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यज्ञ से सुगंधित शुद्ध की गई वायु से आरोग्यता बल बुद्धि वीर्य बढ़ता है:स्वामी मोहन देव

Vision Live/Dadri 
 शारद दुर्लभ यज्ञ के संयोजक सदस्य एवं प्रभारी ओमवीर सिंह आर्य एडवोकेट ने बताया कि आज दादी सत्ती मंदिर गांव दुजाना में नवरात्र में दिन रात चलने वाले शारद दुर्लभ यज्ञ आठवें दिन के कार्यक्रम में राजस्थान से आये स्वामी मोहन देव जी ने आज के यज्ञ के मुख्य ब्रह्म रहै, 9 दिवसीय शारद दुर्लभ यज्ञ सत्र भव्यतर  हो रहा है। दिन प्रतिदिन बाल युवा वृद्ध महिला पुरुष की सहभागिता इस यज्ञ में बढ़ती जा रही है। उल्लेखनीय होगा शरद ऋतु में नवरात्रि में आयोजित किया जा रहे इस यज्ञ में लगभग 9 फुट व्यास की गोलाकार शंकवाकार यज्ञ वेदी तैयार की गई है। पूर्वाभिमुख यज्ञमान का आसान तैयार किया गया है। यज्ञ के प्रत्येक सत्र के लिए आचार्य पुरोहित वेदपाठी यज्ञमान नियत है। अनुष्ठान के आठवें दिन आज रात्रिकालीन कालीन सत्र में यज्ञ के ब्रह्मा स्वामी मोहन देव जी रहे। कार्यक्रम का संचालन आर्य प्रतिनिधि सभा गौतम बुद्ध नगर की यशस्वी  अध्यक्ष महेंद्र आर्य जी ने किया। कुलदीप विद्यार्थी जी ने अपने मधुर भजन उपदेश से समा  बांध दिया है । दुजाना ग्राम के नवयुवक विशेष तौर पर उनके भजन उपदेश से प्रभावित हैं। शारद दुर्लभ यज्ञ के अनुष्ठान के आयोजन का एकमात्र  उद्देश्य इस ऋतु में  रोगों के प्रकोप से मानव ही नहीं जीव मात्र  हो बचाने का एक दिव्य संकल्प है।
यज्ञ की रामबाण रोग नाशक पर्यावरण पुष्टिकारक थेरेपी आध्यात्मिक कर्मकांड कैसे घर-घर तक प्रचारित हो स्थापित हो यह भी यह इसका उद्देश्य है। महर्षि दयानंद की ग्रंथों को हम पढ़ते हैं तो महर्षि दयानंद का आग्रह यज्ञों के प्रचार को लेकर भी था। वैदिक काल की तरह महर्षि दयानंद चाहते थे भारत के  घर-घर गांव-गांव अधिक से अधिक होम  अग्निहोत्र होने चाहिए। महर्षि दयानंद की वेदों के निष्कर्ष के आधार पर यह मान्यता थी अग्निहोत्र यज्ञ आदि  से केवल वायु जल ही शुद्ध नही होता है साथ ही साथ मनुष्य को आरोग्यता की प्राप्ति होती है। साथ ही वेदों  मंत्रो के यज्ञों में विनियोग से वेदों की रक्षा भी होती है ईश्वर की उपासना भी होती है। यज्ञ कर्ता पर ईश्वर प्रसन्न होता है ।पांच महायज्ञ  ग्रंथ में ऋषि ने अग्निहोत्र के मंत्रो  का ईश्वर परक ही अर्थ किया है। स्वामी मोहन देव ने बताया कि महर्षि दयानंद कहते थे *यज्ञ से सुगंधित शुद्ध की गई वायु से आरोग्यता  बल बुद्धि वीर्य बढ़ता है*। इन्हीं उत्तम उत्तम यज्ञ के परियोजन लाभो को जानकर  शारद  दुर्लभ यज्ञ  अनुष्ठान किया जा रहा है अधिक से अधिक इस यज्ञ अनुष्ठान में यज्ञमान,  होता बनकर,तन मन धन से सहयोगी के रूप में सहभागी होकर अपने मानव जीवन को धन्य बनाएं।
यजुर्वेद के भाष्य में ऋषि दयानंद अनेक मंत्रो  का अर्थ करते हुए कहते हैं जो यज्ञ को त्याग  देता है ईश्वर उस मनुष्य को त्याग देता है। ईश्वर की कृपा का पात्र बनने के लिए हमें बड़े-बड़े यज्ञ   करने व कराने चाहिए। ऐसे दुर्लभ अनुष्ठान में सहयोगी बनना चाहिए। वैदिक संस्कृति के आदर्श मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, योगेश्वर श्री कृष्ण आदि हमारे महापुरूषों ने संकट काल में भी यज्ञ जप दान आदि उत्तम कर्मों को नहीं छोड़ा   वह सभी यज्ञ करते ,कराते थे। आज के यज पर ओमवीर सिंह आर्य एडवोकेट  धर्मपत्नी उर्मिला आर्य, तिलक नागर धर्मपत्नी शकुन्तला देवी निवासी दुजाना और दीपक शर्मा की धर्मपत्नी अच्छेजा निवासी भी यजमान रहै एवं वैदिक भजनों द्वारा यज्ञ वैदिक मन्त्रों से निरन्तर आरम्भ रहा। क्षेत्रीय एवं अन्य राज्यों से आये विद्वान आचार्य सत्यव्रत अजमेर, नवाब सिंह नागर पुर्व मन्त्री उत्तर प्रदेश सरकार, योगेन्द्र मावी जिला अध्यक्ष भाजपा गोतमबुद्धनगर,ओमपाल नागर प्रमुख पति बिसरख ब्लॉक,अंकुर नागर एडवोकेट पुर्व बार अध्यक्ष बार एसोसिएशन गौतमबुद्धनगर, विनोद नागर,बब्बली नागर जिला उपाध्यक्ष भाजपा, राज नागर अध्यक्ष भाजपा युवा मोर्चा, जागरतन आर्य पीसीएस, ब्रिजेन्द्र प्रमुख दादरी, कल्याण सिंह आर्य बिजनौर, ओम प्रकाश आर्य भरतपुर, कुलदीप विधार्थी राष्ट्रवादी भजनों उपदेशक, महेश योगी भजन उपदेशक, महाशय रामगोपाल, महाशय मानसिंह, रविंद्र आर्य, छेत्र के सम्मानित हुकम सिंह आर्य दुजाना आर्य समाज प्रधान, मास्टर ब्रह्मा सिंह, ओमपाल आर्य मन्त्री आर्य समाज दुजाना, ईलचन्द नागर, मोनू प्रधान,दीपक भारद्वाज महामंत्री भाजपा, हेमराजसिहं प्रधान लडपुरा, यशवीर भगतजी, कमल आर्य, सतीश आर्य, नरपतसिंह प्रधानाचार्य नवादा, सतबीर आर्य, जगबीर आर्य, ग्रीस मुनि, यशवीर आर्य, बाबू राम नागर, जालेन्द्र आर्य, कर्मवीर आर्य, मास्टर नरेंद्र नागर,सागर नागर, दिवाकर आर्य,पंकज आर्य,सत्यपाल आर्य एवं ग्राम दुजाना और आस पास के गांवों से आये सैकड़ों यज्ञ प्रेमियों ने यज्ञ पर आहुतियां देकर कर यज्ञ की शोभा बढ़ायी।