों की माफी मांगी जाती है। सभी के लिए तरक्की अमन चैन भाईचारे की दुआ की जाती है। अपनी हैसियत के हिसाब से खैरात की जाती है । कब्रिस्तानो में मोमबत्तियां जलाकर अपने सगे संबंधियों को याद कर खुद को महसूस कर अल्लाह पाक से दुआ मांगते हैं । घरों में मुख्य पकवान हलवा व खीर बनाकर दरूद और फतिया पढ़कर अपने बुजुर्गों को याद कर  रुखसत तक्सीम एक दूसरे को किया जाता है। सवेरा होने पर कुछ हजरात रोजा रखते हैं।
( शिया सुन्नी देवबंदी बरेलवी ) अपने अपने तरीके से शब ए बरात को कुछ हजरात  त्योहार के रूप में मनाते हैं। कुछ गम और फिक्र में अल्लाह  से गुनाहों की माफी मांग कर सभी के लिए अमन-चैन तरक्की भाईचारे की दुआ मांगते हैं ।
अल्लाह के प्यारे नबी ने फरमाया चार रातों में अल्लाह खैर खूब बहाता है ईद उल अजहा की रात, ईद उल फितर की रात ,हज की रात ,15 वी तारीख की रात शब ए बारात अहम माना गया है, क्योंकि इसमें नेकी गुनाह रिजेक और जिंदगी का लेखा-जोखा जिम्मेदार फरिश्तों व मलकुल  मौत तक पहुंचता है।
लेखक:-   चौधरी  शौकत अली चेची ,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,
    भाकियू (अंबावता) है।