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इंडिया गठबंधन भूल जाए कि गौतमबुद्धनगर की सीट बीजेपी से 2024 में छीन सकते हैं ?

चौधरी शौकत अली चेची
आश्चर्यचकित करने वाले कुछ आंकड़े उत्तर प्रदेश में लगभग 228 ऐसी विधान सभाएं तथा लगभग 46  लोकसभाएं
 रिजर्व और सामान्य मिलाकर  हैं, जिनमें 20% से  53% तक मुस्लिम वोटर हैं,लेकिन सभी सियासी पार्टियों के संगठन, या विधानसभा-- लोकसभा टिकटों में--इनकी हिस्सेदारी लगभग नहीं के बराबर है। 40% से 53% तक मुस्लिम वोटर वाली विधान सभाएं जैसे-- रामपुर, स्वार, चमरव्वा, बिलासपुर, मिलक, मुरादाबाद नगर, मुरादाबाद ग्रामीण, कॉठ, धनौरा, ठाकुरद्वारा, कुन्दरकी, बिलारी, अमरोहा, हसनपुर,  असमौली, चन्दौसी, संभल, नौगाँव सादात, बेहट, नकुड, पुरकाजी, सहारनपुर नगर, सहारनपुर, देवबंद, गंगोह, रामपुर मनिहारन, नजीबाबाद, नगीना, बूढ़ापुर, धामपुर, नहटौर, बिजनौर, चॉदपुर, नूरपुर, शामली, कैराना, थाना भवन, बुढाना, चरथावल, मुजफ्फरनगर, खतौली, मीरापुर, बहेडी, भोजीपुरा, कैसरगंज, तुलसीपुर, उतरौला, इटवा आदि। 30% से 40% वाली सीटें जैसे-- सिवालखास, सरधना, हस्तिनापुर, किठौर, मेरठ कै़ंट, मेरठ, मेरठ दक्षिण, मीरगंज, भोजीपुरा, नबाबगंज, फरीदपुर, बरेली, आंवला, मटेरा, नानपारा, महसी, बहराइच, श्रावस्ती, भिनगा, बलहा, बलरामपुर, शोहरतगढ, कपिलवस्तु, डुमरियागंज, खलीलाबाद, मऊ, गोरखपुर ग्रामीण, टांडा, मुबारकपुर आदि।
20% से 30% मुस्लिम वोटरों वाली सीटें जैसे --छपरौली, बागपत, बडौत, लोनी, मुरादनगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद, मोदीनगर, नोएडा, दादरी, जेवर, धौलाना, गढ मुक्तेश्वर, स्याना,  सिकंदराबाद, बुलंदशहर, कोल, अलीगढ़, सिकंदरामऊ, फतेहपुर सीकरी, फिरोजाबाद, पटियाली, सहसवान, बिल्सी, बदायूं, शेखूपुर, पीलीभीत, बरखेडा, विलासपुर, हापुड़, खुर्जा, इगलास, पूरनपुर, बिसौली, टुंडला, तिलहर.... लखीमपुर खीरी, सीतापुर, उन्नाव, हरदोई, कानपुर, लखनऊ,  बाराबंकी, गोंडा व सुल्तानपुर, आजमगढ़, घोसी, बनारस, भदोही,  इलाहाबाद, कन्नौज, अमेठी की लगभग सभी विस सीटें तथा तिलोई, फर्रूखाबाद, भोजपुर, फतेहपुर, हुसैनगंज, रूदौली, बीकापुर, फैजाबाद, बस्ती, महादेवा, बांसी, रूधौली, मेहदावल, जलालपुर, सिकंदरपुर,मोहम्मदाबाद, जहूराबाद, पडरौना, लार, पथरदेवा, रामपुर कारखाना आदि। पसमांदा मुसलमानों पर बीजेपी की नजर है ,विपक्षी पार्टियों को भांग के नशे से दूर होना चाहिए क्योंकि पहले वाला समय अब निकल गया है। अब स्थिति दूसरे तरह की हैं  हर जाति धर्म का वोटर  सम्मान के साथ अपने धर्म का नेता भी चाहता है।
 गौतमबुद्धनगर लोकसभा पर नजर डालें तो मुस्लिम शिक्षा चिकित्सा आदि में संपन्नता की तरफ जागरूक होकर आगे बढ़ रहा है तथा मुस्लिम वोटर दूसरे नंबर पर आता है ,मगर गैर मुस्लिम लोकल लीडरशिप मुस्लिम वोटरों की संख्या को कम करके सार्वजनिक करते है। 1992 के बाद ज्यादातर मुस्लिम समाजवादी पार्टी का वोटर  सपोर्टर का टैग लगा आ रहा है ,मगर कोई भी पार्टी अभी तक एक मुस्लिम लीडर गौतमबुद्धनगर में नहीं बना पाई। गहराई से अगर समझा जाए तो गौतमबुद्धनगर में मुसलमानों की हैसियत एक चपरासी के बराबर भी नहीं है,  शायद यही कारण है बीएसपी एवं भाजपा के सिवा यहां कोई दूसरी पार्टी का प्रत्याशी नहीं जीत पाया। बीएसपी के सांसद दानिश अली की तरह व्यवहार किया जाता आ रहा है । मुसलमानों के हक अधिकार को दबाया है ,जिसके सैकड़ो उदाहरण हैं गौतमबुद्धनगर में अगर मुस्लिम को कोई जिम्मेदारी दी जाती है तो जांच परख कर देखा जाता है कि यह केवल भीड़ का हिस्सा बनकर झंडा उठाकर नारे लगाने तक ही सीमित है या इससे आगे बढ़ने की कोशिश करेगा । अगर यह आगे बढ़ने की कोशिश करेगा या नेता बनने की कोशिश करेगा तो इसे केवल कार्यकर्ता तक ही सीमित रखा जाए। पार्टी हाई कमान की लापरवाही लोकल लीडरशिप की द्वेष भावना के कारण जागरूक मुस्लिम लीडरशिप आगे नहीं बढ़ पा रही  जो कम्युनिटी अपने आप को बाहुबली क्षेत्र कहती है वह मौका देखकर अपना पाला बदलते रहते हैं और सत्ता में मलाई खाते रहते हैं, अगर यही सिलसिला चलता रहा तो इंडिया गठबंधन  भूल जाए कि गौतमबुद्धनगर की सीट बीजेपी से 2024 में छीन सकते हैं ?
चेहरा ना देखो दिल को देखो चेहरों ने लाखों को लूटा दिल सच्चा और चेहरा झूठा  बछड़ा कुदेगा  जब मजबूत होगा खूंटा।

लेखक:-चौधरी शौकत अली चेची,राष्ट्रीय महासचिव
 भाकियू (बलराज) है।