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गलगोटियास विश्वविद्यालय में चल रहे दो दिवसीय “ग्रेटर नोएडा शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल” का हुआ समापन



पूरी उम्मीद है कि भविष्य में ग्रेटर नौएडा पूरे वर्ल्ड सिनेमा का फोकस बनने वाला हैः अभिनेता मनोज तिवारी 
Vision Live/Yeida City 
मशहूर फिल्म निर्देशक एवं स्क्रीन राइटर आकाश आदित्य लामा ने विद्यार्थियों के साथ मास्टर क्लास के रूप में संवाद स्थापित किया। और उन्होंने अपने सत्र के शुरुआत बताया कि जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव का सामना करते हुए कैसे आगे बढ़ना है। आगे उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य में अपना पूरा प्रयास करना चाहिए और कभी भी जीवन में हार नहीं माननी चाहिए।और जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमेशा गुणी और योग्य व्यक्ति का संरक्षण बहुत ज़रूरी है ताकि हमारा हौसला हमेशा बरक़रार रहे और हम अपने जीवन में आगे बढ़ते हुए ख़ुद को बुलंद कर सकेंगे।
दूसरे मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित चर्तित अभिनेत्री सुप्रिया शुक्ला ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमेशा प्रारंभिक दौर की चुनौतियों का सामना करते हुए किस प्रकार से अपने आत्म सम्मान को बनाए रखते हुए लोगों  के साथ संवाद स्थापित करना चाहिए, जिससे आपकी एक अलग से पहचान दिखे। मास्टर क्लास के मुख्य विषय स्क्रिप्ट राइटिंग पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि हमें पहले विषय के बारे में गहन अध्ययन और चिंतन कर लेना चाहिए ताकि आपके द्वारा लिखी गई स्क्रिप्टिंग समाज में एक संदेश देने में सफ़ल हो सकें ।
कार्यक्रम के स्तंभ और आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जाने माने अभिनेता मनोज तिवारी ने बच्चों के समक्ष अपनी मास्टर क्लास में हर एक पहलू पर मुखरता से बात की। उन्होंने कहा कि सिनेमा हमारे समाज का दर्पण होता है। इसलिए हमें सिनेमा में ऐसी फिल्मों पर जोर देना चाहिए जो समाज में फैली हुई कुरीतियों को दूर करके समाज का सही मार्गदर्शन कर सकें। आगे उन्होंने कहा कि कहा की भारतीय सिनेमा हमें हमारी भारतीय संस्कृति की महान विधाओं से जोड़ने का काम करता है। और कहा कि सिनेमा की यह खूबसूरती भारतीय सिनेमा को विश्व पटल पर भी नाम और गौरव प्रदान कर रही है। अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात बताते हुए कहा की हमें क्षेत्रीय सिनेमा पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि क्षेत्रीय अधार पर सिनेमा में होने वाली समस्याओं का समाधान किया जा सके।  
गलगोटियास विश्वविद्यालय के चॉसलर सुनील गलगोटिया ने कहा कि आज राष्ट्र के नायकों और समाज के पथ प्रदर्शकों तथा फिल्म निर्माताओं को इस तथ्य को ध्यान में रखना होगा, कि इस लोकप्रिय माध्यम का उपयोग राष्ट्रीय भावना के निर्माण के लिए किया जाए। विश्वविद्यालय सीईओ डा० ध्रुव गलगोटिया ने कार्यक्रम की सफलता के लिये सभी को बँधायी दी और कहा कि भारतीय संस्कृति के आदर्श तथा वर्तमान विश्व की स्थिति को सिनेमा प्रभावी ढंग से लोगों तक प्रेषित करे, तो इससे शांति और समृद्धि, सुख और समता के आदर्श को स्थापित किया जा सकता है।