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गांधीजी की सादगी और सरलता की दुनिया, कायल

चौधरी शौकत अली चेची
2 अक्टूबर-2023, गांधी जयंती मनाने का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का परिचय पर कुछ बिंदु:- मन में थी अहिंसा की लगन ,नंगा बदन - भाईचारा ,अमन चैन, स्वतंत्रता के लिए घूमे थे हजारों किलोमीटर। महात्मा गांधी भारतीय इतिहास के एक ऐसे व्यक्ति थे ,जिन्होंने देश हित के लिए अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ी और आजादी के आंदोलन के एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी और अंग्रेजों को देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। महात्मा गांधी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पिता कहा गया। बापू के सत्य व अहिंसा की विचार धारा से मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला भी काफी प्रभावित हुए। अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता को खत्म करने व भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने में बापू का अहम योगदान था। उनकी सत्य और अहिंसा की नीति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की । उन्होंने अहिंसक तरीके से ब्रिटिश सरकार के खिलाफ न केवल आवाज उठाई ,बल्कि कई आंदोलनों की अगुवाई की ,गांधीजी की सादगी और सरलता की दुनिया कायल थी।
 गांधी जी के पिता ब्रिटिश राज में कठियावाड़ा की एक रियासत के दीवान थे। गांधी जी का जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था। विवाह के 2 साल बाद उनके पिता का निधन हो गया और पिता की मृत्यु के  1 साल बाद उनकी पहली संतान हुई और कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हो गई,लेकिन हर मुश्किल परिस्थिति में बापू ने हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई जारी रखी। 1887 में अहमदाबाद से हाईस्कूल की डिग्री प्राप्त करने के बाद 1888 में वकालत की पढ़ाई के लिए ब्रिटेन गए। 1891 में गांधीजी वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत वापस लौटे, लेकिन नौकरी के सिलसिले में महज 23 साल की उम्र में उन्हें दक्षिण अफ़्रीका जाना पड़ा। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीय श्रमिकों ,खनन मजदूरों और खेतिहर मजदूरों को एकजुट किया। भारतीयों के साथ अमानवीय व्यवहार और भेदभाव के खिलाफ भारतीय कांग्रेस का गठन किया और अंग्रेजी शासन के अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। 21 साल दक्षिण अफ्रीका में रहने के बाद गांधीजी 1915 में भारत लौट आए 
 गांधी जी ने भारत की आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत लौटने के बाद गांधी ने देश की स्वतंत्रता के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया ,वह एक कुशल राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने अंग्रेजी राज से भारत की मुक्ति के लिए लड़ाई लड़ी और गरीब भारतीयों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई ,वह देश भर में घूमते रहे और लोगों को अपने देश भक्ति के बारे में जागरूक किया। पूरी दुनिया उन्हें आज भी अहिंसा के पुजारी के रूप में याद करती है।
 दक्षिण अफ्रीका मे डरबन से प्रोटीरिया  की यात्रा करते समय उन्हें तीसरे श्रेणी के डिब्बे में बैठने से रोका गया और उन्हें धक्का मार कर व पीटकर ट्रेन से बाहर निकाल दिया गया, जबकि उनके पास फर्स्ट क्लास का टिकट था। वह नस्लीय भेदभाव कारण था ,जो अंग्रेजों को अफ़्रीका में ही नहीं भारत में भी महंगा पड़ा। साल 1915 में अफ्रीका से भारत लौटने के बाद महात्मा गांधी अपने गुरु गोपाल कृष्ण गोखले के पास पहुंचे। इस दौरान देश गुलामी की जंजीरों में बंधा हुआ था। महात्मा गांधी ने देश के हालात को समझने के लिए देश के भ्रमण की योजना बनाई ,साथ ही देश में जाति व धर्म के भेदभाव को खत्म करने व  सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन चलाया।
  गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, पिता करमचंद गांधी ,माता पुतलीबाई ,पत्नी कस्तूरबा गांधी। मोहनदास करमचंद गांधी की शादी 13 वर्ष की उम्र में हो गई थी ,बापू जी के बच्चे, हरिलाल, मणिलाल, रामदास ,देवदास हुए। बापूजी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात पोरबंदर में हुआ था और मृत्यु 30 जनवरी 1948 को लगभग 5:17 बजे शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर 78 वर्षीय गांधी जी की हत्या कर दी । नाथूराम गोडसे एक हिंदू महासभा का सदस्य था, उसने महात्मा गांधी पर पाकिस्तान का पक्ष लेने का आरोप लगाया और अहिंसा के सिद्धांत का विरोध किया।
मुख्य आंदोलन दक्षिण अफ्रीका में असहयोग आंदोलन, स्वराज नमक सत्याग्रह, हरिजन आंदोलन निश्चय दिवस, भारत छोड़ो आंदोलन रहे। 
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी  की विश्व 154 वी वर्षगांठ मना रहा है । हर वर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के रूप में  जन्मदिन मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा न 15 जून 2007 को 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया था। यह दिन भारत देश मे राष्ट्रीय अवकाश के रूप में घोषित किया गया  देश के सभी राज्यों में तथा केंद्र शासित प्रदेशों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। महात्मा गांधी शांति सत्य और अहिंसा के प्रतीक थे उनके आंदोलन ने पूरे भारत में सफलता हासिल की। बाल दिवस ,शिक्षक दिवस ,फ्रेंडशिप डे आदि दुनिया में शांति और अहिंसा लाने के लिए उनका मुख्य योगदान रहा था। 2 अक्टूबर को पूरे भारत में कई आयोजन किए जाते हैं ,जैसे प्रार्थना सेवाएं ।
गांधी जी ने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते समय संयम और करुणा दोनों का अनुपालन करने की सलाह दी और स्वयं इनका पालन करके मिसाल कायम करते हुए नेतृत्व प्रदान किया। वह अपना शौचालय स्वयं साफ करते थे और आसपास के वातावरण की स्वच्छता सुनिश्चित करते थे, सभी को स्वच्छता अभियान का संदेश दिया।  पानी कम से कम बर्बाद हो और अहमदाबाद में इस बात पर विशेष ध्यान दिया कि दूषित जल साबरमती के जल में ना मिले।
गांधी जयंती के समय राज घाट नई दिल्ली में प्रतिमा के सामने श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए प्रार्थना सभाएं आयोजित की जाती हैं । भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री महात्मा गांधी की प्रार्थना सभा के दौरान मौजूद रहते हैं ,जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया था।
गांधीजी का पसंदीदा भक्ति गीत:- रघुपति राघव राजा राम, उनकी याद में गाया जाता है। भारत में स्कूल कॉलेजों द्वारा हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं तथा सरकारी संस्थाओं में भी इस तरह के आयोजन किए जाते हैं और छात्र छात्राएं उत्साह से गांधी जयंती समारोह में भाग लेते हैं, इस दिन पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के रूप में मनाया जाता है।
छात्र-छात्राओं द्वारा बापू के सत्य और अहिंसा संदेश पर आधारित  गीत गाया जाता है तथा कविताओं का पाठ करते हैं और गांधीवादी दर्शन पर अपनी खुद की जगह पेश करते हैं । छोटे बच्चे इस कार्यक्रम को गांधी जी की पोशाक के साथ राष्ट्रवादी गीतों की प्रस्तुति देकर मनाते हैं तथा छात्र बैनर का उपयोग करते हुए रैली में भाग लेते हैं जो पूरे देश में शांति और अहिंसा के महत्व को दर्शाता है। महात्मा गांधी जी को पांच बार नोबेल शांति पुरस्कार से नामित किया गया ।